डाला छठ के पूर्व नमामि गंगे ने की गंगा घाटों की सफाई: गंगा महल से सिंधिया घाट तक स्वच्छता अभियान – Lok Shakti

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डाला छठ के पूर्व नमामि गंगे ने की गंगा घाटों की सफाई: गंगा महल से सिंधिया घाट तक स्वच्छता अभियान

लोकमानस से जुड़े आस्था के पर्व सूर्य षष्ठी ( डाला छठ ) के पूर्व नमामि गंगे ने गंगा महल घाट से सिंधिया घाट तक स्वच्छता अभियान चलाया । गंगा किनारे पड़ी पूजन सामग्रियों को बंटोरा गया । छठ पर्व पर स्वच्छता की अपील करते हुए इधर-उधर बिखरे कूड़े कचरे को एकत्रित कर कूड़ेदान तक पहुंचाया । पॉलिथीन में भरकर देवी देवताओं की मूर्तियां गंगा में विसर्जित कर रहे लोगों को रोका गया। नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि अनादि काल से मनाए जाने वाले इस पर्व में धरती पर ऊर्जा का संचार करने वाले भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की जाती है। त्योहार से पहले नदी, तालाब, पोखर आदि जलाशयों की सफाई का काम शुरू हो जाता है। छठ पूजा का महत्व केवल धार्मिक अथवा लोकजीवन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण और जीवनशैली के बीच के संबंधों को भी रेखांकित करता है।
आज जब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘स्वच्छ भारत अभियान’, सिंगल यूज़ प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम और ‘नमामि गंगे’ जैसे कार्यक्रम को लेकर जागरूकता मिशन चला रहे हैं, तो लोकपर्व छठ के महत्व का जिक्र करना अधिक प्रासंगिक हो गया है, क्योंकि इस पर्व में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है और सफाई का पूरा कार्य सामूहिक जनभागीदारी से संपन्न होता है । राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन नई दिल्ली के प्रतिनिधि अथर्वराज पांडेय ने कहा कि धार्मिक महत्व के साथ ही स्वच्छता एवं पर्यावरण की दृष्टि से खास है छठ महापर्व । लोकपर्व छठ प्रकृति की अराधना का महापर्व है, जो पर्यावरण को स्वच्छ बनाने का संदेश देता है। श्रमदान में प्रमुख रूप से काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन से अथर्वराज पांडेय , महानगर प्रभारी पुष्पलता वर्मा, सुरेश वर्मा उत्कर्ष पांडेय, शौर्य पांडेय, मोहित आदि शामिल रहे।

लोकमानस से जुड़े आस्था के पर्व सूर्य षष्ठी ( डाला छठ ) के पूर्व नमामि गंगे ने गंगा महल घाट से सिंधिया घाट तक स्वच्छता अभियान चलाया । गंगा किनारे पड़ी पूजन सामग्रियों को बंटोरा गया । छठ पर्व पर स्वच्छता की अपील करते हुए इधर-उधर बिखरे कूड़े कचरे को एकत्रित कर कूड़ेदान तक पहुंचाया । पॉलिथीन में भरकर देवी देवताओं की मूर्तियां गंगा में विसर्जित कर रहे लोगों को रोका गया। नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि अनादि काल से मनाए जाने वाले इस पर्व में धरती पर ऊर्जा का संचार करने वाले भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की जाती है। त्योहार से पहले नदी, तालाब, पोखर आदि जलाशयों की सफाई का काम शुरू हो जाता है। छठ पूजा का महत्व केवल धार्मिक अथवा लोकजीवन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण और जीवनशैली के बीच के संबंधों को भी रेखांकित करता है।