अमेरिका और पहले के USSR से विशेष भारत संप्रभु राष्ट्र है।
कुछ लोग और उनके दिशा निर्देशन की यह गलत धारणा है कि, “भारत एक राष्ट्र नहीं है, बल्कि राज्यों का एक संघ है।” ऐसे नेताओं को खोजा जाता है कि भारत प्राचीन राष्ट्र है। यहां हजारों वर्षों से सांस्कृतिक विकल्प हैं। क्लोजिंग जोडेऩे वाले प्राचीन संस्कृति है।
भारत की *एकता-अखंडता’ की विशेषताएं जड़ में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है।
1904 में मोहम्मद इकबाल ने हिंद का तराना लिखा,
*’यूनन मिस्त्रा रोम सब मिट गए जहां से,
अब तक मगर है, बाकी नामो-निशां हमारा।
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,
सदियों से चल रहा है दुश्मन का दौरा हमारा कहाँ ।.”
लेकिन, कुछ ब्लिट्ज बाद में ही यह कलम से निकला हुआ‘मुसलमान हैं हम, वतन है सारा कहाँ हमारा‘।
उक्त सन्दर्भ में यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इकबाल का जन्म 9 नवंबर 1877 को ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान में) के पंजाब प्रांत के सियालकोट में एक हिन्दू कश्मीरी परिवार में हुआ था। उनका परिवार कश्मीरी पंडित (सप्रू कबीले का) था जो 15वीं शताब्दी में इस्लाम में परिवर्तित हो गया था और जिसकी जड़ें दक्षिण कश्मीर के कुलगाम के एक गांव में थीं।
भारत की संस्कृति और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद एक ही अलग नहीं हैं। इसलिए हमारी यहां कई में एकता है। आसेतु हिमाचल प्रदेश एक संस्कृति है। मैं अपनी संस्कृति और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के कारण ही“विश्व गुरु’ के स्थान पर हैं। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में “वसुधैव कुटुंबकम ” की भावना समाहित है।
मार्क्सवादी विचारक दामोदर धर्मानंद कोसंबी ने ‘प्राचीन भारतीय संस्कृति और सभ्यता’ में लिखा है, ‘यहां अनेकता के साथ एकता है। पूरे देश की एक भाषा नहीं है। कई रंग वाले लोग हैं। अब तक जो कहा गया, उससे इस धारणा को बल मिल सकता है कि भारत कभी एक राष्ट्र नहीं रहा। यह भी कि भारत की सभ्यता और संस्कृति मुस्लिम या ब्रिटिश विजय की ही प्रस्तुति है। यदि ऐसा होता है तो भारतीय इतिहास केवल जीविका का ही इतिहास होता है।’ कोसंबी की नजर में विदेशी हमले के पहले भी भारत एक राष्ट्र था। वह याद करते हैं कि भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता अपने देश में इसकी झलक है।
हिंदी साहित्य के महान आलोचक डॉ रामविलास शर्मा उन गिने-चुने विचारकों में से थे मार्क्सवाद का भारतीय संदर्भ में सबसे शीर्षक व्याख्या की थी। बहुत-से इतिहासकारों की तरह डॉ रामविलास शर्मा भी मानते हैं कि आर्य ईरान आए भारत आए। इसलिए उनका डाकिया बहुत स्वभाविक है कि सूर्योपासना की शुरुआत ईरान में हुई थी। आर्य-अनार्य की बहस वास्तव में साम्राज्यवाद का हथियार बन रही है।
डा. रामविलास शर्मा ने हजारों साल प्राचीन राष्ट्र का शब्द चित्र प्रस्तुत किया है। वह ‘भारतीय नवजागरण और यूरोप’ में लिखते हैं कि किस देश में ऋग्वेद के ऋषि रहते हैं, उस पर दृष्टिपात करते हुए लिखा है, ‘यहां एक निश्चित देश का नाम लिया गया है।’
