कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के वैज्ञानिक डॉ. एसके तोमर का कहना है कि यदि सरसों की बुवाई समय से की जाए तो बेहतर उत्पादन हो सकता है। सरसों की बुआई 15 अक्तूबर से शुरू हो जाती है, जो नवंबर की शुरूआत तक की जाती है। जिन किसानों को सरसों की बुआई करनी है, उन्हें तत्काल कर देना चाहिए।
डॉक्टर तोमर का कहना है कि सरसों की बुआई लाइन से लाइन में करनी चाहिए। लाइन से लाइन की दूरी 45 सेमी होनी चाहिए। किसी यदि देसी प्रजाति की सरसों की बुआई यदि करना चाह रहे हैं तो आरएच 725, आरएच 749, बृजराज राधिका की बुवाई करें।
यदि पीला सरसों की बुआई करना चाह रहे हैं तो पितांबरी, नरेंद्र राई 8501 की बुआई कर सकते हैं। यदि कोई किसान हाईब्रिड बीज की बुआई करना चाह रहा है तो उसकी कई प्रजातियां बाजार में उपलब्ध हैं। गोरखपुर में पिछले साल पाइनियर की 45 एस 46 की बुआई जिन किसानों ने की थी उसकी पैदावार शानदार हुई थी। एक हेक्टेयर में 25 क्विंटल से अधिक पैदावार हुई थी।
कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष एवं वैज्ञानिक डॉ. तोमर ने बताया कि सामान्य सरसों की बुआई में एक एकड़ खेत में 50 किलो ग्राम डीएपी 10 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग करें। 100 किलो ग्राम यूरिया का प्रयोग शुरू से लेकर अंत तक करना चाहिए। सल्फर, डाई का प्रयोग बुआई के समय करें, जबकि यूरिया का प्रयोग खड़ी फसल में करें। किसान चाहें तो सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग कर सकते हैं। पर इसकी मात्रा अधिक होगी। एक एकड़ खेत में तीन बोरी सुपर फास्फेट का प्रयोग करें। उसमें नाइट्रोजन की मात्रा नहीं होती है इसलिए उसके साथ एक बोरी यूरिया का भी प्रयोग करें।
बुआई से पहले बीज का शोधन जरूरी
कृषि वैज्ञानिक तोमर ने बताया कि बुआई से पहले किसान सरसों के बीज का शोधन अवश्य करें। इसके लिए मैटालेक्सिल को डेढ़ ग्राम प्रति किलो बीज में मिलाएं। इसके बाद बुआई करें। साथ ही 20 दिन बाद घने पौधों को उखाड़ कर पौधों से पौधों की दूरी 20 सेमी कर देनी चाहिए। इससे पैदावार अधिक होगी।
कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के वैज्ञानिक डॉ. एसके तोमर का कहना है कि यदि सरसों की बुवाई समय से की जाए तो बेहतर उत्पादन हो सकता है। सरसों की बुआई 15 अक्तूबर से शुरू हो जाती है, जो नवंबर की शुरूआत तक की जाती है। जिन किसानों को सरसों की बुआई करनी है, उन्हें तत्काल कर देना चाहिए।
डॉक्टर तोमर का कहना है कि सरसों की बुआई लाइन से लाइन में करनी चाहिए। लाइन से लाइन की दूरी 45 सेमी होनी चाहिए। किसी यदि देसी प्रजाति की सरसों की बुआई यदि करना चाह रहे हैं तो आरएच 725, आरएच 749, बृजराज राधिका की बुवाई करें।
यदि पीला सरसों की बुआई करना चाह रहे हैं तो पितांबरी, नरेंद्र राई 8501 की बुआई कर सकते हैं। यदि कोई किसान हाईब्रिड बीज की बुआई करना चाह रहा है तो उसकी कई प्रजातियां बाजार में उपलब्ध हैं। गोरखपुर में पिछले साल पाइनियर की 45 एस 46 की बुआई जिन किसानों ने की थी उसकी पैदावार शानदार हुई थी। एक हेक्टेयर में 25 क्विंटल से अधिक पैदावार हुई थी।
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