इलाहाबाद हाईकोर्ट में अब हिंदी सहित किसी भी भारतीय भाषा में लिखी गई एफआईआर का अंग्रेजी में अनुवाद हो सकेगा। इतना ही नहीं यह विधिक शब्दावली के अनुरूप भी होगा। इसके लिए हाईकोर्ट के तकनीकी अधिकारियों की टीम ने एक ऑटो-ड्राइवेन सिस्टम विकसित किया है। इस उपलब्धि के लिए बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की ओर से टीम के सदस्यों को सम्मानित किया गया।
इस व्यवस्था को ‘हिंदी टू इंग्लिश ट्रांसलेशन सिस्टम एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी (एएचसीटीएस एंड एएल) नाम दिया गया है। इसे विकसित करने वाली टीम में तकनीकी ऑफिसर/सिस्टम एनॉलिस्ट आलोक कुमार मिश्रा, आरओ अंकित सिंह, अभिषेक कुमार सिंह, अमित कुमार वर्मा, जया श्रीवास्तव शामिल रहीं। पांचों अधिकारियों ने कंप्यूटराइजेशन कमेटी के चेयरमैन की अगुवाई में इस तकनीकी विधा को विकसित किया।
इससे केसों की मैनुअली फीडिंग कम की जा सकेगी। इसमें एफआईआर भी शामिल है। इस सिस्टम की खास बात यह भी है कि इस पर ऑफलाइन मोड में भी काम किया जा सकता है। फिलहाल इसे केवल हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद के लिए प्रयोग किया जा रहा है। लेकिन, भविष्य में अन्य भाषाओं का अंग्रेजी में अनुवाद किया जा सकेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में अब हिंदी सहित किसी भी भारतीय भाषा में लिखी गई एफआईआर का अंग्रेजी में अनुवाद हो सकेगा। इतना ही नहीं यह विधिक शब्दावली के अनुरूप भी होगा। इसके लिए हाईकोर्ट के तकनीकी अधिकारियों की टीम ने एक ऑटो-ड्राइवेन सिस्टम विकसित किया है। इस उपलब्धि के लिए बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की ओर से टीम के सदस्यों को सम्मानित किया गया।
इस व्यवस्था को ‘हिंदी टू इंग्लिश ट्रांसलेशन सिस्टम एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी (एएचसीटीएस एंड एएल) नाम दिया गया है। इसे विकसित करने वाली टीम में तकनीकी ऑफिसर/सिस्टम एनॉलिस्ट आलोक कुमार मिश्रा, आरओ अंकित सिंह, अभिषेक कुमार सिंह, अमित कुमार वर्मा, जया श्रीवास्तव शामिल रहीं। पांचों अधिकारियों ने कंप्यूटराइजेशन कमेटी के चेयरमैन की अगुवाई में इस तकनीकी विधा को विकसित किया।
इससे केसों की मैनुअली फीडिंग कम की जा सकेगी। इसमें एफआईआर भी शामिल है। इस सिस्टम की खास बात यह भी है कि इस पर ऑफलाइन मोड में भी काम किया जा सकता है। फिलहाल इसे केवल हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद के लिए प्रयोग किया जा रहा है। लेकिन, भविष्य में अन्य भाषाओं का अंग्रेजी में अनुवाद किया जा सकेगा।
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