एक अन्य विद्वान पुसालकर ने नदी के नामों के आधार पर इसका समर्थन करते हुए राष्ट्र की रूपरेखा निर्धारित की है। इसमें अफगानिस्तान, पंजाब, अंशत: सिंध, राजस्थान पश्चिमोत्तर सीमांत प्रदेश, कश्मीर और सरयू तक का पूर्वी भारत शामिल है। डा. रामविलास शर्मा ने भारत को ऋग्वैदिककालीन राष्ट्र बताया है। उन्होंने कई विद्वानों का मत दिया है, ‘जिस देश में सात नदियां बहती हैं, वह वही देश है, जहां जल प्रलय के बाद और भरतजन के होने के बाद हड़प्पा सभ्यता का विकास हुआ। यह देश ऋग्वेद और हड़प्पाकाल के बाद का बहुत दिनों तक संसार का सबसे बड़ा राष्ट्र था।’ राष्ट्र केवल भूमि नहीं है। उस पर बसने वाले जन राष्ट्र हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष संजय पोर्खियाल ने यह भी स्पष्ट किया है कि राष्ट्र एकता का परिणाम नहीं होता है। राष्ट्र गठित का आधार रेलिजन, पंथ और मजहब नहीं होता। अथर्ववेद के एक में राष्ट्र के जन्म और विकास की कथा इस तरह है, ‘ऋषियों ने सबके कल्याण के लिए आत्मज्ञान का विकास किया। कड़ा तप किया। दीक्षा आदि का पालन किया। आत्मज्ञान, तप और दीक्षा से राष्ट्र के बल और ओज का जन्म हुआ।’ ‘ततो राष्ट्रं बलं अजायत।’
राष्ट्र संस्कृत शब्द है और राष्ट्र का अंग्रेजी अनुवाद है। राष्ट्र शब्द का उल्लेख ऋग्वेद में है। यजुर्वेद में है। अथर्ववेद में है। रामायण और महाभारत में है। राहुल गांधी का ज्ञान केवल नहीं बल्कि दयनीय है। उन्होंने जवाहर लाल नेहरू की भी बात खारिज की। नेहरू ने डिस्कवरी ऑफ इंडिया में भारत राष्ट्र को अति प्राचीन बताया है।
यूरोपीय संघ का उदाहरण है। यूरोपीय संघ समझौते से बना है। इसके सदस्य देशों की संप्रभुता है, लेकिन यूरोपीय संघ की नहीं। भारत में राष्ट्र संप्रभु है। राज्य संप्रभु राष्ट्र के संविधान के तहत छोटे संशोधित और बड़े भी हो सकते हैं। राज्य व्यवस्था मूल है। संविधान ने उन्हें कई अधिकार दिए हैं।
हमें भारत का संविधान संकीर्ण राज्यों की सीमाओं को बढ़ाने-घटाने के अधिकार से पेश किया जाना चाहिए। अमेरिका के राज्य हैं। उनका संघ और भारत का संघ विशेष है। अमेरिका अविनाशी राज्यों का संघ है।
डा. आंबेडकर ने संविधान सभा (25.11.1949) में अमेरिकी कथा सुनाई, ‘अमेरिकी प्रोटेस्टेंट चर्च ने देश के लिए प्रार्थना की पेशकश की कि हे ईश्वर हमारे राष्ट्र को आशीर्वाद दो।’ इस पर आपत्तिजनक हैं, क्योंकि अमेरिका राष्ट्र नहीं था। प्रार्थना हुई, ‘हे ईश्वर इन सयुंक्त राज्यों को आशीर्वाद दो।’
भारतीय राज्य जीवमान सत्ता है। यहां राष्ट्र आराधन के लिए राष्ट्रगान “जन गण मन . . है। राष्ट्रगीत “वन्दे मातरम” है। राष्ट्र का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज “तिरंगे के मध्य अशोक चक्र” है। राष्ट्रीय पक्षी मोर है। इसलिए राष्ट्र के अस्तित्व पर सवाल उठाना आपत्तिजनक है।
यह धरता सत्य है कि हमारी संस्कृति विश्व को जोड़ने का कार्य करती हैं। हम हमारे कर्म “वसुधैव कुटुंबकम” में समाहित हैं। भारतीय आत्मा की रचना अभिव्यक्ति सबसे पहले दर्शन, धर्म और संस्कृति के क्षेत्रों में हुई। भारत को ‘भारतमाता’ कहते हैं ही ‘हमारी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के संस्कार को दरशाता है। हमारी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ही यह पहचान है कि हम अपने देश में पत्थर, नदियां, पहाड़, पेड़-पौधे, पक्षी और संस्कृति को निरंतर पूजते हैं। हमारे देश के कामन-कण में शंकरजी का वास बताया जाता है।
संविधान के लेख-एक में भारत को राज्य का संघ बताया गया है, लेकिन उद्देशिका में स्पष्ट कहा गया है, ‘हम भारत के लोग भारत को संपूर्ण निरपेक्ष, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, गणतंत्र बनाने के लिए यह संविधान संगठित, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं। उद्देशिका में राष्ट्र की एकता, अखंडता सुनिश्चित करने वाले बंधुता का भी उल्लेख है।
