लखनऊ: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सीनियर नेता राहुल गांधी का एक बयान इस समय यूपी के राजनीतिक मैदान में हलचल बढ़ा रहा है। यह बयान पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी को लेकर आया है। वरुण भाजपा से तीसरी बार चुनकर लोकसभा पहुंचे हैं। यूपी के राजनीतिक मैदान में अपनी अलग छवि के लिए जाने जाते हैं। लंबे समय तक भाजपा के फायरब्रांड युवा नेता की छवि उनकी रही है। लेकिन, हाल के समय में नजरअंदाज किए जाने से नाराज बताए जा रहे हैं। वरुण गांधी या मेनका गांधी को मोदी सरकार 2.0 में स्थान नहीं मिला। पार्टी में भी हाशिए पर हैं। यूपी चुनाव 2022 के दौरान भी दोनों को कोई खास तरजीह भाजपा ने नहीं दी। इसके बाद वरुण गांधी का आक्रामक रुख लगातार दिखा है। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के साथ-साथ केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार तक को निशाने पर ले रहे हैं। ऐसे में पार्टी ने उनके बयानों को तबज्जो देना बंद कर दिया। इसके बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से नजदीकी के हवाले से उनके पार्टी ज्वाइन करने की चर्चा तेज हो गई। हालांकि, अब राहुल गांधी ने उनके आरएसएस वाले संबंधों के आधार पर कहा कि हम उन्हें गले लगा सकते हैं। लेकिन, हमारी विचारधारा उनसे मैच नहीं करती है। इसलिए, हम उनके साथ नहीं चल सकते। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या राहुल गांधी ने आरएसएस की विचारधारा से आने वाले नेताओं को गले नहीं लगाया है? उन्हें अपने साथ लेकर नहीं चले हैं? उनके पार्टी अध्यक्ष रहने के दौरान कई भाजपा नेताओं ने कांग्रेस का दामन थामा। राहुल गांधी के साथ चले।शत्रुघ्न सिन्हा को कराया था शामिल
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले भाजपा के सीनियर नेता और आरएसएस के करीबी माने जाने वाले शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस का दामन थामा था। भारतीय जनता पार्टी में 28 सालों तक रहने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा जब अप्रैल 2019 में जब कांग्रेस के पाले में आए तो इसकी अनुमति तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने दी थी। शत्रुघ्न सिन्हा की वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वही स्थिति थी, जो आज वरुण गांधी की है। पार्टी ने इस सीनियर नेता को किनारे कर दिया था। बिहारी बाबू के नाम से मशहूर फिल्म अभिनेता और राजनेता के बयानों पर पार्टी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती थी। उस समय शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब लोकसभा सीट से सांसद थे।
आम चुनाव 2019 में पार्टी ने इस सीट से उनका टिकट काट दिया। पार्टी के सीनियर नेता रविशंकर प्रसाद को यहां से उम्मीदवार बना दिया गया। इस प्रकार की सुगबुगाहट के साथ ही शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस का दामन थामा। राहुल गांधी ने उन्हें स्वीकार किया। पटना साहिब से उम्मीदवार बनाया। उनके पक्ष में वोट भी मांगे। हालांकि, कांग्रेस में तीन साल रहने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा टीएमसी चले गए। तृणमूल ने उन्हें आसनसोल लोकसभा उप चुनाव में उम्मीदवार बनाया। वहां से से अभी सांसद हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले 2019 में राहुल गांधी की सहमति के बाद कांग्रेस में गए थे शत्रुघ्न सिन्हा
घनश्याम तिवाड़ी को कराया था शामिल
राहुल गांधी ने घनश्याम तिवाड़ी को कांग्रेस में शामिल कराने को अनुमति दी है। राजस्थान की राजनीति में घनश्याम तिवाड़ी को सीनियर नेता के रूप में माना जाता है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें भाजपा से कांग्रेस में शामिल कराया गया। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जयपुर दौरे के दौरान उन्हें पार्टी में शामिल कराया। उनके अलावा सुरेंद्र गोयल को भी कांग्रेस की सदस्यता दिलाई गई थी। हालांकि, तिवाड़ी अधिक दिनों तक कांग्रेस में नहीं रह सके। 12 दिसंबर 2020 को उनकी घर वापसी हुई। भाजपा ने पिछले साल उन्हें राज्यसभा भेजकर ब्राह्मण कार्ड खेला था। हालांकि, राहुल गांधी का आरएसएस या भाजपा बैकग्राउंड के नेताओं को गले न लगाने की बात यहां पर गलत साबित होती है।
