मेरठ : बीजेपी की ओर से देशभर के 15 राज्यों में पार्टी प्रभारी के चेहरे में बदलाव किया है। झारखंड में सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेयी (Laxmikant Bajpai) को प्रदेश बीजेपी का नया प्रभारी बनाया गया है। 1964 से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले लक्ष्मीकांत वाजपेई ने बीजेपी में विधायक से लेकर यूपी प्रदेश अध्यक्ष जैसे बड़े पदों की जिम्मेदार को बखूबी निभाया है। इसके अलावा वे 2022 में चुनाव प्रभारी तक बनाए गए थे। साल 2012 में यूपी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में लक्ष्मीकांत बाजपेयी पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक थे। उनके नेतृत्व में ही बीजेपी ने 2014 में 80 में से 71 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।
2017 के विधानसभा चुनावों में वह अहम रोल में थे। लेकिन मेरठ की शहर विधानसभा सीट पर हिंदू मुस्लिम वोटों के समीकरण में फंस गए और डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी, सपा नेता रफीक अंसारी से चुनाव हार गए। 2017 से डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी एक तरह से पार्टी में साइडलाइन ही रहे। आम जनता में भी इस बात को लेकर काफी चर्चाएं उठीं कि इतने प्रभावशाली नेता के साथ पार्टी ने कैसी बेरुखी दिखाई।
2022 में उन्होंने मेरठ शहर विधान सभा से भी टिकट लेने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद पार्टी में इनके शिष्य कहे जाने वाले कमल दत्त शर्मा को पंडित कार्ड खेलते हुए टिकट दिया गया। वहीं पार्टी ने बाद में इन्हें राज्यसभा सांसद बनाया और अब इन्हें झारखंड की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। NBT से बातचीत में लक्ष्मीकांत ने बताया कि झारखंड कोई चुनौती नहीं है। कहा कि मैं कार्यकर्ता हूं और वहां हम प्रेदश अध्यक्ष और पार्टी मेंबरों के साथ मिलकर काम करेंगे।
भाजपा जानकारों की माने तो अब 2024 को ध्यान में रख पार्टी वाजपेई जैसे नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दे रही है। कहा जा रहा है कि विपक्ष भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में ये एक रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
1951 में जन्मे लक्ष्मीकांत बाजपेयी उत्तर प्रदेश बीजेपी में ब्राह्मणों के एक बड़े नेता माने जाते हैं। वे चार बार विधानसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। इस वर्ष राज्यसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें सदन में पार्टी का नया व्हिप भी बनाया है। जनसंघ काल से ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के विरुद्ध अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले लक्ष्मीकांत बाजपेयी संगठन के आम कार्यकर्त्ताओं के मर्म को समझते हैं। वे सभी को साथ लेकर चलने की कला में माहिर हैं।
रिपोर्ट- राम बाबू मित्तल
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