कानपुर में गोविंद हत्याकांड में नवाबगंज पुलिस की बड़ी लापरवाही रही थी। गुमशुदगी दर्ज करने के बाद पुलिस हाथ पर हाथ धर कर बैठी रही थी। पीड़ित परिजन खुद संदिग्धों के सीसीटीवी फुटेज निकलवाकर लाए थे। जिसे पुलिस को सौंपा था। पुलिस तब सक्रिय हुई जब अकबरपुर में मिले शव की शिनाख्त गोविंद के रूप में हुई थी।
इसके बावजूद जिस खुलासा करने वाली टीम को 50 हजार का इनाम दिया गया है, उसमें नवाबगंज थाने के पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। मामले में जांच के भी आदेश दिए गए हैं। एक जुलाई की रात परिजनों ने गुमशुदगी दर्ज कराई थी। बैंक से पैसे निकलने का जब मैसेज आया तो इसकी जानकारी पुलिस को दी थी।
जिससे यह स्पष्ट हो गया था कि पैसे उन्नाव के सिविल लाइंस स्थित एचडीएफसी व टाटा के एटीएम से पैसे निकाले गए। इसके बावजूद पुलिस ने जांच करने की जहमत नहीं उठाई थी। दूसरे दिन परिजनों ने संबंधित बैंकों में जाकर फुटेज जुटाए थे।
जिसमें गोविंद व उसके साथ मौजूद आरोपी कैद हुए थे। इन्हीं फुटेज के आधार पर जांच आगे बढ़ सकी थी। पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने कहा कि मामले में जांच कराई जाएगी। अगर लापरवाही पाई गई तो संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।
इस तरह हुआ वारदात का खुलासा
पुलिस के पास करीब एक दर्जन कैमरों के फुटेज थे, जिसके जरिये पुलिस ने उनके बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। उन्नाव के एटीएम के बाहर खड़ी कार के पास आरोपी आदित्य खड़ा दिखा था। उसका स्पष्ट फुटेज था। इससे उसकी पहचान हुई। वहीं जब पुलिस ने मकड़ीखेड़ा व उन्नाव सिविल लाइंस स्थित मोबाइल टावर का डाटा डंप कराया तो एक समय पर छह मोबाइल एक्टिव मिले।
आगे भी इनकी लोकेशन एक साथ बदलती गई। यहीं से इन पर शक गहराया। पुलिस सबसे पहले आदित्य फिर सौरभ और आकाश उर्फ मोनू तक पहुंची। पूछताछ शुरू की तो पूरी वारदात आरोपियों ने कबूली। उसके बाद अन्य तीन आरोपी पुलिस ने पकड़ लिए।
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