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सीएम हेमंत के निर्देश पर नक्सल प्रभावित बूढ़ापहाड़ से सटे गांवों तक पहुंची सरकार

मुख्यमंत्री ने कहा था- नक्सल प्रभावित इलाकों में शिविर लगाकर ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं का लाभ दें

नक्सल प्रभावित बूढ़ा पहाड़ से सटे तुरेरा और तुमेरा गांव पहुंचे बरगढ़ प्रखंड के बीडीओ, इससे पहले सारंडा क्षेत्र तक भी योजनाओं का लाभ देने का हुआ था काम

nitesh ojha

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Ranchi/Garhwa : पलामू के गढ़वा-लातेहार के दुर्गम इलाके में स्थित बूढ़ा पहाड़ पिछले तीन दशकों तक नक्सलियों का गढ़ था. बीते दिनों ही सुरक्षा बलों ने इलाके को नक्सलियों के कब्जे से मुक्त कराया है. इसके साथ ही इस इलाके के ग्रामीणों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने की कवायद भी शुरू हो गयी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर गढ़वा उपायुक्त रमेश घोलप ने गुरूवार को बरगढ़ प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) विपिन कुमार भारती सहित खाद्य आपूर्ति अधिकारी, पशु चिकित्सा अधिकारी सहित प्रशासन के कई लोग को बूढ़ा पहाड़ से सटे तुरेर और तुमेरा गांव जाने का निर्देश दिया.

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बिना सुरक्षा के गांव पहुंचे पदाधिकारी

अधिकारियों ने वहां पर मेडिकल कैम्प और शिविर लगाकर ग्रामीणों की समस्याओं को तो सुना ही, साथ ही साथ सरकारी योजनाओं की भी जानकारी दी. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया था कि नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस की उपस्थिति में शिविर लगाया जाए, लेकिन सभी अधिकारी बगैर सुरक्षा के ही बीस किलोमीटर घने जंगल होते हुए बूढ़ा पहाड़ के समीप तुरेरा और तुमेरा गांव पहुंचे.

ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं को मिलेगा लाभ

बेरोजगारों और मजदूरों को सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा. पशुधन योजना, गोल्डन कार्ड, आवास, फसल राहत आदि योजनाओं की जानकारी भी दी गई. अधिकारियों ने सभी योजनाओं के लिए फॉर्म भी भरवाए. डोर टू डोर जाकर अधिकारियों ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि सभी बेरोजगार, मजदूरों को सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा. इस दौरान ग्रामीणों से विधवा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन, जॉब कार्ड, राशन फॉर्म के लिए भी आवेदन लिए.

सीएम हेमंत ने दिया था निर्दश

शिविर लगाकर ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने निर्देश दिया था. बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों के प्रभाव से मुक्त करने के तुरंत बाद 24 सितंबर को ही मुख्यमंत्री ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक बुलायी थी. इस दौरान हेमंत ने आला अधिकारियों को निर्देश दिया था कि न केवल बूढ़ापहाड़ बल्कि पारसनाथ और सारंडा समेत नक्सल प्रभावित इलाकों में शिविर लगाकर ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं का लाभ दें. उन्हें बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी जाए. इससे पुलिस के प्रति लोगों की विश्वसनीयता बढ़ेगी और उग्रवादी घटनाओं को आम जनता के सहयोग से नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.

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सारंडा में सरकारी योजनाओं को पहुंचाने की हुई थी पहल

नक्सल प्रभावित इलाकों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने की पहल कोई पहली बार नहीं हुई है. कोरोना के पहले चरण में सितंबर 2020 को सारंडा में इसकी पहल हुई थी. मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला प्रशासन ने सारंडा के गांवों तक हर सरकारी सुविधाएं पहुंचाने का काम किया था. कोल्हान के तत्कालीन कमिश्नर मनीष रंजन ने कहा था कि सारंडा क्षेत्र में विकास के जो काम किए जा रहे हैं, उसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. वहीं, तत्कालीन चाईबासा उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया था, ”इलाके में सड़क बनायी जा रही है, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंच सके.

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