मिर्जापुर: बिहार में कभी जिसके कहने पर सरकार बनती और बिगड़ती थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह बाहुबली कभी सबसे खास होता था, जिस व्यक्ति के ऊपर इस बाहुबली का हाथ होता था वो खुद को विधायक से कम नहीं समझता था। बिहार के बाहुबलियों में से एक रोहतास जिले के रहने वाले पूर्व विधायक नरेंद्र उर्फ सुनील पांडेय को उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर पुलिस ने गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे भेज दिया है। पूर्व बाहुबली विधायक पर आरोप है कि इनके गुर्गों ने एक वृद्ध को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया।
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में स्थित अष्टभुजा के पास खाली मैदान पर बिहार के अलग-अलग जगहों से दर्शन करने के लिए दर्शनार्थियों का दो गुट आया हुआ था, जहां दोनों गुट में आपसी विवाद के बाद 14 अगस्त को गोली चल गई थी। इस गोलीकांड में घायल वृद्ध कन्हैया प्रसाद उम्र 75 वर्ष की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। गोली चलने का कारण खाना बनाने को लेकर विवाद बताया गया। वृद्ध की मौत के बाद पुलिस ने छह आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया था, जहां उनके पास से तीन लग्जरी वाहन को भी बरामद किया था।
शराब के बाद शवाब को लेकर हुआ यह खूनी खेल
मिर्जापुर के विंध्याचल में स्थित मां अष्टभुजा को बिहार के लोग कुल देवी मानते है। मां अष्टभुजा के जन्मोत्सव में शामिल होने के लिए बिहार के पूर्व बाहुबली विधायक नरेंद्र उर्फ सुनील पांडेय आए हुए थे। विधायक के साथ उनके गुर्गे भी थे। दर्शन के बाद विधायक जहां होटल में रुके हुए थे, वहीं उनके गुर्गे गाड़ी लेकर अष्टभुजा मैदान पर बिहार के बक्सर से आए दर्शनार्थी भोला पाण्डेय के गुट के साथ खाना बना रहे थे, जहां जमकर शराब के जाम छलके। स्थानीय सूत्रों की माने तो यहां तक मामला ठीक था, लेकिन जैसे ही शराब के बाद शवाब के नाचने की बारी आई तो दोनों दर्शनार्थियों के गुट में तकरार होने लगी। शवाब किस तरफ नाचेगी इसको लेकर विवाद शुरू हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि विधायक के गुर्गों ने वृद्ध को गोली मार दी, जहां वृद्ध की मौत हो गई।
होटल में रुके थे पूर्व विधायक, अष्टभुजा में गुर्गों ने किया कांड
अष्टभुजा में जब घटना हुई तो पूर्व विधायक नरेंद्र उर्फ पांडेय विंध्याचल के पुरानी वीवीआईपी पर स्थित एक होटल में रुके हुए थे। घटना के बाद भाग रहे विधायक के छह गुर्गों को पुलिस ने फिल्मी स्टाइल में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया, जहां उनके पास से तीन लग्जरी वाहन को बरामद किया। पुलिस ने जब आरोपियों से पूछताछ की तो पूर्व विधायक नरेंद्र पाण्डेय का नाम सामने आया। यहीं नही बरामद लग्जरी गाड़ी में एक गाड़ी विधायक के नाम पर ही दर्ज मिली। इस घटना में पुलिस ने पूर्व बाहुबली विधायक को पुलिस ने पनाह देने व षड्यंत्र रचने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुलिस ने अभी तक घटना में शामिल मुख्य आरोपी व गोली कांड में प्रयुक्त पिस्टल को बरामद नही कर पाई है।
पुलिस ने विधायक को होटल से उठाया, किसी को नहीं लगी खबर
अष्टभुजा में हुए गोलीकांड के बाद पुलिस ने उसी दिन पूर्व बाहुबली विधायक को होटल से उठा लिया था, जहां थाने पर ले जाकर घंटों तक पूछताछ भी चली थी। सूत्र बतातें है कि पुलिस के पास उस वक्त कोई ठोस प्रमाण नहीं था, जहां राजनीतिक रसूख के आगे पुलिस की पूर्व विधायक के ऊपर की गई कार्रवाई फीकी पड़ने लगी। गिरफ्तार गुर्गों के पास से जब वाहन बरामद हुआ और उन वाहनों की जांच हुई तो पूर्व विधायक का नाम सामने आया। पुलिस ने पर्याप्त सबूत मिलने के बाद पूर्व बाहुबली विधायक को सलाखों के पीछे भेज दिया।
बिहार में चार बार के विधायक रह चुके है नरेंद्र उर्फ सुनील पांडेय
बिहार के रोहतास के जनपद के नवाडीह निवासी नरेंद्र उर्फ सुनील पांडेय एक बार समता पार्टी तो तीन बार जेडीयू से विधायक बन चुके है। पूर्व बाहुबली विधायक के पिता आर्मी में नौकरी को छोड़कर सोन नदी में बालू की ठेकेदारी शुरू किया था। सुनील पांडेय के पिता कामेश्वर सुनील को इंजीनियर बनाना चाह रहे थे, जिसको लेकर बेंगलुरु में स्थित एक कॉलेज में दाखिला भी कराया था। जहां एक छात्र को जख्मी करने के बाद वापस बिहार चले आए। बिहार आने के बाद उन्होंने पिता के बालू के ठेकेदारी को संभालने का काम किया। सुनील पर अपने ही उस्ताद शहाबुद्दीन के खास सिल्लू मियां को मारने का आरोप है। सल्लू मियां को रास्ते से हटाकर सुनील रोहतास में सोन नदी का शहंशाह बन गया।
दर्ज है 50 से ज्यादा मुकदमे
सुनील पांडेय के ऊपर 50 से अधिक मामले दर्ज है। कई मामलों में साक्ष्य नहीं मिलने पर सुनील को बरी भी किया जा चुका है। इससे पहले यूपी के माफिया मुखतार अंसारी की 50 लाख रुपये में हत्या की सुपारी लेना आरोप भी लग चुका है। नरेंद्र उर्फ सुनील पांडेय की आधी जिंदगी जेल या फरारी में कटी है। सुनील ने एमए की पढ़ाई किया और बाद में पीएचडी कर के डॉक्टरेट की उपाधि भी हासिल कर ली। जेल के अंदर ही रहकर ही वह डॉक्टर सुनील पाण्डेय बन गए।
जेडीयू का साथ छोड़कर लोजपा का थामा था दामन
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जब गठबंधन के तहत जेडीयू को महज 2 सीटें मिली। 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले नरेंद्र उर्फ सुनील पांडेय जेडीयू का दामन छोड़कर राम विलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल हो गए। साल 2015 के आखिरी महीने में विधानसभा के चुनाव में सुनील की पत्नी को लोक जनशक्ति पार्टी ने तरारी सीट से उम्मीदवार बनाया, लेकिन इस चुनाव में महज 272 वोटों से सुनील की पत्नी चुनाव हार गईं। साल 2020 के चुनाव में भी सुनील को लोक जन शक्ति पार्टी से काफी उम्मीद थी, लेकिन इस बार लोक जनशक्ति पार्टी ने टिकट नहीं दिया। टिकट नहीं मिलने के बाद सुनील निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद पड़े थे।
रिपोर्ट – मुकेश पांडेय
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