महात्मा गांधी जी ने स्वाधीनता आंदोलन के दौरान राज्यों और पंथों के परस्पर समझौते का विकास किया था, यह कथन सही नहीं है। डा. आंबेडकर ने स्पष्टीकरण (04-11-1948) दिया था, ‘मसौदा समिति स्पष्ट करना चाहती है कि यद्यपि भारत एक संघ है, लेकिन यह संघ राज्यों के परस्पर समझौते का परिणाम नहीं है।’ भारत संप्रभु राष्ट्र राज्य है। वह किसी समझौते का परिणाम नहीं है। संप्रभु राष्ट्र ने देश की व्यवस्था सही ढंग से चलाने के लिए राज्यों का गठन किया। राष्ट्र ही राज्य बनाए।
पिछले कुछ समय से राहुल गांधी लगातार भारत के विचार पर सवाल उठा रहे हैं। फरवरी 2022 में, राहुल गांधी ने भारतीय संसद में कहा था कि भारत सिर्फ “राज्यों का संघ” था, न कि एक राष्ट्र। लेकिन इस बार लंदन के कैम्ब्रिज में। उनकी दृष्टि में भारत एक राष्ट्र नहीं है। ये राज्य के पारस्परिक समझौते से बना संघ राज्य है। अमेरिका का संविधान उन्हें ज्यादा याद क्यों रखता है। हम अमेरिका नहीं हैं जहां लोगों को राज्यों के फैसले भी लागू होते हैं और देश की भी। हम एक हैं। हम भारत हैं। जूनियर सहूलियत के लिए राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारों का बंटवारा हो गया है। लेकिन राष्ट्र के तौर पर हमारे अस्तित्व को कोई चुनौती नहीं दे सकता, यह भारत की जनता स्वीकार नहीं करेगी।
कैंब्रिज विश्वविद्यालय मंगलवार 23 मई 2022 को ‘इंडिया एट 75’ नामक कार्यक्रम में राहुल गांधी पहुंचे थे। जहां पर कॉरपस क्रिस्टी कॉलेज में इतिहास के सहयोगी और भारतीय मूल के शिक्षाविद डॉक्टर श्रुति कपिला ने उनसे सवाल किए थे।
कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता राहुल गांधी कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र के साथ बातचीत में भारत को राज्यों का संघ के रूप में विवरण किया। कांग्रेस नेता ने कहा कि “भारत एक राष्ट्र नहीं है, बल्कि राज्यों का एक संघ है।“
लंदन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आमना-सामना भारतीय सिविल सेवा अधिकारी सिद्धार्थ वर्मा से हुआ। पूरे कार्यक्रम के दौरान दोनों के बीच राष्ट्र और राज्य के मुद्दे पर जोरदार सवाल-जबाब हुए। सिद्धार्थ वर्मा ने 24 मई को एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी की ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ पर आपत्ति जताई थी।
रेलवे निगरानी सेवा के अधिकारियों ने राहुल गांधी के ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ पर सवाल उठाया, ‘क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि एक राजनीतिक नेता होने के संबंध में आपके दस्तावेजों में न सिर्फ दस्तावेज और गलतियां हैं, बल्कि यह खतरनाक भी है, क्योंकि यह हजारों सालों के इतिहास को नकारता है।’
सिद्धार्थ वर्मा गांधी ने कहा कि ‘आपने सविंधान के लेख 1 का उल्लेख किया है, जिसमें भारत को राज्य का संघ (राज्यों का संघ) कहा गया है। यदि आप पन्ना पलटेंगे और प्रस्तावना को पढ़ेंगे तो वहां भारत को एक राष्ट्र बताया गया है। भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है और यहां के वेदों (वेदों) में भी राष्ट्र शब्द का उल्लेख है। हम एक बहुत पुरानी सभ्यता हैं। यहां तक कि जब चाणक्य (चाणक्य) तक्षिला में छात्रों को पढ़ते थे तो उन्होंने भी स्पष्ट तौर पर कहा, आप सब अलग-अलग जनपदों से हो सकते हैं, लेकिन आप सभी एक राष्ट्र से जुड़े हैं और भारत है। भारत का सिर्फ एक दृष्टिकोण एक राजनीतिक अस्तित्व नहीं है, जिसका इतिहास 75 साल का हो सकता है, बल्कि भारत वर्ष हजारों वर्षों से अस्तित्व में है और अनंत काल तक रहेगा..’
