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मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की स्मृति में 5 जुलाई को राजभवन मार्च

Ranchi: मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की स्मृति में 5 जुलाई को राजभवन मार्च का आयोजन किया गया है. नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए सतत संघर्ष करने वाले प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की हिरासत में हुई मौत हो गई थी. राजभवन मार्च के माध्यम से जिम्मेदार लोगों को चिन्हित कर उन्हें सजा दिए जाने की मांग की जायेगी. यह आयोजन नागरिक अधिकारों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ वामदलों, सामाजिक संगठनों और जनसंगठनों के संयुक्त तत्वावधान में 5 जुलाई को शहीद स्मारक से अपराह्न 12 बजे राजभवन तक मार्च निकाला जाएगा. यह निर्णय माकपा राज्य कार्यालय में आयोजित सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बरला की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया .

देश चौतरफा संकटों से घिरता जा रहा है

बैठक में माकपा के प्रकाश विप्लव, समीर दास, भाकपा माले के भुवनेश्वर केवट, नंदिता भट्टाचार्य, झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा के राजू महतो, आदिवासी अधिकार मंच के प्रफुल्ल लिंडा,आलोका और एडवा की वीणा लिंडा समेत अन्य लोग मौजूद थे. बैठक के बाद एक संयुक्त प्रेस वार्ता भी आयोजित की गयी. प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए दयामनी बरला ने कहा कि देश चौतरफा संकटों से घिरता जा रहा है. शासक वर्ग द्वारा एक ओर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए उन्माद की राजनीति को सुनियोजित तरीके से बढ़ाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर नागरिकों के संविधान प्रदत्त अधिकारों पर तीखे हमले किए जा रहे हैं. इन हमलों के खिलाफ आवाज उठाने वाले सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं को यूएपीए जैसे काले कानून का इस्तेमाल कर जेलों में बंद किया जा रहा है .

स्टेन स्वामी की जेल में हुई मौत के जिम्मेदार लोगों को चिन्हित नहीं किया गया है

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए माकपा के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि गुजरात दंगों के दोषियों को सजा दिलाने और सांप्रदायिकता के खिलाफ लगातार आवाज उठाने वाली तिस्ता सीतलवाड़ और मो जुबैर की हाल में हुई गिरफ्तारी नागरिक अधिकारों पर बढ़ते हमलों का ताजा उदाहरण है. भाकपा माले के भुवनेश्वर केवट ने कहा कि आज एक वर्ष बीत जाने के बाद भी फादर स्टेन स्वामी की जेल में हुई मौत के जिम्मेदार लोगों को चिन्हित नहीं किया गया है. इस पृष्ठभूमि में नागरिकों के अधिकारों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ सभी लोकतांत्रिक शक्तियों को एकजुट होकर लगातार आंदोलन का बिगुल फूंकना पड़ेगा.

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