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“पहले हमारा एक कच्चा सा छोटा सा झोपड़ा था जिसमें हम दोनों पति पत्नी, मेरे माता पिता और दोनों बच्चे रहते थे। बारिश के दिनों में पूरे झोपड़े में पानी टपकता था
बाहर बारिश बंद हो जाती लेकिन झोपड़े के अंदर लंबे समय तक गीलापन रहता। ठंड में झोपड़े में रात काटना मुश्किल होता। वैसे भी झोपड़ा बहुत ही छोटा था। घर पर कोई मेहमान आ जाए तो आधे लोग अंदर और आधे बाहर सोते थे। बहुत मुश्किल से गुजर हो रही थी। जब मुझे प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में पता चला तो इसके लिए मैंने ग्राम पंचायत सचिव को और फिर लोक सुराज समाधान शिविर में अपना आवेदन दिया। करीब दो माह में मेरा आवेदन मंजूर हो गया और आवंटितों की सूची में मेरा नाम आ गया। अधिकारियों ने मुझे आश्वासन दिया हे कि जल्द ही मुझे मकान का आवंटन हो जाएगा”।
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