18 March 2020
कोरोना वायरस के संदर्भ में फेक न्यूज और अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई हो रही है। यह स्वागत योग्य है। यूपी पुलिस ने कोराना वाले बाबा को गिरफ्तार किया है, कोराना वायरस से बचना है तो ताबिज पहनों।
यूपीए शासनकाल में २००४ से लेकर २०१४ तक सोनिया गांधी के पारिवारिक मित्र बेनी हिन्न द्वारा मरिकल रूद्बह्म्ड्डष्द्यद्ग ष्ह्वह्म्द्ग हिलिंग टच आदि का झूठा भ्रमजाल फैलाकर भोले-भाले गरीब दु:खी, पीडि़त लोगों का धर्मांतरण इसाइ धर्म में करने का षडयंत्र होते रहा है। २००४ में कर्नाटक के एन धर्मसिंह पूर्व सीएम भी शामिल ही नहीं हुए बल्कि कार्यक्रम मेंं सरकारी संसाधनों का उपयोग हुआ था। सुनामी से पीडि़त लोगों का विशेषकर धर्मांतरण हुआ था ईसाइ धर्म में। इसकी चर्चा कल के संपादकीय में मंै कर चुका हूं। मैंने आग्रह भी किया था कि सोनिया गांधी जी कोरोना वायरस से पीडि़त लोगों को चंगा करने के लिये अब उन्हें आमंत्रित क्यों नहीं करती?
मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार से दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस के प्रकोप के केन्द्र में रहा और इस कारण वहॉ के नागरिकों के क्रोध का कारण शीनचोनजी चर्च रहा है। चर्च प्रमुख पर सिओल के मेयर ने मुकदमा दायर किया है। उसी प्रकार से चाहे बेनी हिन्न हों या दक्षिण कोरिया के उक्त चर्च के प्रमुख ली हों या ताबिज वाले बाबा हों सभी पर कार्रवाई होनी चाहिये।
अब मैं आज एक घटना का उल्लेख करना आवश्यक समझता हूं :
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (छ्वहृ) में विवि. प्रशासन द्वारा सुबनसिर छात्रावास जाने वाली सड़क का नाम बदल दिया गया। इस सड़क का नाम वीडी सावरकर (ङ्कद्गद्गह्म् स्ड्ड1ड्डह्म्द्मड्डह्म्) के नाम पर रखा गया है। जेएनयू में जिस मार्ग का नाम बदलकर वीर सावरकर मार्ग रखा गया है उसके बोर्ड पर स्प्रे से ‘बी आर आंबेडकरÓ मार्ग लिख दिया गया है। इससे पहले एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें बोर्ड पर कालिख पोत कर ‘जिन्ना मार्गÓ का पोस्टर लगा दिया गया।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि शाहीनबाग प्रदर्शनकारियों के बीच भी कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति में या यूं कहिये कि उन्हीं के इशारे पर जिन्ना वाली आजादी के नारे भी लगे थे।
शाहीनबाग प्रदर्शन के आयोजनकर्ताओं में से एक शरजील इमाम ने कहा असम को भारत से काटना हमारी जिम्मेदारी, अगर आवाम गुस्से में है तो उस गोस्से को प्रोडक्टिव यूज करें, मुसलमान देश के ५०० शहर में चक्का जाम कर सकता है।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि १३ दिसंबर को भारत से बाहर विदेश में भारत के जो दूतावास हैं उनके समक्ष कांग्रेस के विदेश विभाग द्वारा सीएए के विरोध करते हुए १४ दिसंबर को रामलीला मैदान में भारत बचाओ रैली को मजबूती प्रदान करने के लिये प्रदर्शन किये गये थे।
१३-१४ दिसंबर के बाद १५ दिसंबर को शाहीनबाग का प्रदर्शन प्रारंभ हुआ। इन प्रदर्शनों का समर्थन करने के लिये कांग्रेस नेता शशि थरूर से लेकर मणिशंकर अय्यर तक पहुंचे और किस-किस प्रकार से वहॉ देशद्रोही गतिविधियां होती रही हैं और हो रही हैं यह जगजाहिर है। स्पष्ट है कि यह सब कांग्रेस और उसी के जैसे ्र्रक्क और अन्य विपक्षी की साजिश है।
जेएनयू में अफजल गुरू शहीदी दिवस के नाम पर जिस प्रकार से आजादी के नारे लगे थे उससे भी अधिक देशविरोधी या यं कहिये देशद्रोही नारे शाहीनबाग में तथा अन्य जगहों पर लग रहे हैं जैसे जिन्ना वाली आजादी के नारे।
देशद्रोह कानून के अंतर्गत इस प्रकार के कुछ तत्वों कन्हैय्या,उमर खालिद आदि पर मुकदमें भी दायर हुए हैं। पर देखा जा रहा है कि इन देशद्रोह के मुकदमों में शायद ही किसी को सजा मिली हो।
कांग्रेस तो यह नहीं चाहेगी क्योंकि कांग्रेस देशद्रोह कानून को समाप्त करने का वचन भी अपने पिछले लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र मेें कर चुकी है। अतएव कांग्रेस तो कभी भी नहीं चाहेगी की विघटनकारी देश विभाजक तत्वों पर कार्रवाई हो।
अतएव जिस प्रकार से टाडा कोर्ट द्वारा यासिर मलिक के खिलाफ आरोप तय हुए हैं उसी प्रकार से आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के अंतर्गत इन पर भी कार्रवाई हो सके इसके लिये आवश्यक हो तो उक्त कानून में संशोधन हो।
अन्यथा देश को विभाजन करने वाले विघटनकारी तत्वों पर कठोर कार्रवाई किये जाने के लिये कोई अलग से कानून बने।
देशद्रोह कानून
हथियारबंद नक्सल से ज्यादा खतरनाक अर्बन नक्सल हैं
उसी प्रकार से आतंकियों से ज्यादा खतरनाक जिन्ना वाली आज़ादी शाहीन बाग़
पुरे पागल को तो आगरा के पागलखाने में भेज सकते हैं पर आधे पागल जो गाओं शहर में घूमते रहते हैं उनका इलाज क्या ? जे एन यू प्रोफेसर मेमन
इस पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट कर लिखा कि जिन्ना वाली आजादी के बाद अब देश के स्वंतत्रता सेनानी के नाम के ऊपर जिन्ना का पोस्टर चिपका दिया गया है। यदि इन लोगों को राष्ट्रविरोधी कहा जाए तो ये रोने लगते हैं।
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