अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस के अवसर पर आज योजना भवन के सभागार में अर्धदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित राजस्व राज्यमंत्री श्री अनूप प्रधान वाल्मीकि ने अभिभाषण देते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदा कहकर नहीं आती। प्रकृति से छेड़छाड़ को अगर ना रोका गया तो पृथ्वी पर जीवों का अस्तित्व ख़तरे में पड़ जाएगा। वृक्षों की कटाई, मिट्टी का क्षरण और जल और वायु प्रदूषण यह सब हमारे वजूद को ख़तरे में डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आपदा के दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश संवेदनशील राज्य है। प्रदेश के 31 जनपद तीव्र भूकंप के क्षेत्र जोन- 4 के अंतर्गत आते हैं। इसके अतिरिक्त समय-समय पर घटित होने वाली आपदा जैसे- सूखा, ओलावृष्टि ,शीतलहरी, लू -प्रकोप अग्निकांड, आंधी- तूफान, वज्रपात आदि से जनधन को क्षति पहुंचती है। इसी के दृष्टिगत राज्य स्तर पर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण तथा जनपद स्तर पर जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना की गई है।
श्री प्रधान ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं को घटित होने से रोकना सदैव संभव नहीं होता इसलिए प्रदेश सरकार द्वारा ऐसा प्रभावी तंत्र विकसित किया जा रहा है, जिससे जान-माल का कम से कम नुकसान हो एवं पीड़ितों को तुरंत राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए दिए गए 10 सूत्रीय एजेंडा को धरातल पर लागू करने का कार्य कर रही है । उन्होंने कहा कि पूर्व चेतावनी से लोगों का जीवन बचाया जा सकता है इसके लिए लोगों को 24 घंटे पूर्व चेतावनी देकर 30% तक क्षति को कम किया जा सकता है ।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए प्रमुख सचिव राजस्व श्री सुधीर गर्ग ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस प्रतिवर्ष 13 अक्टूबर को मनाया जाता है।यह दिन जोखिम जागरूकता और आपदा में कमी की वैश्विक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। दुनिया भर के लोग और समुदाय आपदाओं के प्रति जोखिम को कम कर रहे हैं और अपने सामने आने वाले जोखिमों पर लगाम लगाने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ा रहे हैं।
कार्यशाला में लेफ्टिनेंट जनरल आर पी शाही ,उपाध्यक्ष ,उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, श्री अविनाशचंद्र ,महानिदेशक ,अग्निशमन विभाग,उत्तर प्रदेश ,श्रीमती अदिति उमराव, परियोजना निदेशक, इमरजेंसी ऑपरेशन, राहत आयुक्त कार्यालय एवं मौसम विभाग, सिंचाई, रिमोट सेंसिंग, सीडब्ल्यूसी,अग्निशमन, एसडीआरएफ, पंचायती राज, आवास, ग्राम विकास सहित अनेक विभागों के अधिकारियों ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया ।
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