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पावर कॉर्पोरेशन ने फ्यूल सरचार्ज के नाम पर बिजली दर में 35 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ाने की तैयारी की है। इसके लिए कार्पोरेशन ने राज्य विद्युत नियामक आयोग में इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के लिए फ्यूल सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव दाखिल किया है। उधर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसका विरोध करते हुए इसे उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाने की साजिश बताया है।
दरअसल घाटे में चल रही बिजली कंपनियां बिजली दरें बढ़वाने का रास्ता तलाशने में जुटी हैं। वर्ष 2022-23 के टैरिफ आर्डर को अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी में चुनौती देने के साथ ही पावर कॉर्पोरेशन ने नियामक आयोग में 35 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव दाखिल कर दिया। इससे 1,028 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व का अनुमान लगाया गया है।
बुधवार को इस पर प्रस्तुतीकरण के दौरान नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह ने सवाल उठाया कि फ्यूल सरचार्ज का प्रस्ताव केवल वेरिएबल कास्ट (परिवर्तनीय लागत) पर तैयार किया गया है जबकि फिक्स्ड कास्ट के साथ होना चाहिए। पावर कॉर्पोरेशन ने अप्रैल से जून तक मांग ज्यादा होने की वजह से ज्यादा बिजली खरीदने का तर्क दिया।
इस पर आयोग ने सवाल किया कि जब मांग कम रहती है तो अतिरिक्त बिजली खरीदनी भी नहीं पड़ती। इसका संतुलन होना चाहिए। आयोग के सवालों के बाद पावर कॉर्पोरेशन के अधिकारियों ने संशोधित प्रस्ताव दाखिल करने की बात कही। वहीं सूत्रों का कहना है कि आयोग के रुख को देखते हुए कॉर्पोरेशन के फ्यूल सरचार्ज लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की संभावना कम है।
उधर, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली कंपनियां अपने ऊपर निकल रही उपभोक्ताओं की 25,133 करोड़ रुपये की देनदारी से बचने के लिए इस तरह के हथकंडों का इस्तेमाल कर रही हैं। फ्यूल सरचार्ज लगाने के पीछे असल मंशा यह है कि बीते साल के सरप्लस 3,088 करोड़ रुपये का लाभ पावर कॉर्पोरेशन उपभोक्ताओं को देना नहीं चाहता है।
उन्होंने नियामक आयोग के अध्यक्ष से बात करके कहा कि अगर फ्यूल सरचार्ज लगाना जरूरी हो तो बिजली कंपनियों पर निकल रही देनदारी से इस राशि का समायोजन किया जाए। पर उपभोक्ताओं पर बोझ नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। आयोग ने उन्हें आश्वस्त किया कि नियमों के दायरे में ही कार्रवाई की जाएगी।
विस्तार
पावर कॉर्पोरेशन ने फ्यूल सरचार्ज के नाम पर बिजली दर में 35 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ाने की तैयारी की है। इसके लिए कार्पोरेशन ने राज्य विद्युत नियामक आयोग में इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के लिए फ्यूल सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव दाखिल किया है। उधर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसका विरोध करते हुए इसे उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाने की साजिश बताया है।
दरअसल घाटे में चल रही बिजली कंपनियां बिजली दरें बढ़वाने का रास्ता तलाशने में जुटी हैं। वर्ष 2022-23 के टैरिफ आर्डर को अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी में चुनौती देने के साथ ही पावर कॉर्पोरेशन ने नियामक आयोग में 35 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव दाखिल कर दिया। इससे 1,028 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व का अनुमान लगाया गया है।
बुधवार को इस पर प्रस्तुतीकरण के दौरान नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह ने सवाल उठाया कि फ्यूल सरचार्ज का प्रस्ताव केवल वेरिएबल कास्ट (परिवर्तनीय लागत) पर तैयार किया गया है जबकि फिक्स्ड कास्ट के साथ होना चाहिए। पावर कॉर्पोरेशन ने अप्रैल से जून तक मांग ज्यादा होने की वजह से ज्यादा बिजली खरीदने का तर्क दिया।
इस पर आयोग ने सवाल किया कि जब मांग कम रहती है तो अतिरिक्त बिजली खरीदनी भी नहीं पड़ती। इसका संतुलन होना चाहिए। आयोग के सवालों के बाद पावर कॉर्पोरेशन के अधिकारियों ने संशोधित प्रस्ताव दाखिल करने की बात कही। वहीं सूत्रों का कहना है कि आयोग के रुख को देखते हुए कॉर्पोरेशन के फ्यूल सरचार्ज लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की संभावना कम है।
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