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शासन की योजनाओं का मिला लाभ,

कृषि के क्षेत्र में विकास के साथ जीवन स्तर में बदलाव की एक बानगी देखने को मिल रही विकासखण्ड पुसौर के ग्राम लंकापाली निवासी कृषक श्री रघुवीर सिंह चौधरी के जीवन में, जिन्होंने शासन की योजनाओं का लाभ लेकर आज लाखों रुपये कमा रहे है। श्री रघुवीर सिंह चौधरी के बेटे श्री अशोक चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत उन्होंने एक एकड़ में शेड नेट हाउस बनवाया। जिसमें उनके द्वारा ली गई सब्जियों की क्वालिटी और तैयार होने का समय कम लग रहा है। श्री चौधरी बताते है कि शेडनेट हाउस के माध्यम से साल में तीन फसल ले रहे है, जिससे 9 से 10 लाख रुपये तक का शुद्ध लाभ होता है। इसमें विभागीय योजना द्वारा बीज खाद भी प्रदान किया गया था। इसके साथ ही उन्होंने कृषि के लिए शासन की सहायता से ट्रैक्टर भी खरीदा है। जिससे अब उन्हें कम मेहनत में अधिक उत्पादन मिल रहा है।
श्री चौधरी ने बताया कि बाजार में मांग और बेहतर मूल्य मिल सके इन सभी चीजों को ध्यान में रख कर फसल ली जाती है, जिससे उन्हें अच्छा लाभ मिलता है। नेट हाउस का सबसे बड़ा फायदा इसमें बारिश में भी फसल ले सकते है जिसमें खाद भी कम लगता है और फसल जल्दी तैयार हो जाती है। इसमें फसल की देख-रेख कम करनी पड़ती है और सब्जी की क्वालिटी भी अच्छी होती है। उन्होंने बताया कि पूर्व में ऑफ  सीजन में गोभी लगाकर लगभग 150 से 180 क्विंटल उत्पादन किया। जिससे लगभग 2 लाख 50 हजार रुपये प्राप्त हुआ। इसी प्रकार उन्होंने पिछले साल सीजन में फूल गोभी, पत्ता गोभी और धनिया का फसल लिया, जिससे उन्हें साल भर में लगभग 9 लाख 47 हजार का शुद्ध लाभ हुआ। इस वर्ष भी उन्होंने 16 हजार गोभी के पौधे लगाए है, जिसका बाजार मूल्य लगभग 2 लाख रुपये तक होगा। इसके साथ ही टमाटर और परवल भी लगाए है। इस साल भी वे 3 फसल सब्जियों का लेकर लगभग 10 लाख रुपये तक की आय अर्जित करेंगे। उन्होंने बताया कि इसमें विभागीय योजनाओं का लाभ और मार्गदर्शन महत्वपूर्ण योगदान है, जिससे आज वे लाखों कमा रहे है, आज वो शासन की योजना का लाभ लेकर एक ट्रेक्टर भी खरीद चुके है। इसके अलावा छोटे कृषि यंत्र और स्वयं के लिए बाइक जिससे कृषि में आसानी हो रही है और अधिक लाभ कमा रहे है।  
जैविक खाद व आधुनिक यंत्रों के समावेश से कृषि हुई आसान और लाभदायक
कृषक श्री चौधरी कहते है वे कृषि में जैविक खाद का इस्तेमाल करते है, इससे रासायनिक खाद का उपयोग 50 प्रतिशत कम होने के साथ उत्पादन में वृद्धि हो चुकी है। वे जैविक खाद स्वयं बनाने के साथ ही सोसाइटी में विक्रय किए जाने वाले जैविक खाद का उपयोग करते है। इससे खाद पूर्ति के साथ पैसे की बचत होती है। इसके अलावा छोटा टिलर, ड्रिप सिंचाई, मल्चीन जैसे आधुनिक उपकरण व तकनीक उपयोग से कृषि में आसानी और समय की बचत हो रही है।