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होटल लेवाना अग्निकांड में केस दर्ज, फर्जी शपथ पत्र देकर कराया था निर्माण, शासन को भेजी गई रिपोर्ट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लेवाना होटल में सोमवार को भीषण आग लग गई। इस हादसे में 4 लोगों की मौत हो गई है। इसके बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण ने होटल को सील करने का आदेश जारी कर दिया है। इसके साथ ही प्राधिकरण की तरफ से मेसर्स बंसल कंस्ट्रक्शन के प्रतिनिधि मुकेश जसनानी और उनके साझेदारों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई है।

LDA वीसी डाॅ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि स्थल पर अवैध निर्माण को संरक्षण देने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की जांच के लिए सचिव पवन कुमार गंगवार की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। प्रकरण की प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि बिल्डर द्वारा प्राधिकरण में फर्जी शपथ पत्र देकर आवासीय भूखंड में व्यावसायिक निर्माण कराया गया था। इसके आधार पर प्राधिकरण की तरफ से मेसर्स बंसल कंस्ट्रक्शन के प्रतिनिधि मुकेश जसनानी और उनके साझेदारों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई है। उपाध्यक्ष डाॅ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि स्थल पर अवैध निर्माण को संरक्षण देने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की जांच के लिए सचिव पवन कुमार गंगवार की अध्यक्षता समिति गठित की गई है। इसमें मुख्य अभियंता अवधेश तिवारी, वित्त नियंत्रक दीपक सिंह और मुख्य नगर नियोजक नितिन मित्तल शामिल है।

इन अधिकारियों पर लटकी तलवार
जांच में दोषी पाए जाने पर जोनल अधिकारी व अधिशासी अभियंता अरूण कुमार सिंह (से नि), ओपी मिश्रा (से नि), अधीक्षण अभियंता जहीरूद्दीन, कमलजीत सिंह (पालिका केन्द्रीयित सेवा), सहायक अभियंता ओ पी गुप्ता, राकेश मोहन, राधेश्याम सिंह, विनोद कुमार गुप्ता, अमर कुमार मिश्रा, नागेन्द्र सिंह, इस्माइल खान, अवर अभियंता राजीव कुमार श्रीवास्तव, जे एन दुबे, जी डी सिंह, रवीन्द्र श्रीवास्तव, उदयवीर सिंह, मो इस्माइल खान, अनिल मिश्रा, पी के गुप्ता, सुशील कुमार वर्मा, अम्बरीश शर्मा व रंगनाथ सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई किए जाने के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी गई है।

4 साल पहले चारबाग में हुई थी ऐसी घटना
19 जून 2018 को चारबाग के नाका इलाके में होटल अग्निकांड में सात लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में अभियंताओं पर कार्रवाई करने के लिए एलडीए से लिस्ट तलब की गई थी। अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता और अवर अभियंता पद के 25 लोगों के नाम की लिस्ट शासन को भेजी गई थी। सूची में इनके अलावा पीसीएस अधिकारियों का भी नाम शामिल था, लेकिन धीरे-धीरे पूरी जांच ऐसे ही कागजों में ही रह गई।
रिपोर्ट – संदीप तिवारी