हर साल 24 सितंबर को विश्व सफाई दिवस होता है, इस दिवस का उद्देश्य सफाई कार्यों में भाग लेने के लिए समाज के सभी क्षेत्रों को प्रोत्साहित एवं प्रेेरित करके कुप्रबंधित अपशिष्ट संकट के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। व्यक्तियों, सरकारों, निगमों और संगठनों को सफाई में भाग लेने और कुप्रबंधित कचरे से निपटने के लिए समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अस्वच्छता एवं गंदगी दुनिया की बड़ी समस्या है। घर या अपने आसपास संक्रमण फैलने से बचाने और गंदगी के पूर्ण निपटान के लिये हमें ध्यान रखना चाहिये कि कूड़ा केवल कूड़ेदान में ही डालें। साफ-सफाई केवल एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि ये घर, समाज, समुदाय, देश एवं दुनिया के हर नागरिक की जिम्मेदारी है। हमें इसके महत्व और फायदों को समझना चाहिये। हमें संकल्प लेना चाहिये कि न तो हम खुद गंदगी फैलाएंगे और न किसी को फैलाने देंगे। अनेक बीमारियों पर नियंत्रण के लिये साफ-सफाई एवं स्वच्छता जरूरी है, कोरोना महामारी के दौरान हमने स्वच्छता का महत्व गहराई से समझा। सफाई के विषय में एक कहावत बहुत मशहूर है, कि प्रत्येक व्यक्ति अपना-अपना आँगन साफ करें तो पूरी दुनिया स्वच्छ हो जाए।
सीधी सच्ची बात है कि सफाई सभ्यता का अंग है। जब तक हमारे घर, द्वार और रास्ते गंदे रहेंगे, हमारी आदते गन्दी रहेंगी तब तक हम अपने आपको सभ्य और सुसंस्कृत नहीं कह सकते। गाँव की गलियाँ गन्दी है, सड़कांे के किनारे गन्दे हैं, इतना ही नहीं, आज जीवन के हर क्षेत्र में गन्दगी प्रवेश कर गई है। दूषित मनोवृत्ति और दूषित वातावरण के रहते, भले ही लोगों का धर्म और दर्शन कितना ही गौरवपूर्ण एवं प्राचीन क्यों न हो, उन्हें कोई सम्मान नहीं दे सकता। श्रेष्ठता और संस्कृति का पहला गुण स्वच्छता है। हम साफ और स्वच्छ रहकर ही अपने आदर्शाें एवं सिद्धान्तों की रक्षा कर सकते हैं। सफाई प्रकृति का एक मौलिक गुण है। स्वच्छता और पवित्रता धर्म का प्रमुख अंग माना जाता है तो उसका सही-सही ज्ञान भी होना आवश्यक है। शिक्षा और संस्कृति के साथ सफाई का स्वास्थ्य से भी अटूट सम्बन्ध है।
महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। उन्होंने “स्वच्छ भारत” का सपना देखा था जिसके लिए वह चाहते थे कि भारत के सभी नागरिक एक साथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें। “स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण है स्वच्छता” गांधी के उक्त कथन से यह ध्वनित होता है कि वह जीवन में स्वच्छता के कितने बड़े हिमायती थे। सबसे बड़ी बात यह है कि वह सिर्फ बाहरी स्वच्छता यानी घर, पास-पड़ोस आदि के ही पक्षधर नहीं थे, बल्कि मन की स्वच्छता के भी प्रबल पक्षधर थे। महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के स्वप्न को पूरा करने के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया और इसके सफल कार्यान्वयन हेतु भारत के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की। उन्होंने सशक्त भारत-नया भारत के लिये स्वच्छता को प्राथमिक आवश्यकता बताई। इस अभियान के तहत सरकार ने शहर एवं ग्रामीण दोनो क्षेत्रों मे स्वच्छता को बढ़ावा दिया है और पूरे भारत को खुले मे शौच मुक्त करने का प्रण लिया है। अब तक 98 प्रतिशत भारत को खुले में शौचमुक्त बनाया जा चुका है। इसी प्रकार कई अन्य अभियान हैं जैसे निर्मल भारत, बाल स्वच्छता अभियान आदि। सबका उद्देश्य भारत में स्वच्छता को बढ़ावा देना है।
स्वच्छता एक अच्छी आदत है जो हम सभी के लिये बहुत जरूरी है। हमें अपने घर, पालतू जानवर, अपने आस-पास, पर्यावरण, तालाब, नदी, स्कूल आदि सहित सबकी सफाई करते रहना चाहिए। हमें सदैव साफ, स्वच्छ और अच्छे से कपड़े पहनना चाहिये। ये समाज में अच्छे व्यक्तित्व और प्रभाव को बनाने में मदद करता है, क्योंकि ये आपके अच्छे चरित्र को दिखाता है। धरती पर हमेशा के लिये जीवन को संभव बनाने के लिये अपने शरीर की सफाई के साथ पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों-भूमि, पानी, खाद्य पदार्थ, वायु आदि को भी साफ बनाए रखना चाहिये। स्वच्छता हमें मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक हर तरीके से स्वस्थ बनाता है। सामान्यतः, हमने हमेशा अपने घर में ये ध्यान दिया होगा कि हमारी दादी और माँ पूजा से पहले स्वच्छता को लेकर बहुत सख्त होती हैं, तब हमें यह व्यवहार कुछ अलग नहीं लगता, क्योंकि वो बस साफ-सफाई को हमारी आदत बनाना चाहती हैं। हर अभिवावक को तार्किक रूप से स्वच्छता के उद्देश्य, फायदे और जरूरत आदि के बारे में अपने बच्चों से बात करनी चाहिये। उन्हंे जरूर बताना चाहिये कि स्वच्छता हमारे जीवन में खाने और पानी की तरह पहली प्राथमिकता है।
