प्रदेश सरकार शहरों के सर्वांगीण विकास और नागरिकों को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये कृत-संकल्पित है। यह बात सिर्फ कहने के लिये नहीं है, बल्कि इसे धरातल में उतारने के लिये लगातार सफल प्रयास किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के मार्गदर्शन में शहरों का चहुँमुखी विकास अनवरत जारी है। इस वर्ष हुए नगरीय निकाय निर्वाचन में 1761 पार्षद 35 वर्ष से कम आयु के हैं। यह युवा जोश नगरों के विकास की धुरी बनेगा।
शिवराज सरकार ने नई सोच और नवाचार को खुले मंच से अपनाया है। इंदौर में एशिया का सबसे बड़ा कचरे से सीएनजी बनाने का गोबर धन प्लांट इसी सोच का परिणाम है। इसमें सीएनजी के अलावा 100 टन जैविक खाद का निर्माण भी रोज हो सकेगा। यह प्रधानमंत्री जी के “वेस्ट से बेस्ट” मंत्र को कार्य रूप देने का जीता जागता उदाहरण है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग शहरों में अधोसंरचना विकास, पेयजल, स्वच्छता के साथ ही झीलों और तालाबों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये विभिन्न योजनाएँ एवं मिशन का संचालन करता है। जरूरतमंदों के लिये जहां निकायों में दीनदयाल रसोई योजना संचालित है, वहीं नगरों की दिशा एवं दशा बदलने के लिये अमृत, हाउसिंग फॉर ऑल, स्मार्ट सिटी, स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन और पीएम स्व-निधि जैसी योजना लागू हैं। जन कल्याण की दिशा में हमारी सरकार ने लगभग 770 संजीवनी क्लीनिक के निर्माण एवं जीर्णोद्धार के लिये 121 करोड़ की राशि स्वीकृत की है।
हमारा विभाग देश भर में अपनी सार्थकता सिद्ध कर रहा है। इंदौर को राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वे में लगातार 6वीं बार सिरमोर बना है। वहीं हमारा प्रदेश भी स्वच्छता में नंबर वन है। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के क्रियान्वयन में हमारे प्रदेश को बेस्ट परफार्मिंग स्टेट अवार्ड की श्रेणी में दूसरे स्थान का अवार्ड प्रधानमंत्री के हाथ से प्राप्त हुआ है। इस योजना को अन्य योजनाओं के साथ कन्वर्जेन्स करने वाले तथा प्रचार-प्रसार गतिविधियों का संचालन करने वाले सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार भी मिला है। पीएमएवाय अवार्डस-2021:150 डेज चेलेंज में मध्यप्रदेश को उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर कुल 9 श्रेणी में अवार्ड प्राप्त हुए हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में भोपाल को पाँच स्टार रेटिंग के साथ देश की स्वच्छतम स्व संवहनीय राजधानी का स्थान मिला है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में प्रदेश को 16 राष्ट्रीय अवार्ड मिले है। इंडिया स्मार्ट सिटी काँटेस्ट-2020 में मध्यप्रदेश को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। साथ ही विभिन्न श्रेणियों में कुल 20 में से 11 अवार्ड प्रदेश को मिले हैं। ईट-स्मार्ट सिटीज चैलेंज में देश में प्रथम 11 शहरों में मध्यप्रदेश के चार शहर इंदौर, जबलपुर, सागर तथाउज्जैन को पुरस्कृत किया गया। पीएम स्व-निधि योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है। योजना में 6 लाख 87 हजार 192 पथ विक्रेताओं को ऋण वितरित किया जा चुका है। इनमें से 2 लाख 26 हजार पथ विक्रेता डिजिटल लेन-देन में सक्रिय है। इसके परिणामस्वरूप इन्हें 3 करोड़ 43 लाख रूपये केशबैक के रूप में मिल चुके है। इंदौर को शहरी यातायात में अभिनव वित्तीय प्रबंधन के लिये भारत सरकार द्वारा सबसे प्रतिष्ठित “अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस” दिया गया है।
