पूर्व श्रम मंत्री, पूर्व गृह मंत्री और पूर्व कार्यवाहक प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) में पढ़ते हुए भारतीय मजदूरों पर शोध किया था और जब 1957 में लोकसभा का पहला चुनाव जीते तो इसी विशेषज्ञता के आधार पर उन्हें केंद्रीय श्रम मंत्री बनाया गया।
गुलजारी लाल नंदा ने वर्ष 1920 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग से परास्नातक की पढ़ाई पूरी की और वर्ष 1921 में विश्वविद्यालय के तत्कालीन अंग्रेज शिक्षक प्रो. जेवंस के निर्देशन में भारतीय मजदूरों पर शोध प्रारंभ किया। शोध के दौरान ही वह मुंबई के नेशनल कॉलेज में प्रोफेसर बन गए और अपना शोध मुंबई जाने के बाद पूरा किया।
तीन मई 1947 में जब अखिल भारतीय मजदूर संघ कांग्रेस (इंटक) का गठन किया गया तो गुलजारी लाल नंदा को भारतीय मजदूरों पर शोध के कारण इंटर का पहला सचिव बनाया गया। वहीं, वर्ष 1964 में पंडित जवाहर लाल नेहरू और 1966 में लाल बहादुर शास्त्री के निधन पर उन्हें दोनों बार 13-13 दिनों के लिए कार्यवाहक प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी भी सौंपी गई, उस वक्त वह गृह मंत्री थे।
इतिहासकार प्रो. हेरंब चतुर्वेदी बताते हैं कि उन पर गांधी का प्रभाव था और उनका जीवन बहुत ही सजह एवं सरल था। वर्ष 1915 में इकनॉमिक्स सोसाइटी के गठन के बाद दिसंबर 1916 में तत्कालीन म्योर सेंट्रल कॉलेज (वर्तमान में इविवि का भौतिक विज्ञान) में महात्मा गांधी का व्याख्यान आयोजित किया गया था। गुलजारी लाल नंदा भी गांधी को सुनने आए थे और गांधी के विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने अपने शोध के विषय का चयन किया था।
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