अधिकारियों ने एक बार फिर राहुल गांधी से कहा, नहीं, नेशन का संस्कृत अनुवाद राष्ट्र होता है।
इस पर राहुल गांधी ने दिया जवाब, ‘क्या उन्होंने नेशन शब्द का इस्तेमाल किया था?’ तो सिद्धार्थ ने कहा कि उन्होंने ‘राष्ट्र’ शब्द का इस्तेमाल किया था।’ राहुल ने कहा, ‘राष्ट्र साम्राज्य है।’ फिर अधिकारियों ने कहा, ‘नहीं, राष्ट्र, राष्ट्र का संस्कृत शब्द है।’
हालांकि, राहुल ने जोर देकर कहा कि “राष्ट्र” का अर्थ “राज्य” है, न कि “राष्ट्र”।
राष्ट्र को स्पष्ट करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि “राष्ट्र” का अर्थ “राज्य” है, न कि “राष्ट्र”।
राष्ट्र शब्द एक पश्चिमी अवधारणा है”, राष्ट्र-राज्यों की अवधारणा पश्चिम में हुई थी और भारत केवल राज्यों का एक संघ था। इस पर सिद्ध वर्मा ने उनका यह कहते हुए विरोध किया, “इसलिए जब मैं राष्ट्र के बारे में बात करता हूं, तो मैं केवल राजनीतिक पहल के बारे में बात नहीं करता क्योंकि हमारे पास दुनिया भर में ये प्रयोग किए जा रहे हैं। आपके पास एक्सेस था, आपके पास यूगोस्लाविया था, आपके पास संयुक्त अरब गणराज्य था। इसलिए जब तक राष्ट्रों में एक मजबूत सामाजिक-सांस्कृतिक और मिश्रित बंधन और एक मिश्रित संस्कृति नहीं, एक संविधान एक राष्ट्र नहीं बना सकता।
राहुल गांधी ने फिर कहा, राष्ट्र का मतलब साम्राज्य होता है।
यह तर्क संगत धर सच है कि भारत प्राचीन राष्ट्र है। यहाँ हज़ार साल से वित्तीय fx है। अलंकार जोड़ाऩे वाला प्राचीन संस्कृति है..”?
अंग्रेजीराज में सुनियोजित प्रचार हुआ कि भारत को अंग्रेजों ने ही राष्ट्र बनाया। गांधी जी इस मत के विरोधी थे। उन्होंने ‘हिंद स्वराज’ में लिखा है, ‘आप अंग्रेजों ने यही सिखाया है कि आप एक राष्ट्र नहीं थे। यह बात बिल्कुल बेबुनियाद है। जब अंग्रेज हिंदुस्तान में नहीं थे, तब भी हम एक राष्ट्र थे। उसी अंग्रेज ने यहां एक राज्य कायम किया।’ गांधी जी के अनुसार भारत एक राष्ट्र था और है।
*
संविधान में उल्लिखित लेखा-जोखा 1 की परिभाषा पढ़ी जा सकती है और समझा जा सकता है कि राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है। ये ऐसी है जो संघ है जो तितर-बितर नहीं हो सकता।
इसके संविधान में लेकर असल में क्या लिखा है। संविधान का पहला लेखा-जोखा ही भारत को परिभाषित करता है।
पोस्ट अमेरिका से संबंधित भारतसंप्रभुराष्ट्र: अमेरिका के विपरीत भारत एक संप्रभु राष्ट्र है सबसे पहले सामने आया सांस्कृतिक राष्ट्रवाद.
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