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Editorial: आज विश्व में भारत के उपलब्धियों का डंका बज रहा है 

15-8-2022

76वाँ स्वतंत्रता दिवस यह दिन हैं हमारे गौरव का हमारी आजादी का जब देशभर में देशभक्ति का जूनून उमड़ पड़ा है। आज विश्व में भारत का डंका बज रहा है यानी भारत की बात दुनिया मानने लगी है। चाहे कोरोनाकाल  में दुनिया को वैक्सीन देने की बात हो या अफगानिस्तान, यूक्रेन रूस संकट में मदद करने की बात हो भारत ने वह कर दिखाया है  जो विश्व में किसी भी देश ने सोचा भी नहीं था।

भारत आने वाले समय में दुनिया में सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बनेगा ऐसा रिपोर्ट में कहा जा रहा है। वर्तमान में भले ही चीन आगे है पर आज भी भारत की जनसंख्या चीन के बाद दूसरे नंबर पर है इसके बावजूद कोरोना काल में अपने नागरिकों के अलावा विश्व की चिंता करते हुए भारत ने वैक्सीन विदेशों को निर्यात की है यह भारत की विश्व गुरू बनने की योग्यता है।

15 अगस्त 1947 को हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और वीर सपूतों के तकऱीबन 100 सालों के स्वतंत्रता संग्राम के फलस्वरूप इसी दिन गोरों की गुलामी से मुक्त होकर भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र बना. इसीलिए 15 अगस्त को हम प्रतिवर्ष भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं.

 आज हम स्वतंत्र हैं, हमें अपने भारत को फिर से सोने की चिडिय़ा और विश्वगुरु बनाना हैं. ब्रिटेन में 20 लाख से अधिक भारतीय रहते हैं. यह वक्त हैं हमारे उत्पीडन के बदले का वक्त बदल चूका हैं.

हमे मानसिक रूप से उन कातिलों से बदला लेना हैं जिन्होंने हमे 200 वर्षो तक गुलाम बनाए रखा. आजादी के 75 साल बाद भी हमारे देश की अधिकतर आबादी अपनी बुनियादी वस्तुओं की पहुच से दूर हैं, इस सच्चाई को छुपाकर हम कैसे कह सकते हैं.

कि भारत एक सुपर पॉवर हैं. हमे अपने वतन को उस मुकाम तक पहुचाने में माननीय प्रधानमन्त्री कों समर्थन देना चाहिए. एक भारतीय होने के नाते हमे अपने देश के विकास कार्यो में सहयोग के लिए समय पर टैक्स का भुगतान कर, सरकारी योजनाओं में सहयोग करके, भ्रष्टाचार को जड़ से उखाडऩे में हमे आगे आना होगा.

भगतसिंह, सुभाषचन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद, तात्या टोपे, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसे हजारो शहीद देशभक्तों की वीरतापूर्ण कहानी और पराक्रम के बल पर ही भारत को आजादी में मिल सकी थी. वे माताए धन्य हैं, जिन्होंने ऐसे वीर सपूतों को जन्म दिया. अपने घर-परिवार की परवाह किये बिना.

स्वतन्त्रता आन्दोलन का साथ थामा और मौत को गले लगाने से नही हिचके. प्रेरणादायक पक्तियाँ प्रत्येक नवयुवक का खून उबाल देती थी.

29 मार्च, 1857 के दिन भारत के पहला स्वतन्त्रता सेनानी मंगल पांडे को ब्रिटिश सरकार ने राजद्रोह के आरोप में फ ांसी की सजा दे दी गईं थी. इसी घटना के प्रतिरोध और अन्य सामाजिक राजनितिक कारणों के फलस्वरूप 1857 की क्रांति की शुरुआत हुई थी.

गोरी सरकार की दमनकारी नीति ने इस आन्दोलन को एक साल के भीतर पूरी तरह दबाने में तो सफल रही. मगर आजादी की इस चिंगारी ने प्रत्येक भारतीय के मन में इस सरकार के विरुद्ध आक्रोश और देशप्रेम की भावना पैदा कर दी।

भारत की स्वतंत्रता के पीछे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का महत्वपूर्ण योगदान रहा. उन्हें सत्य और अहिंसा पर आधारित असहयोग आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन, नमक सत्याग्रह, चम्पारण खेड़ा का आन्दोलन के परिणाम स्वरूप अंग्रेज सरकार को मजबूर होकर भारत की स्वतन्त्रता की घोषणा करनी पड़ी।

स्वतंत्रता के पीछे जो योगदान देश के महान शहीदों और गुमनाम शहीदों का रहा है उससे यह संदेश जाता है कि वर्तमान में भारत का पुराना वैभव, पुरानी संस्कृति सनातन धर्म की महान विरासत को सहेजना भी भारत के नये युवाओं को आवश्यक है इसके लिये युवाओं में आकांक्षा भी जगाना जरूरी है। यह सभी कार्य शिक्षा के माध्यम से संभव हो सकते हैं।