रामपुर: जेल में 27 माह बिताने के बाद बाहर 36 दिन पहले जेल से बाहर आए आजम खान (Azam Khan) के तेवर अभी तक नरम नहीं हुए हैं। भले ही अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने दिल्ली के अस्पताल में आजम खान से मुलाकात कर उनकी नाराजगी को काफी हद तक कम करने की कोशिश की है। लेकिन, आजम खान के जेल में बिताए 27 माह के दौरान समाजवादी पार्टी के सीनियर नेताओं की ओर से मुलाकात के लिए नहीं आने के मामले को वे दिल से लगाए हुए हैं। न्यूज चैनल से बातचीत के क्रम में आजम खान ने खुद को एक बार फिर छोटा नेता बताया।
आजम खान से संकेतों में 27 माह के जेल में बंदी के दौरान कुछ नाराजगी पर सवाल किया गया। इस संबंध में मुलायम सिंह यादव या अखिलेश यादव जैसे साथियों के मुलाकात के लिए न आने पर जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि आप जिन नेताओं की तरफ इशारा कर रहे हैं, वे बड़े लोग हैं। मेरा स्तर न वो कल था और न आज है। मैं तो छोटा सा वर्कर हूं। छोटा सा एक शहरी हूं। छोटे-छोटे लोगों के लिए छोटे-छोटे से काम करता हूं। मेरी वो औकात कभी रही ही नहीं है, किसी से शिकवा करूं। ऐसी कभी मेरी आदत भी नहीं रही है। शिकायत करता हूं तो अपने मालिक से बस। मेरी किसी से नाराजगी नहीं है।
पाकिस्तान में संबंधियों पर कही बड़ी बात
आजम ने कहा कि मुझे नाराजगी का क्या हक है? जब मेरे ही देश में मेरे साथ यह व्यवहार हुआ तो क्या कहें? आजम ने कहा कि मेरे सगे चाचा पाकिस्तान में, मेरे मामू, फूफी और सगी बहन पाकिस्तान में है। मैं झूठ नहीं बोलता। मैं कहता हूं कि मैं अपने भांजों की शक्ल तक नहीं पहचानता। मैं उन्हें कभी हिंदुस्तान आने नहीं देता और पाकिस्तान कभी गया नहीं। बगैर गए पाकिस्तानी एजेंट कहलाता हूं। अगर चला गया तो क्या पता। हमारे लोग यहां अपनी मर्जी से रुके थे। आपको हक नहीं था पाकिस्तान जाने का। आप मुसलमान नहीं थे। हम नहीं गए, क्योंकि यह हमारा वतन है। लेकिन, हमारे साथ यहां के लोगों जैसा व्यवहार तो नहीं हुआ।
परिवार से अमानवीय व्यवहार का आरोप
आजम खान ने जेल की याद को ताजा करते हुए कहा कि हमारे साथ अमानवीय व्यवहार हुआ। मेरी प्रोफेसर पत्नी को साल भर से अधिक समय तक जेल में रखा गया। मासूम बेटा जेल में रहा। पूरा शहर बर्बाद कर दिया। पुलिस पर आजम ने आरोप लगाया कि जौहर यूनिवर्सिटी को लूट लिया गया। सारे रजिस्टर ले गए। आजम ने कहा कि अरे साहब, किताब चोरी करने वाले इतिहास पुरुष बने हैं। अगर मैंने किताब चुराकर पढ़ाया तो फख्र होना चाहिए। मैं हुकूमत से लड़ने के काबिल नहीं हूं।
संघर्ष बंद कोठरी में नहीं होता
आजम खान ने कहा कि संघर्ष कभी आठ बाई ग्यारह की कोठरी में बंद करके नहीं होता है। मैं तो जेल में जुल्म सह रहा था। बंद तो वह करता है, जिसमें संघर्ष करने की शक्ति नहीं होती। इसके जरिए उन्होंने सीधे-सीधे भाजपा सरकार के खिलाफ हमला बोला। उन्होंने कहा कि संघर्ष तो मैदान में होता है। मुझे तो जेल में बंद कर दिया था, उसके बाद भी जीवन में सबसे अधिक वोटों से जीता। और इंतजार है, क्या जुल्म फिर न शुरू हो जाए।
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