आपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हमेशा पत्र लिखते तथाकथित बुद्धिजीवियों और नौकरशाहों के बारे में सुना होगा। एक खास एजेंडे से प्रेरित ये तथाकथित सेक्युलर और लिबरल बुद्धिजीवी प्रधानमंत्री मोदी की छवि खराब करने की कोशिश करते रहते हैं। लगता है ऐसे बुद्धिजीवियों की करतूतों के बारे में ऑस्ट्रेलिया के प्रोफेसर और सोशियोलॉजिस्ट सैल्वाटोर बेबोनेस ने गहन अध्ययन किया है। सैल्वाटोर बेबोनेस ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के मंच पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के साथ बातचीत करते हुए भारत के ऐसे सेक्युलर और लिबरल बुद्धिजीवियों को प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी और देश विरोधी बताया और उन्हें आईना दिखाने की कोशिश की। उन्होंने हंगर इंडेक्स और प्रेस फ्रीडम के सर्वे पर भी सवाल उठाया।
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन शनिवार (5 नवंबर, 2022) को ‘डेमोनाइजिंग अ डेमोक्रेसी’ सेशन के तहत सिडनी विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सल्वाटोर बाबोन्स ने भारतीय लोकतंत्र, फासीवाद और वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को लेकर विस्तार से चर्चा की।उन्होंने कहा कि भारत को फासीवादी दर्शाने के पीछे भारत का बुद्धिजीवी वर्ग और ग्लोबल मीडिया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक मीडिया और दुनिया के पास भारत के बारे में सही जानकारी नहीं है।
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