लखनऊ: योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) के तीन मंत्रियों की नाराजगी की खबरों ने उत्तर प्रदेश के सियासी माहौल को अचानक गरमा दिया है। यूपी में योगी सरकार 2.0 (Yogi Government 2.0) के 100 दिन पूरे होने के बाद ही मंत्रियों की नाराजगी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग को लेकर एकजुट दिख रही भाजपा के बीच से इस प्रकार की सुगबुगाहट के मायने अलग हैं। मंत्रियों की नाराजगी से सवाल कई उठेंगे। सबसे अधिक विपक्ष की ओर से सवालों का उठना शुरू होगा। इनके जवाब भाजपा और सत्ता के शीर्ष नेतृत्व को देना होगा। हालांकि, मंत्रियों की नाराजगी के पीछे के कारणों पर गौर करें तो कई बड़े मामले सामने आते दिख रहे हैं। दिनेश खटीक (Dinesh Khatik) अब तक कामकाज का बंटवारा नहीं होने से नाराज हैं। इस कारण उन्होंने अमित शाह (Amit Shah) को पत्र लिखकर अपना इस्तीफा दिया है, यह मामला सामने आया है। इसकी कॉपी उन्होंने राजभवन को भी भेजी है। वहीं, जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) और ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) की नाराजगी की अपनी वजहें हैं। इसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई भी एक बड़ी वजह साफ तौर पर नजर आती है।
दिनेश खटीक की नाराजगी की खबरों को ध्यान से देखा जाए तो आपको सरकार में राज्यमंत्रियों की स्थिति का पता चलेगा। आम तौर पर राज्य मंत्री को विभाग में कुछ कामकाज का आवंटन किया जाता है, लेकिन यह पूरी तरह से कैबिनेट मंत्री के विवेक पर निर्भर करता है कि वे विभाग से संबद्ध राज्य मंत्री को क्या काम देते हैं। जलशक्ति विभाग के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह हैं। इसके साथ-साथ वे भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के भी प्रभार में हैं। ऐसे में दिनेश खटीक की नाराजगी का असर दूर तक जाने वाला है। माना जा रहा है दिनेश खटीक दिल्ली पहुंच गए हैं। वहां वे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक अपनी नाराजगी को जता सकते हैं। हस्तिनापुर से विधायक दिनेश खटीक की नाराजगी कोई पहली बार नहीं है।
पहले भी दे चुके हैं इस्तीफे की धमकी
दिनेश खटीक के इस्तीफे की चर्चा पहली बार नहीं हो रही है। वे काम आवंटित नहीं होने से पहले से नाराज हैं। वे अपने समर्थकों का कोई काम नहीं करवा पा रहे हैं। मंत्री बनने के बाद क्षेत्र की जनता के लिए काम करने का वादा किया था, लेकिन उसे भी पूरा करने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। राज्यमंत्री के करीबियों का कहना है कि सरकार में उनकी उपेक्षा हो रही है। इस कारण वे नाराज हैं। सूत्रों के अनुसार, मंगलवार की दोपहर वे दिल्ली निकल गए थे। इस कारण योगी मंत्रिमंडल की बैठक में भी शामिल नहीं हुए। उनकी नाराजगी मेरठ में बवाल के बाद समर्थकों की ओर से मुकदमा दर्ज करने के आवेदन पर कार्रवाई न होने पर भी फूटा था। एक बवाल के बाद उनके समर्थक थाने में मुकदमा दर्ज कराने गए तो पुलिस ने टरका दिया।
इसके बाद दिनेश खटीक स्वयं थाने पहुंचे और उन्होंने तक इस्तीफे की धमकी तक दे दी थी। बाद में उन्हें मनाने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य मेरठ गए थे। पिछले दिनों मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह की अध्यक्षता में हुई विभागीय बैठक को भी वे बीच में छोड़कर निकल गए थे। इसके बाद भी उनकी नाराजगी की खासी चर्चा हुई थी।
ब्रजेश पाठक की नाराजगी की अपनी वजहें
यूपी में योगी सरकार 2.0 में जो सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिला, वह था डॉ. दिनेश शर्मा की जगह ब्रजेश पाठक को डिप्टी सीएम बनाया जाना। योगी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान लगातार सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का मामला गरमाया रहता था। योगी 2.0 में ब्रजेश पाठक काफी एक्टिव दिख रहे हैं। लगातार स्वास्थ्य विभाग को आम लोगों से कनेक्ट करने की कोशिश करते दिख रहे हैं। लेकिन, विभागीय अधिकारी उनकी सुन ही नहीं रहे। ऐसे में उनकी नाराजगी उभर कर सामने आ गई है। पिछले दिनों विभागीय स्तर पर हुए तबादलों के बाद उनका गुस्सा साफ दिखा था। अधिकारियों के स्तर पर उनसे बिना राय लिए तबादले कर दिए गए। सीएम योगी के सामने जब उन्होंने मामला उठाया तो विवाद बढ़ गया। डिप्टी सीएम भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कार्रवाई की बात कर रहे हैं।
जितिन प्रसाद कर सकते हैं शाह से मुलाकात
कांग्रेस से भाजपा में आकर योगी सरकार 2.0 में पीडब्लूडी मंत्री बने जितिन प्रसाद अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं। इस मुलाकात के दौरान वे अपनी नाराजगी की चर्चा कर सकते हैं। योगी सरकार की ओर से विभागीय तबादलों की गड़बड़ी की जांच टीम ने उनके ओएसडी अनिल कुमार पांडेय को मामले में दोषी पाया। इसके बाद उनके खिलाफ सरकार के स्तर पर कार्रवाई हुई है। केंद्र से राज्य में प्रतिनियुक्ति पर आए मंत्री के करीबी ओएसडी की सेवा वापस कर दी गई। उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। वहीं, पीडब्लूडी के विभागाध्यक्ष पर कार्रवाई हो गई है। इस पूरे मामले में विभागीय मंत्री की छवि पर भी असर पड़ा है। ऐसे में जितिन प्रसाद अपनी छवि को केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष चमकाने की कोशिश कर सकते हैं। राज्य सरकार के स्तर पर कार्रवाई के बारे में जानकारी न होने का भी मामला उठा सकते हैं।
पूरे मामले के मूल में अफसरशाही
प्रदेश में जिस प्रकार से मामले सामने आए हैं, उसमें अफसरशाही ही मुख्य मुद्दा माना जा रहा है। दिनेश खटीक के मामले को छोड़ दें, तो विभागीय तबादलों का जिस प्रकार से खेल चला है, उसने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अधिकारियों की विभागीय स्तर पर मनमानी और जन प्रतिनिधियों को न सुने जाने की बात भी सामने आई है। ऐसे में सीएम योगी ने मंत्रियों को विभाग पर पैनी नजर रखने के निर्देश तो दिए हैं, लेकिन मंत्रियों का आरोप है कि उनकी बातों को सुना नहीं जाता है।
दिनेश खटीक के इस्तीफे की जो चिट्ठी लीक हुई है, उसमें साफ कहा गया है कि अधिकारी उनकी नहीं सुनते हैं। यह तमाम मंत्रियों के मन की बात है। अब यह खुलकर सामने आने लगी है। योगी सरकार मंत्रियों के नाराजगी के मामले में जल्द ही कोई बड़ा कदम उठा सकती है। इस प्रकार की चर्चा भी शुरू हो गई है।
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