अपने भविष्य को चमकदार और स्वस्थ बनाने के लिये हमें हमेशा खुद का और अपने आसपास के पर्यावरण का ख्याल रखना चाहिये। हमे साबुन से नहाना, नाखुनों को काटना, साफ और इस्त्री किये हुए कपड़े आदि कार्य रोज करना चाहिये। घर को कैसे स्वच्छ और शुद्ध बनाए ये हमें अपने माता-पिता से सीखना चाहिये। हमें अपने आसपास के वातावरण को साफ रखना चाहिये ताकि किसी प्रकार की बीमारी न फैले। कुछ खाने से पहले और खाने के बाद साबुन से हाथ धोना चाहिये। हाथ धोना हमारे लिए कितना जरूरी है, कोरोना महामारी की शुरूआत में यह तो सबको समझ में आ ही गया है। क्योंकि हाथ धुलने से बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है। जब कोविड-19 जैसी बीमारियों ने दस्तक दी, तब सबको एक ही हिदायत दी गई कि किसी भी चीज को छूने के बाद हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। साबुन से 30 सेकंड तक हाथ धोएं। इससे हम हैजा, डायरिया, निमोनिया और कोविड-19 जैसी वैश्विक बीमारी को भी परास्त कर सकते हैं। हमें पूरे दिन साफ और शुद्ध पानी पीना चाहिये, हमें बाहर के खाने से बचना चाहिये, साथ ही ज्यादा मसालेदार और तैयार पेय पदार्थों से परहेज करना चाहिये। इस प्रकार हम खुद को स्वच्छ के साथ-साथ स्वस्थ भी रख सकते हैं। गंदे पानी व भोजन के सेवन से पीलिया, टाइफाइड, कॉलेरा जैसी खतरनाक बीमारियां फैलती हैं। गंदे परिवेश मे मच्छर पनपते हैं जो मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारियां फैलाते हैं।
स्वच्छता एक क्रिया है जिससे हमारा शरीर, दिमाग, कपड़े, घर, आसपास और कार्यक्षेत्र साफ और शुद्ध रहते है। अपने आसपास के क्षेत्रों और पर्यावरण की सफाई सामाजिक और बौद्धिक स्वास्थ्य के लिये बहुत जरूरी है। हमें साफ-सफाई को अपनी आदत में लाना चाहिये और कूड़े को हमेशा कूड़ेदान में ही डालना चाहिये, क्योंकि गंदगी वह जड़ है जो कई बीमारियों को जन्म देती है। जो रोज नहीं नहाते, गंदे कपड़े पहनते हों, अपने घर या आसपास के वातावरण को गंदा रखते हैं, ऐसे लोग हमेशा बीमार रहते हैं। गंदगी से आसपास के क्षेत्रों में कई तरह के कीटाणु, बैक्टीरिया वाइरस तथा फंगस आदि पैदा होते हैं जो बीमारियों को जन्म देते हैं। जिन लोगों की गंदी आदतें होती हैं वो भी खतरनाक और जानलेवा बीमारियों को फैलाते है। संक्रमित रोग बड़े क्षेत्रों में फैलाते हैं और लोगों को बीमार करते हैं, कई बार तो इससे मौत भी हो जाती है। इसलिये, हमें नियमित तौर पर अपने स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिये। स्वच्छता से हमारा आत्म-विश्वास बढ़ता है और दूसरों का भी हम पर भरोसा बनता है। ये एक अच्छी आदत है जो हमें हमेशा खुश रखेगी। ये हमें समाज में बहुत गौरवान्वित महसूस कराएगी।
हमारे स्वस्थ जीवन शैली और जीवन के स्तर को बनाए रखने के लिये स्वच्छता एवं साफ-सफाई बहुत जरूरी है। ये व्यक्ति को प्रसिद्ध बनाने में अहम भूमिका निभाती है। पूरे भारत में आम जन के बीच स्वच्छता को प्रचारित व प्रसारित करने के लिये भारत की सरकार द्वारा कई सारे कार्यक्रम और सामाजिक कानून बनाए गये और लागू किये गये है। एक व्यक्ति अच्छी आदत के साथ अपने बुरे विचारों और इच्छाओं को खत्म कर सकता है। विचारों कि स्वच्छता हमें एक अच्छा इंसान बनाती है, तो वहीं व्यक्तिगत स्वच्छता हमें हानिकारक बीमारियों से बचाती है। इसलिये स्वच्छता के सार्वभौमिक, सार्वदैशिक, सार्वकालिक विकास हेतु हमें सदैव प्रयासरत रहना चाहिये। पृथ्वी वह घर है, जहां हम सब एक साथ रहते हैं। औद्योगीकरण के विकास के साथ-साथ औद्योगिक कचरा और घरेलू कचरा दिन-ब-दिन बढ़ रहा है और पृथ्वी की सीमित आत्म-शोधन क्षमता बढ़ते दबाव को सहन करने में सक्षम नहीं है। उदाहरण के लिए, हमारा आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला फोम लंच बॉक्स, क्योंकि वह अपने आप विघटित नहीं हो सकता। पृथ्वी के लिए, वह एक प्रकार का “श्वेत प्रदूषण” है, जिसे कभी समाप्त नहीं किया जा सकता है। पृथ्वी के घर को ताजा और सुखद बनाए रखने के लिए सभी लोगों को अपने से शुरुआत करनी चाहिए, गंदगी फैलाना बंद करना, ऊर्जा प्रदूषण को कम करना, पृथ्वी की स्वच्छता बनाए रखना और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना चाहिए।