आगरा: स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने एक नवजात की जिदंगी छीन ली। अगर मौके पर स्टाफ होता तो एक मां का लाल जिंदा होता। मामला उत्तर प्रदेश आगरा के बरहन क्षेत्र का है। आंवलखेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव के लिए पहुंची एक प्रसूता को जब डॉक्टर नहीं मिले तो नर्स ने उसकी डिलीवरी करा दी। डिलीवरी में उसके नवजात की मौत हो गई। परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का का आरोप लगाया है। बरहन क्षेत्र के गांव बैनई कला के रहने वाले विनोद कुमार ने अपनी पत्नी गुड़िया देवी को प्रसव पीड़ा होने में सीएचसी पर भर्ती कराया था। यह मामला मंगलवार शाम करीब सात बजे के बाद का है।विनोद कुमार ने बताया कि शाम को अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। मौके पर उसे नर्स विनीता सौनी मिलीं। उन्होंने उनकी पत्नी का प्रसव कराया।
गुड़िया को लड़का पैदा हुआ, लेकिन थोड़ी ही देर बाद उसके बच्चे की मौत हो गई। सीएचसी प्रभारी डॉ. सुनील कुमार का कहना है कि बच्चे को जिंदा हालात में आगरा रेफर किया गया था। अगर समय पर प्रसूता को आगरा रेफर कर दिया जाता तो नवजात की जिदंगी बच जाती। इधर सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव का कहना है कि रात में फीमेल डॉक्टर की उपलब्धता नहीं है, लेकिन इमरजेंसी में डॉक्टर का होना अनिवार्य है। इस मामले की जांच करवाई जाएगी।
ओटी में प्रसूता के परिजनों ने की मदद
जब प्रसूता के परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे तो सीएचसी पर केवल एक नर्स मौजूद थी। नर्स प्रसूता को ऑपरेशन थियेटर में ले गई। कोई भी डिलीवरी स्टाफ मौके पर मौजूद नहीं था। इसलिए प्रसूता की चचिया सास और दो बुजुर्ग महिलाओं ने ओटी में नर्स की मदद की थी।
आगरा से ऑटो में लेकर आए थे शव
विनोद कुमार ने बताया कि जब बच्चे की तबियत बिगड़ गई तो उसे नर्स ने आगरा ले जाने की सलाह दी। एंबुलेंस से आगरा लेकर गए थे, लेकिन वहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। लौटने समय एंबुलेंस नहीं मिली। ऑटो में नवजात के शव को घर लेकर आए थे। विनोद ने बताया कि आगरा से लौटते समय उन्हें रात के ढाई बज गया था, बीच में ऑटो भी खराब हो गया।
रिपोर्ट – सुनील
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