पंकज मिश्रा, हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में आपातकाल को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और अन्य संगठन के लोगों ने जहां सड़क पर आकर इन्दिरा गांधी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया तो वहीं यहां हमीरपुर में कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष रहे आनंदी प्रसाद पालीवाल ने भी काले कानून के खिलाफ बहुत बड़ा आन्दोलन चलाया था। हजारों लोगों की भीड़ एकत्र कर उग्र भाषण दिया तो उत्तर प्रदेश सरकार के हस्तक्षेप पर इन्हें गिरफ्तार कर जेल की सलाखों में कर दिया गया था। आपातकाल का विरोध करने वालों से जेल भी भर गई थी।
हमीरपुर जिले के सुमेरपुर कस्बा निवासी आनंदी प्रसाद पालीवाल वर्ष 1975 में यहां कांग्रेस पार्टी के जिला उपाध्यक्ष थे। जैसे ही देश में इमरजेंसी लगाई गई तो पार्टी में होते हुए भी ये इस काले कानून की खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। इन्होंने काले कानून के विरोध में सुमेरपुर कस्बे में धरना-प्रदर्शन कर सभा की, जिसमें कांग्रेस लखनऊ के वरिष्ठ नेता रमेश सिंह, आगरा से उपाध्याय समेत अन्य जिलों से पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सभा में इन्दिरा गांधी के इस कानून की खिलाफत की थी। आनंदी प्रसाद पालीवाल ने भी सभा में आपातकाल को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करने वाला कानून बताया था।
उन्होंने बताया कि आपातकाल के विरोध में की गई सभा में सभी ने इन्दिरा गांधी की इस फैसले की कड़ी आलोचना की थी। सभा के बाद ही उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। ये लोकतंत्र सेनानी मौजूदा में नगर पंचायत सुमेरपुर के चेयरमैन हैं। ये लोकतंत्र सेनानी कल्याण परिषद के चेयरमैन भी हैं। कोरोना वायरस से निपटने के लिए इन्होंने संगठन की ओर से कुछ साल पहले लाखों की धनराशि मुख्यमंत्री राहत कोष में दान की थी। पिछले दिनों यहां बीजेपी ने वयोवृद्ध लोकतंत्र सेनानी आनंदी प्रसाद पालीवाल समेत दर्जनों सेनानियों को सम्मानित किया था।
रेल की पटरियां उखड़ाने में कई लोगों पर चले थे डंडे
लोकतंत्र सेनानी आनंदी प्रसाद पालीवाल, देवी प्रसाद, सलाउद्दीन, रामसनेही दीक्षित सहित अन्य लोकतंत्र सेनानियों ने बताया कि इमरजेंसी के दौरान पूरे क्षेत्र में इन्दिरा गांधी के खिलाफ जन आक्रोश था। मौदहा और सुमेरपुर क्षेत्र में रेल की पटरियां उखाड़ने के झूठे आरोप लगाते हुए बड़ी संख्या में आरएसएस, हिन्दू संगठनों से जुड़े लोगों को पकड़ा गया था। पुलिस ने थाने में सभी लोगों को बड़ी यातनायें दी थीं, जो याद आते ही दिल कांप उठता है। लोकतंत्र सेनानियों ने बताया कि जिस समय विरोधियों को सबक सिखाने की मुहिम चल रही थी, उसी समय हमीरपुर में रह रहे प्रदेश सरकार के एक मंत्री ने अपनी ही पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई कराई थी। इसके बाद भी आपातकाल का विरोध महीनों तक चलता रहा।
प्रदर्शनकारियों ने फूंका था इन्दिरा गांधी का पुतला
वयोवृद्ध लोकतंत्र सेनानी रामसनेही दीक्षित ने बताया कि इन्दिरा गांधी की दमनकारी नीतियों को लेकर पूरे क्षेत्र में आन्दोलन चला था। हमीरपुर, सुमेरपुर समेत कई स्थानों पर इन्दिरा गांधी का पुतला फूंककर नारेबाजी की गई थी, जिस पर आरएसएस, कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं समेत उन्हें भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। आपातकाल के विरोध करने वाले 85 से अधिक लोग जेल में महीनों तक रखे गए थे। उन्होंने बताया कि जेल से तीन माह बाद उन्हें रिहा किया गया था। करीब नब्बे साल की उम्र के इस लोकतंत्र सेनानी का कहना है कि आपातकाल में समूचे क्षेत्र में जबरन लोगों को पड़कर नसबंदी की गई थी। जिले में नसबंदी के विरोध करने वालों पर पुलिस ने बड़ी यातनायें दी थीं।
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