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काम के प्रति व्यक्तिगत लगाव और जुड़ाव होगा, तो अभूतपूर्व परिवर्तन नजर आएगा

प्रदेश की राज्य मंत्री ग्राम्य विकास, श्रीमती विजय लक्ष्मी गौतम ने कहा कि प्रदेश में रोड कनेक्टिविटी को बेहतर बनाकर गांवों को और अधिक सशक्त और मजबूत बनाना है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के सभी नए ऊर्जावान और पुराने अनुभवी अभियंता व ठेकेदार मिलकर  आपसी सामंजस्य  व तारतम्य बनाकर कार्य करें, तो उत्तर प्रदेश तरक्की के रास्ते पर और बहुत तेजी से आगे बढ़ेगा। श्रीमती विजयलक्ष्मी गौतम आज इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के जुपिटर हाल में आयोजित ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के स्वर्ण जयंती समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहीं थी। उन्होंने इस अवसर पर विभाग की ई- स्मारिका  का विमोचन भी किया।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण सड़कें इस तरह से बनाएं कि ग्रामीण हाईवे नजर आएं। उन्होंने कहा सभी अभियन्तागण पूरी इच्छाशक्ति के साथ काम करें और  सड़कों के निर्माण कार्य  के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करें ।उन्होंने कहा  मां ०प्रधानमंत्री व मा० मुख्यमंत्री के निर्देशन में गांवों  को सशक्त बनाने के बहुआयामी प्रयास किए जा रहे हैं ।इसी कड़ी में ग्रामीण सड़कों को , विशेषकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यों को हमें पूरी गुणवत्ता के साथ करना होगा ।उन्होंने कहा  कि पूरी निष्ठा के साथ काम किया जाएगा, तो निश्चित ही उसके परिणाम अच्छे होंगे ।उन्होंने कहा की गुणवत्ता समयबद्धता,  मानकों और मापदंडों का निर्माण कार्यों में विशेष रुप से ध्यान रखा जाए तथा  एफ डी आर तकनीक पर किए जा रहे कार्यों में पूरी तत्परता और तल्लीनता बनाए रखी जाए ।
कृषि उत्पादन आयुक्त /अपर मुख्य सचिव, ग्राम्य विकास व पंचायती राज ,श्री मनोज कुमार सिंह ने कहा कि भारत गांवों में बसता है । ग्रामीण सड़कों पर विशेष रूप से फोकस करना है।कहा कि ग्रामीण ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ने लंबा रास्ता तय करते हुए 50 वर्ष पूरे किए हैं और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन किया जा रहा है, इसका अच्छा और बेहतर संदेश समाज में जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि काम की पद्धति और रफ्तार अच्छी होगी, तो काम की कोई कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा इंजीनियर न केवल सुपरवाइजरी का काम करें ,बल्कि अपने सामने सड़क पर खड़े होकर कार्य कराएंगे ,तो बहुत ही अच्छे काम होंगे ।उन्होंने कहा सभी अधिकारी अपने कर्तव्यों और दायित्वों का पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन  करें ।उन्होंने कहा कि  एफ डी आर तकनीक से रु०5.50 हजार करोड़ के काम होने हैं। पीएमजीएसवाई में 12 महीने का कांटेक्ट होता है निर्धारित समय के अंदर अगर काम पूरे हो ,तो स्वयं को भी खुशी होती है और जनता का भी हित लाभ होता है। उन्होंने कहा  कि  मौके पर स्वयं खड़े होकर कोई भी कार्य कराया जाए तो उसको देखकर खुशी होती है और अपने द्वारा कराए गये कार्य को देखने की उत्सुकता भी होती है,इसलिए मौके पर खड़े होकर टीम भावना के साथ सभी कामों को अंजाम दें ।उन्होंने कहा मनरेगा में भी आई आर डी के साथ संबद्धता करने की कोशिश की जा रही है।  कहा कि काम के प्रति आपके जुड़ाव से अमृत सरोवर जैसे कार्यों में अभूतपूर्व परिवर्तन हो सकता है। उन्होंने कहा ऐसा माहौल बनाएं कि लीक से हटकर काम हों, तो आपका  मान बढ़ेगा और काम भी अच्छा होगा। उन्होंने अभियंताओं को आश्वस्त किया की शासन की ओर से जो भी सहयोग संभव होगा, किया जाएगा ।
प्रमुख सचिव, ग्रामीण अभियंत्रण  विभाग, श्रीमती कल्पना अवस्थी ने कहा  सिंगल यूज वेस्ट प्लास्टिक का उपयोग करके सड़कें  बनाने के कार्य किए जाएं, तो ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को ग्रामीण क्षेत्र के अलावा शहरी क्षेत्रों, नगरीय निकायों में भी काम मिल सकता है, इस दृष्टिकोण से हमें अपने काम को आगे बढ़ाना है ।कहा कि इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी का काम में उपयोग करना बहुत जरूरी है ।गुड ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट के लिए भी काम करना है ।
सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता श्री रविंद्र कुमार गंगवार ने अपने अनुभवों को भी साझा किया। मुख्य अभियंता श्री वीरपाल सिंह राजपूत ने ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की विस्तृत आख्या प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस विभाग की स्थापना 1972 में हुई थी और विभाग में  निर्माण कार्यों के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की है ।उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की विधान सभा को ग्रामीण अभियंत्रण विभाग द्वारा बनाया गया है ।उन्होंने कहा विभाग  में अपनायी जा रही एफडीआर तकनीक से  सड़कों के क्षेत्र में युगांतकारी परिवर्तन आयेगा। उन्होंने कहा कि 55,00 किमी सड़कों के उच्चीकरण की तैयारी पूरी हो चुकी है और कार्य शुरू हो गये हैं। उन्होंने कहा कि एफडीआर तकनीक में सीमेंट व केमिकल मिलाकर एक पर्त बिछाई जाती है और बाहर से पत्थर ,गिट्टी की आवश्यकता नहीं पड़ती है , पूर्व निर्मित  पीएमजीएसवाई की सड़कों का उच्चीकरण उसी सड़क को खोद कर उसी गिट्टी से निर्माण किया जाता है ।उन्होंने  सिंगल यूज्ड वेस्ट प्लास्टिक के सड़कों मे उपयोग और नैनोटेक्नोलॉजी के प्रयोग  की आवश्यकता पर भी बल दिया ।उन्होंने कहा कि पीएमजीएसवाई की 25000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण विभाग द्वारा किया जा चुका है और उसका सतत अनुरक्षण भी नियमों के तहत किया जाता है। उन्होंने कहा कि विभाग में त्रिस्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली भी लागू है ।विभाग की प्रति वर्ष कार्य करने की क्षमता रू 6000 करोड़ की है। विभाग के इंजीनियरों और कर्मचारियों के भरसक प्रयास से विभाग ने 50 वर्ष की अनुकरणीय यात्रा पूरी की है।
 मुख्य अभियंता एवं निदेशक ग्रामीण अभियंत्रण विभाग श्री बिजेंद्र कुमार ने सभी अभ्यागतो व अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए विभाग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से सड़कों और  अन्य निर्माण कार्यों को पूरी गुणवत्ता के साथ आगे बढ़ाने का कार्य किया जाएगा ।