राजस्थान के सीनियर भाजपा नेता घनश्याम तिवाड़ी को कराया था कांग्रेस में शामिल
मनीष खंडूरी को कराया था शामिल
उत्तराखंड के सीनियर भाजपा नेता और पूर्व सीएम बीसी खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी को लोकसभा चुनाव 2019 से पहले कांग्रेस में शामिल कराया गया था। राहुल गांधी ने ही देहरादून की सभा में उन्हें कांग्रेस की सदस्यता दिलाई थी। गढवाल से उन्हें कांग्रेस ने टिकट भी दिया, लेकिन वे हार गए। मनीष खंडूरी का भाजपा से जुड़ाव जगजाहिर रहा है। पिता के साथ वे भी भाजपा में थे। लेकिन, टिकट नहीं मिलने के कारण वे कांग्रेस में चले गए। पिछले दिनों भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मनीष खंडूरी, राहुल गांधी के साथ कदमताल करते नजर आए थे।
उत्तराखंड के पूर्व सीएम बीसी खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी को भी कराया शामिल
वरुण को लेकर राहुल का अब ये बयान
पंजाब के होशियारपुर में भारत जोड़ो यात्रा के क्रम में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने अब वरुण गांधी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने वरुण के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों के बीच कहा कि चचेरे भाई वरुण और कांग्रेस की विचारधारा में बहुत अंतर है। उन्होंने कहा कि कोई मेरा गला भी काट दे तो भी मैं आरएसएस के कार्यालय में नहीं जाउंगा। पिछले दिनों भाजपा की नीतियों की आलोचना करने वाले वरुण गांधी के संबंध में राहुल गांधी ने कहा कि मैं उनसे मुलाकात कर सकता हूं। उन्हें गले लगा सकता हूं। लेकिन, मैं उस विचारधारा को स्वीकार नहीं कर सकता। यह असंभव है। उन्होंने कहा कि एक समय वरुण ने उस विचारधारा को अपनाया था। शायद अब भी उसे मानते हैं। इसलिए मैं उसे (विचारधारा को) स्वीकार नहीं कर सकता।
वरुण गांधी के भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि वह भाजपा में हैं। अगर वह यात्रा में शामिल होते हैं तो उन्हें समस्याओं का सामना पड़ेगा। मतलब, भाजपा आपत्ति कर सकती है। राहुल ने दावा किया कि वरुण गांधी ने एक बार उनसे कहा था कि आरएसएस अच्छा काम कर रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि तब हमने अपने चचेरे भाई से कहा था, अगर उन्होंने अपने परिवार के बारे में पढ़ा और समझा होता, तो उन्होंने ऐसी बात नहीं कही होती।
Varun Gandhi: जवाहरलाल नेहरू से कर दी खुद से तुलना, क्या कांग्रेस के और निकट पहुंचे वरुण गांधी?
क्या है राहुल गांधी के बयान का मतलब?
राहुल गांधी के ताजा बयान का सीधा सा अर्थ यह है कि वरुण गांधी को राहुल स्वीकार नहीं कर सकते हैं। विचारधारा के जरिए ही सही, राहुल गांधी ने वरुण गांधी की कांग्रेस में एंट्री बनने वाली किसी भी संभावना को इस समय खत्म कर दिया है। वैसे भी वरुण गांधी यूपी की राजनीति करते हैं। यहां पर कांग्रेस अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली से सोनिया गांधी को छोड़कर तमाम उम्मीदवार हार गए। यहां तक की अमेठी से राहुल गांधी भी हार गए थे। ऐसे में वरुण गांधी को कांग्रेस में लेने या उनके कांग्रेस ज्वाइन करने से बड़ा अंतर बनता नहीं दिख रहा है। वरुण गांधी ने पिछले दिनों खुद की तुलना प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से की। साथ ही, अखिलेश यादव क तारीफ की। ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी वे अपने अंदाज में कर रहे हैं। अगर भाजपा ने उनका टिकट काटा तो हो सकता है कि वरुण स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं।
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