23-12-2022
सरकार से यह मांग की जा सकती है कि वह शिक्षा को व्यापार बनाने की तेजी से बढ़ी प्रवृत्ति के खिलाफ पहल करे। हालांकि भारत में सरकारें जिस फिलॉसफी से चल रही हैं, उसके बीच ऐसा होने की संभावना कम ही है।
जब शिक्षा ज्ञान-विज्ञान का स्रोत ना रह कर विशुद्ध रूप से बिजनेस बन जाती है और समाज भी उसे उसी रूप में देखने लगता है, तब शिक्षा के गोरखधंधे का फैलना कोई अस्वाभाविक बात नहीं होती। एक कंपनी जब शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को नौकरी से हटा कर उसी समय करोड़ों रुपये में ब्रांड अंबेसडर से करार करती हो, तो उसके मॉडल में समस्या है, यह बात खुद ही सबको समझ में आ जानी चाहिए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं है। अब एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑनलाइन लर्निंग उपलब्ध करवाने वाली कंपनी बायजूÓस के खिलाफ हजारों शिकायतें आ रही हैं। हालांकि 75 लाख ग्राहकों वाली इस कंपनी ने उस पर लगाए गए आरोपों का खंडन किया है, लेकिन ऐसे लोग सामने आए हैं, जिन्होंने कहा है कि कंपनी ने उन्हें धोखा दिया गया। पहले सोशल मीडिया और कंज्यूमर वेबसाइटों पर कंपनी के खिलाफ शिकायतें आ रही थीं। अब समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बायजूÓस के 22 ग्राहकों से बात कर एक रिपोर्ट पेश की है।
उन ग्राहकों में से अधिकतर कम आय वाले परिवार के लोग हैं। उनका आरोप है कि कंपनी के सेल्स विभाग के लोगों ने बहुत आक्रामक अभियान चला कर उन्हें कोर्स खरीदने को मजबूर किया। वे धन बटोर ले गए। लेकिन जो वादा किया था, वह पूरा नहीं किया गया। उन लोगों का इल्जाम है कि कंपनी के सेल्समेन ने उनकी अपने बच्चों को श्रेष्ठ शिक्षा उपलब्ध कराने की इच्छा का फायदा उठाया। इन आरोपों पर बायजूÓस ने कहा है- हमने कभी अपने सेल्सपर्सन और मैनेजर्स कभी को ऐसे लोगों से बात करने को नहीं कहा, जो हमारे उत्पादों को खरीद नहीं सकते या खरीदना नहीं चाहते। जबकि सेल्समेन ने मीडिया को बताया है कि उन पर हमेशा टारगेट पूरा करने का दबाव रहता था। जाहिर है, ऐसी समस्याओं का मौजूदा माहौल में कोई कानूनी समाधान उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद सरकार से यह मांग जरूर की जा सकती है कि वह शिक्षा को व्यापार बनाने की तेजी से बढ़ी प्रवृत्ति के खिलाफ पहल करे। हालांकि भारत में हाल के दशकों में सरकारें जिस फिलॉसफी से चल रही हैं, उसके बीच ऐसा होने की संभावना कम ही है।
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