डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में बुधवार को कुलपति प्रो0 प्रदीप कुमार मिश्र के निर्देशन में हिंदी दिवस पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। बतौर मुख्य वक्ता उपकुलसचिव डॉ0 आरके सिंह ने कहा कि हमारे लिये हिंदी सिर्फ भाषा नहीं बल्कि मां के समान है। इस भाषा का सम्मान हर भारतीय को करना चाहिए। कहा कि हिंदी दिवस मनाने की जरूरत इसलिए पड़ी की कहीं न कहीं हिंदी हाशिये पर जा रही थी। मगर पिछले कुछ सालों से हिंदी सशक्त तरीके से विश्व में अपनी अलग पहचान बना रही है। विश्व पटल पर भी हिंदी अपनी खास जगह बना रही है। कहा कि अंग्रेजी जानना भले ही कई मौकों पर जरूरी है लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि हिंदी जानने वाला कमतर है। हमें अपने भीतर से इस भ्रम को निकाल देना चाहिए कि अंग्रेजी जानने वाला ही सफल होता है। कहा कि हमें हिंदी दिवस पर संकल्प लेना चाहिए कि हिंदी को आगे बढ़ाने में भागीदार बनेंगे और इस महान भाषा पर गर्व करेंगे। वहीं, जन सम्पर्क अधिकारी डॉ0 पवन कुमार त्रिपाठी ने विषय स्थापना करते हुए कहा कि अंग्रेजों ने हमारे मन पर ऐसा प्रभाव बना दिया है कि हम अंग्रेजी को ही सबसे बेहतर मानते हैं। हमें भौतिक रूप से आजादी जरूर मिल गयी मगर आज भी हम भाषायी स्तर पर कहीं न कहीं ब्रिटिश उपनिवेश ही लगते हैं। भाषा की इस बेड़ी को तोड़ते हुए हमें हिंदी पर गर्व करने की जरूरत है। उसे अपने जीवन में अपनाना होगा। कहा कि हमारा सर्वाधिक विकास अपनी भाषा के जरिये ही हो सकता है। उप परीक्षा नियंत्रक डॉ0 आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि हमें हिंदी के साथ ही अन्य भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। क्योंकि आधुनिक दौर में बिना अन्य भाषाओं के विकास करना मुश्किल है। हालांकि हिंदी के प्रति संवेदनशील होना जरूरी है। इसी क्रम में सहायक कुलसचिव सौरभ सिंह ने कहा कि न चाहते हुए भी हमें अंग्रेजी को अपनाना पड़ता है। जबकि हिंदी में ज्यादा सहजता और सरलता है। वहीं सहायक कुलसचिव डॉ0 आयुष श्रीवास्तव ने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा हिंदी समाचार पत्र और पत्रिका का प्रकाशन होता है। इसका सीधा सा मतलब है कि हिंदी कहीं भी कमजोर नहीं है। इस दौरान विधि अधिकारी अदिति त्रिपाठी, प्रतिभा शुक्ला, धीरज भारद्वाज, पीके मिश्रा आदि ने भी विचार व्यक्त किया। इस मौके पर व्यवस्थाधिकारी प्रवीण कुमार, महीप सिंह, राजकुमार द्विवेदी, अमितेश पांडेय सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
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