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कैंसर से लेकर अन्य असाध्य बीमारियों से लड़ने की रामबाण औषधियां बनाने और खोजने वाले प्रख्यात वैद्य पद्मश्री बालेंदु प्रकाश ने रविवार को आयुर्वेद ज्ञान को कमतर आंकने को भूल बताया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को लेकर कुछ भ्रांतियां हैं। लोग कहते हैं कि यह धीरे-धीरे काम करती है। जबकि ऐसा नहीं है। आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली को कमतर आंकना अकर्मण्यता की निशानी है।
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत एमएनएनआईटी के सेमिनार हाल में नीमा की ओर से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पर आयोजित परिचर्चा में दीप प्रज्ज्वलन के बाद बतौर मुख्य वक्ता पद्मश्री बालेंदु ने कहा कि हमें आयुर्वेद की ताकत को पहचानने की जरूरत है। आयुर्वेद में अचूक और रामबाण नुख्से हैं, जो कुछ सेकेंड में ही अपना असर दिखा सकते हैं। उन्होंने कोरोना महामारी की भयावहता की ओर इशारा करते हुए कहा कि हर आदमी के शरीर में करोड़ों वायरस होते हैं।
एक छोटे से जुकाम ने कोरोना वायरस के रूप में पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। लोग इसके संक्रमण के आगे असहाय से हो गए। ऐसे में आयुर्वेद की ताकत को जानना होगा। इस दौरान उन्होंने क्रोनिक रायनाइटिस (सर्दी, जुखाम, नाक से पानी आना) से निबटने के लिए फार्मूले की भी जानकारी दी। कहा कि आयुर्वेद में नुख्से के ज्ञान को गुप्त रखने की परंपरा रही है,लेकिन वह इसे फैला रहे हैं।
बतौर मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने प्राचीन आयुर्वेद के ज्ञान पर चर्चा की। एमएनएनआईटी के निदेशक प्रो. आरएस वर्मा ने आयुर्वेद को सराहा। संचालन नीमा के अध्यक्ष डॉ. एसके राय ने किया। डॉ. दीप्ति योगेश्वर ने अतिथियों के स्वागत में सहयोग किया। बीएचयू के आयुर्वेद विभाग के डीन प्रो. केएन द्विवेदी,नीमा के सेंट्रल जनरल सेक्रटरी डॉ. यूएस पांडेय और डॉ. अरविंद मिश्रा मौजूद थे।
इन आयुर्वेदाचार्यों का हुआ सम्मान
आयुर्वेद चिकित्सा में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. सपना मिश्रा, डॉ. कामायनी शुक्ल, डॉ. डीके श्रीवास्तव, डॉ. प्रकाश खेतान, डॉ सुशील सिन्हा, डॉ. टीयू सिद्दीकी, डॉ. संग्राम सिंह, डॉ. अजय मिश्रा, डॉ एम अली को अमृत सम्मान से नवाजा गया।
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कैंसर से लेकर अन्य असाध्य बीमारियों से लड़ने की रामबाण औषधियां बनाने और खोजने वाले प्रख्यात वैद्य पद्मश्री बालेंदु प्रकाश ने रविवार को आयुर्वेद ज्ञान को कमतर आंकने को भूल बताया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को लेकर कुछ भ्रांतियां हैं। लोग कहते हैं कि यह धीरे-धीरे काम करती है। जबकि ऐसा नहीं है। आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली को कमतर आंकना अकर्मण्यता की निशानी है।
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत एमएनएनआईटी के सेमिनार हाल में नीमा की ओर से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पर आयोजित परिचर्चा में दीप प्रज्ज्वलन के बाद बतौर मुख्य वक्ता पद्मश्री बालेंदु ने कहा कि हमें आयुर्वेद की ताकत को पहचानने की जरूरत है। आयुर्वेद में अचूक और रामबाण नुख्से हैं, जो कुछ सेकेंड में ही अपना असर दिखा सकते हैं। उन्होंने कोरोना महामारी की भयावहता की ओर इशारा करते हुए कहा कि हर आदमी के शरीर में करोड़ों वायरस होते हैं।
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