प्रदेश के सभी निकायों में विभिन्न योजनाओं से पेयजल की पूर्ति के लिये (वर्ष 2005 से 2020 तक) 12 हजार 600 करोड़ का निवेश किया गया है। विगत 5 वर्ष में 13 लाख 88 हजार पानी के कनेक्शन दिये गये है। अमृत 2.0 में सभी नगरीय निकायों तक पेयजल और सीवरेज योजनाओं का विस्तार किया जाएगा। इसमें आगामी 5 वर्ष में लगभग 12 हजार 858 करोड़ 71 लाख रूपये का निवेश किया जाएगा। विगत 5 वर्षों में 3 लाख सीवेज कनेक्शन दिये गये है। स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के माध्यम से सभी शहरों को कचरा मुक्त बनाने और अपशिष्ट जल प्रबंधन के लिये आगामी 5 वर्षो में 4 हजार 913 करोड़ 74 लाख रूपये का निवेश किया जाएगा। वर्ष 2021-22 में मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना योजना में तीन चरणों में निकायों को लगभग 3 हजार 470 करोड़ 85 लाख रूपये के कार्यों की स्वीकृति दी गई है। चौथे चरण में 1700 करोड़ रूपये की योजना प्रस्तावित है। प्रदेश की 7 स्मार्ट सिटी द्वारा 20 हजार करोड़ के निवेश की कार्य योजना पर काम किया जा रहा है। लगभग 2500 करोड़ का निवेश स्मार्ट सिटी कम्पनियों द्वार स्वयं के संसाधनों तथा भूमि के व्यवसायिक उपयोग के माध्यम आगामी कुछ वर्षों में किया जाएगा। शहरी लोक परिवहन में 1500 बसों का संचालन किया जाएगा। भोपाल, इंदौर और जबलपुर में इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन को प्रोत्साहित करने के लिये 217 ई-चार्जिंग स्टेशन बनायें जाएंगे। नगरीय क्षेत्रों में वर्ष 2003-04 से अभी तक 1 लाख 53 हजार 980 हितग्राहियों को आवासीय पट्टे देकर उन्हें आवास का अधिकार दिया गया है।
प्रदेश सरकार विकास के साथ ही जन-कल्याण के कार्यों में भी अग्रणी है। दीनदयाल रसोई योजना में केन्द्रों की संख्या 56 से बढ़ाकर 100 की गई है और अब इसे हर शहर में चालू करने का निर्णय लिया गया है। भवनों में अग्नि से सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से फायर सेफ्टी के संबंध में दिये जाने वाले अनापत्ति प्रमाण-पत्र संबंध पूर्व के सभी निर्देशों को अधिक्रमित कर नये निर्देश जारी किये गये है। नगर निगमों के लिये आयुक्त नगर पालिक निगम, नगर पालिका एवं नगर परिषद् के लिये संभागीय संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास और छावनी परिसर के लिये अधिशासी अधिकारी को अग्निशमन प्राधिकारी घोषित किया गया है। साथ ही एक्सप्लोसिव एक्ट के संबंधी शहरी क्षेत्र के प्रकरणों के लिये कलेक्टर को सक्षम प्राधिकारी घोषित किया गया है। नगरीय निकायों में एल्डरमेन की संख्या बढ़ाई गई है। ऐसे नगर निगम जिसकी जनसंख्या एक लाख से अधिक है उनमें एल्डरमेन की संख्या 6 से बढ़ाकर 12, अन्य नगर निगमों में 6 से 8, नगर पालिकाओं में 4 से 6 तथा नगर परिषदों में 2 से बढ़ाकर 4 की गई है। नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए 23 नागरिक सेवाओं को ई-नगर पालिका के माध्यम से ऑनलाइन दिया जा रहा है। कम्पाउंडिंग की सीमा को 10 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर नागरिकों को सहूलियत दी गई है। ऑनलाइन भवन अनुज्ञा की समय-सीमा को 30 से घटाकर 15 दिन किया गया है। अवैध कालोनियों के नियमितिकरण तथा कालोनी विकास के प्रावधान में संशोधन करके आम नागरिकों को राहत दी गई है। अब किसी भी कालोनाइजर को कॉलोनी बनाने के लिये अलग-अलग नगरीय निकायों में लायसेंस लेने की आवश्यकता नहीं है। प्रदेशस्तरीय लायसेंस से सभी निकायों में काम कर सकेगा। सम्पत्ति कर के संबंध में नये नियम बनाये गये है। अब कर योग्य सम्पत्ति मूल्य में वृद्धि को सम्पत्ति के बाजार मूल्य में वृद्धि से जोड़ा गया है। नगरीय निकायों में मिसिंग प्रोपर्टिज को चिन्हित करने के लिये जीआईएस सर्वे किया जा रहा है।
अभी 19 दिसम्बर को हुए नगरीय निकायों के जन-प्रतिनिधियों की कार्यशाला में मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा जन-प्रतिनिधियों के मानदेय और भत्ते दोगुना करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश के 14 नगरों में आकाशीय मार्ग के लिये रोप-वे बनाने, नवगठित नगरीय निकायों में कार्यालय भवन के लिये एक-एक करोड़ रूपये और अन्य व्यवस्थाओं के लिये 80-80 लाख रूपये देने का निर्णय लिया गया है। सड़कों के पुर्ननिर्माण के लिये 770 करोड़ रूपये देने का भी निर्णय लिया गया है। सफाई कर्मचारियों के लिये समूह बीमा योजना में दुर्घटना जनित मृत्यु पर अब दो लाख के स्थान पर पाँच लाख रूपये मिलेंगे।
इस तरह से शहरों के विकास की गंगा लगातार प्रवाहमान हो रही है। इसे और अधिक गति देने के लिये निर्वाचित जन-प्रतिनिधि, नागरिक और विभागीय अमला मिलकर के परिश्रम की पराकाष्ठा करेंगे।
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