Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Mathura News : श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ का कैसे पड़ा लुक-लुक दाऊजी नाम, जानिए क्या है रहस्य

मथुरा: द्वापर में भगवान श्री कृष्ण खूब महारास किया करते थे। इसी महारास में भगवान भोले भी शामिल होते थे। भगवान श्री कृष्ण ने पारसोली में महारास किया था। महारास को कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ छुप-छुप कर देखते थे। कहा जाता है कि महारास के समय शेर का रूप धारण कर बलदाऊ महारास को देखने आते थे। इस मंदिर में बलदाऊ सिंह के रूप में विराजमान हैं।

16,108 गोपियों के साथ हुआ था महारास
भगवान श्री कृष्ण की लीला से ओतप्रोत गोवर्धन आज भी उनकी लीला स्थलियों को संजोए हुए है। मथुरा, वृंदावन, गोकुल के साथ-साथ श्री कृष्ण ने गोवर्धन में भी लीलाएं कीं। गोवर्धन से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर पारसोली गांव स्थित है। यहां चंद्र सरोवर पर भगवान श्री कृष्ण ने महारास किया था। 16,108 गोपियों के साथ श्री कृष्ण जब महारास कर रहे थे तो उनके बड़े भाई उस महारास को छुप-छुप कर देखते थे। कहा जाता है कि गोवर्धन पर्वत कृष्ण कालीन समय इतना ऊंचा था कि कई किलोमीटर दूर तक गोवर्धन पर्वत देखा जाता था। श्रीकृष्ण जब पारसोली में महारास रचाते थे तो उनके बड़े भाई शेर का रूप धारण कर गोवर्धन पर्वत पर लता पताओं के बीच छुप जाते थे। श्री कृष्ण के महारास शुरू करने पर वह उस महारास को छुप-छुप कर देखते थे। आज भी बलदाऊ महाराज का मंदिर गोवर्धन पर्वत पर बना हुआ है। इस मंदिर में बलदाऊ जी शेर का रूप धारण किए हुए हैं।

महारास के समय 6 महीने की होती थी रात
श्री कृष्ण की मुरली जैसे ही बजती थी तो चंद्र सरोवर पर ब्रज की गोपियां एकत्रित हो जाती थीं। श्री कृष्ण उन गोपियों के साथ महारास रचाया करते थे। हर गोपी के साथ के भगवान कृष्ण दिखाई देते थे। ब्रज की गोपियों को श्री कृष्ण के साथ महारास करने में बड़े ही आनंद की प्राप्ति होती थी। कहां जाता है चंद्र सरोवर पर महारास जब होता था तो एक रात 6 महीने की होती थी।

देश-विदेश से दर्शन को आते हैं भक्त
गोवर्धन पर्वत की बड़ी परिक्रमा में यह मंदिर स्थित है। इस मंदिर पर प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर पर श्रद्धालु पहुंचते हैं और भजन कीर्तन में लीन हो जाते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु संकीर्तन का आनंद लेते हैं।

दिनभर खुला रहता है मंदिर
मंदिर पूरे दिन खुला रहता है और समय-समय पर भोग और आरती की जाती है। यहां आने वाले श्रद्धालु सिंह रूप में विराजमान कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के दर्शन करते हैं। कहा जाता है कि मंदिर में बलदाऊ महाराज को खीर और मिश्री का भोग लगाया जाता है।
इनपुट- निर्मल राजपूत