30-8-2022
श्रीलंका की वर्तमान हालत का जिम्मेदार कोई है तो वह चीन है। राजपक्षे परिवार को अपनी उंगलियों पर नचाकर चीन ने श्रीलंका का बेड़ा गर्क कर दिया और इस द्वीप राष्ट्र को कर्ज के मकडज़ाल में कुछ ऐसा फं साया है कि उससे निकलने में इसे दशकों लग जाएंगे। भारत वैश्विक मंच से चीन की ऐसी हरकतों पर प्रतिक्रिया देते आया है। इसी बीच भारत के प्रति अपनी कुंठा के लिए मशहूर ड्रैगन ने श्रीलंका की आड़ में भारत विरोधी एजेंडा चलने का प्रयास किया लेकिन भारत ने इसे इसबार ऐसा लपेटा है कि वह भविष्य में कुछ भी करने और बोलने से पहले 101 बार सोचेगा।
दरअसल, हाल ही में चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर करीब एक सप्ताह के लिए अपना युद्धपोत युआन वांग 5 लाकर खड़ा कर दिया था। इसके पीछे चीन का लक्ष्य भारत की जासूसी करना था। 16 से 22 अगस्त के लिए चीन के जासूसी जहाज ने हंबनटोटा बंदरगाह पर डेरा डाला। हालांकि, भारत ने ड्रैगन की किसी भी चाल को कामयाब नहीं होने दिया और अपने अंदाज में चीनी जहाज का ऐसा भेजा फ ्राई किया कि जिस मिशन के लिए ड्रैगन ने अपना जहाज भेजा था, उसमें वो पूरी तरह से विफ ल हो गया।
भारत के इसी रणनीति से चीन एक बार फिर बौखलाया हुआ है और श्रीलंका का सहारा लेकर भारत के विरुद्ध जमकर जहर उगलने का काम कर रहा है। इसी कड़ी में चीनी राजदूत ने तो अपने एक बयान में श्रीलंका पर भारत द्वारा कई बार अतिक्रमण करने तक का आरोप लगा दिया। भारत का नाम लिए बिना चीनी राजदूत ने कहा था कि श्रीलंका पर उत्तर स्थित पड़ोसी ने 17 बार अतिक्रमण किया। 450 वर्षों तक श्रीलंका पश्चिमी देशों का ग़ुलाम था। अब श्रीलंका ने चीनी जहाज को हंबनटोटा में आने की अनुमति देकर अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का उदाहरण दिया है। भारत का नाम लिए बिना चीनी राजदूत ने कहा था कि “तथाकथित सुरक्षा चिंताओं पर बाहरी रुकावट वास्तव में श्रीलंका की संप्रभुता और स्वतंत्रता में पूरी तरह से हस्तक्षेप है।”
अपने इस बयान के माध्यम से चीन ने भारत को एक अतिक्रमणकारी देश के तौर पर दिखाने की कोशिश की, जबकि चीन स्वयं अपनी विस्तारवादी नीति के कारण बदनाम है। ऐसे में भारत को चीन का यह उटपटांग बयान जरा भी रास नहीं आया और अपने उच्चायोग के माध्यम से ऐसी खरी खोटी सुनाई, जिसे चीन कभी नहीं भूला पाएगा। भारतीय उच्चायोग ने चीन की टिप्पणी पर चीन की लंका लगाते हुए चीनी अधिकारियों की इस भाषा को उसके देश की विचारधारा से जोड़ दिया।
भारतीय हाई कमीशन ने कहा कि मौजूदा समय में श्रीलंका को समर्थन की जरूरत है न कि किसी दूसरे देश के एजेंडे को पूरा करने के लिए किसी दबाव या अनावश्यक विवादों की। चीनी राजनयिक को लताड़ लगाते हुए भारत ने कहा, श्रीलंका के उत्तरी पड़ोसी के बारे में उनका रवैया उनके अपने देश के व्यवहार से प्रभावित हो सकता है। हम उन्हें भरोसा दिलाना चाहते हैं कि भारत चीन से बहुत अलग है।
उच्चायोग ने कहा कि चीन की अपारदर्शिता और कर्ज से प्रेरित एजेंडा खास तौर पर छोटे देशों के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है और हालिया घटनाक्रम इसकी चेतावनी है।
श्रीलंका की आड़ में भारत विरोधी एजेंडा चला रहा है चीन
आपको बता दें कि भारत के द्वारा शुरू से ही चीनी जहाज को श्रीलंका के बंदरगाह पर भेजने को लेकर आपत्ति जताई गई थी। श्रीलंका ने पहले तो चीनी जहाज को प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी परंतु श्रीलंका करता तो क्या करता। ड्रैगन ने उसे कर्ज के मकडज़ाल में कुछ यूं जकड़ रखा है कि अंत में श्रीलंका को चीनी जहाज को हंबनटोटा बंदरगाह पर तैनाती की अनुमति देने को मजबूर होना पड़ा।
वैसे ऐसा पहली बार देखने को मिला जब भारत द्वारा चीन को इस अंदाज में करारा जवाब दिया गया। हालांकि, चीन ने भारत की आपत्ति पर टिपणी करते हुए जो जहर उगला वो उसकी तिलमिलाहट को प्रदर्शित करता है। दरअसल, भारत की जासूसी करने के जिस उद्देश्य ने चीन ने यह जहाज भेजा था वो उसमें पूरी तरह से फेल साबित हुआ। चीन ने सोचा तो होगा कि वो इस जहाज के माध्यम से भारत की जासूसी करेगा, परंतु उसका हर दांव उल्टा पड़ गया और भारत ने चीन को ऐसा मजा चखाया कि चीनी जहाज को अपना मिशन पूरा किए बिना ही वापस अपने देश लौटने पर मजबूर होना पड़ा।
मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार चीन की चालाकी का जवाब देते हुए भारत ने उसके जहाज के खिलाफ सैटेलाइट सिग्नल शील्ड लगा दी थी। भारत की ओर से कोई भी संदेश सिग्नल शील्ड से आगे नहीं जा सका। भारत ने चीन को गुमराह करने और व्यस्त रखने के लिए चीनी इंटरसेप्टर के लिए फर्जी संदेशों का सहारा लिया और इसके जरिए चीनी जहाज का भेजा फ्राई करके रख दिया। भारत की इस रणनीति के आगे ड्रैगन बेबस हो गया। चीन का अपने जहाज़ द्वारा भारत की जासूसी करने का मिशन फेल हो गया और इसलिए बौखलाहट में ड्रैगन अन्य देशों के जरिए अपना भारत विरोधी एजेंडा चलने में जुटा हुआ है।
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