यह दुर्भाग्य की बात रही कि आजाद भारत की कांग्रेसी सरकारों द्वारा न तो पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक विकास के लिए ठोस जमीनी प्रयास किए गए और न ही उनके सामरिक महत्व की पहचान करने पर ही ध्यान दिया गया। इस वजह से इस हिस्से के प्रति शेष देश में सहज अपनत्व की भावना कम ही रही है। हालांकि 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद पूर्वोत्तर भारत पूर्ण विकास पर जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि देश के हर राज्य का संतुलित और तीव्र विकास हो ताकि देश आत्मनिर्भर बन सके। इस सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी सत्तर साल से उपेक्षित पूर्वोतर भारत में विकास की नई कहानी गढ़ रहे हैं। पिछले सात वर्षों में पूर्वोत्तर के 8 राज्यों में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है। मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर के लिए ‘एक्ट ईस्ट’ का संकल्प लिया है। इसके तहत इस क्षेत्र को मिले प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर लोगों को सामर्थ्यवान बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक़ देश की आजादी के बाद सभी प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर जितनी बार गए हैं, प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी अकेले उससे अधिक बार (50 से अधिक) पूर्वोत्तर के राज्यों का दौरा कर चुके हैं, इससे यहां विकास को तेज रफ्तार मिल रही है। इसके अलावा उनकी ‘एक्ट ईस्ट’ विदेश नीति का लाभ पूर्वोत्तर के राज्यों को मिल रहा है। भारत-म्यांमार-थाइलैंड सुपर हाईवे इसी का नतीजा है। साथ ही, पूर्वोत्तर के लिए अलग टाइम जोन की मांग पर भी अब विचार किया जा रहा है।
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