Ranchi: हर साल देश में 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है. इस दिन डॉ बीसी राय को याद कर चिकित्सक समाज मरीजों की सेवा करने का संकल्प लेते हैं. जब पूरा देश कोरोना संक्रमण काल से गुजर रहा था, तब डॉक्टरों ने ही मोर्चा संभाला. अपनी जान गंवाई पर लाखों लोगों की जान भी इन्होंने ही बचाई है. चिकित्सक दिवस के अवसर रांची के इन डॉक्टरों का समाज के नाम संदेश.
कोरोना को चुनौती के रूप में किया स्वीकार- डॉ मनोज कुमार
रिम्स माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर कहा कि हमलोगों ने कोरोना महामारी को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया. चिकित्सक ने समाज को संदेश दिया और कहा कि किसी भी बीमारी का बेहतर तरीके से परीक्षण हो, ताकि एंटीबायोटिक दवाओं का सदुपयोग हो सके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक यक्ष्मा (ट्यूबरक्लोसिस) के खात्मे की बात कही है, इसके लिए झारखंड में भी काम चल रहा है. लेकिन संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए हम सबों के सामंजस्य स्थापित कर बेहतर तरीके से काम करने की जरूरत है.
डॉक्टरी एक चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता: डॉ सरोज राय
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ सरोज राय ने कहा कि डॉक्टर होना सिर्फ एक काम नहीं है, बल्कि एक चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है. युवा डॉक्टरों को डॉ. बिधानचंद्र राय की तरह जवाबदारी पूरी कर डॉक्टरी पेशे का सम्मान बचाये रखने के लिए पहल करनी होगी. वर्तमान में डॉक्टरी ही एक ऐसा पेशा है, जिस पर लोग विश्वास करते हैं. इसे बनाये रखने का दारोमदार सभी डॉक्टरों पर है.
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डॉक्टर्स डे हम डॉक्टरों को अपनी चिकित्सकीय जिम्मेदारी को पुनर्जीवित करने का अवसर देता है. सारे डॉक्टर जब अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत करते हैं तो उनके मन में नैतिकता और जरूरतमंदों की मदद का जज्बा होता है, जिसकी वे कसम भी खाते हैं.
महामारी के समय समाज कल्याण के लिए अपने आप को झोंक दिया- डॉ विकास
रिम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ विकास कुमार ने कहा कि दुनिया में जब करोना ने हड़कंप मचाया तब डॉक्टरों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर समाज कल्याण में अपने आप को झोंक दिया. कई डॉक्टरों ने इस बीमारी की चपेट में आकर अपनी जान तक गंवाई. कोरोना के भयावह दौर में जहां लोग घरों से नहीं निकलते थे उस वक्त चिकित्सक समाज सदी के हीरो के रूप में उभर कर समाज सेवा की है. अपने कर्तव्यों को निभाते हुए रक्तदान करना, प्लाज्मा दान करना हो या वैक्सीन लेने में डॉक्टर सबसे पहले आगे रहे.
पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में शुरू हुआ लेप्रोस्कोपी और लेजर सर्जरी- डॉ अजीत कुमार
सदर अस्पताल के लेप्रोस्कोपिक एवं मिनिमली इनवेसिव सर्जन डॉ. अजीत कुमार ने कहा कि कोरोना के समय सामान्य ऑपरेशन भी रूक चुका था. कोरोना के डर से एनेस्थीसिया के डॉक्टर भी रिस्क लेने से बच रहे थे. संक्रमण कम होते ही रांची सदर अस्पताल में लेप्रोस्कोपी और लेजर सर्जरी की शुरुआत की गयी. यह राज्य के किसी भी सरकारी अस्पताल का पहला सर्जरी था. सितंबर 2020 में हमने पहला ऑपरेशन किया था. मई 2022 में सरकार ने लेप्रोस्कोपी और लेजर सर्जरी मशीन की खरीदारी की गयी.
मशीन के आ जाने से लेप्रोस्कोपी विधि के द्वारा पित्त की थैली के पत्थर का ऑपरेशन किया जा रहा है. साथ ही अपेंडिक्स ओवेरियन सिस्ट एवं अन्य प्रकार के पेट का ऑपरेशन भी किया जा रहा है. लेजर से बवासीर, साइनस, फिस्टुला, फिशर एवं वेरीकोस वेन का ऑपरेशन भी सदर अस्पताल में संभव है.
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