अयोध्या: अयोध्या का मुद्दा महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट (Maharashatra Political Crisis) के बीच गरमाने लगा है। अयोध्या में राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के निर्माण आंदोलन के मसले को शिव सेना हमेशा से खुद को जोड़कर पेश करती रही है। लेकिन, महा विकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) में शामिल होने के बाद से शिव सेना के बागी विधायकों का आरोप है कि पार्टी राम मंदिर से अलग होती चली गई है। अब इस मामले में महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के साथ गए विधायक ने पिछले दिनों आदित्य ठाकरे के अयोध्या दौरे पर सवाल खड़ा किया है। इसके साथ ही अयोध्या राम मंदिर का मसला महाराष्ट्र की सियासत में गरमा गया है। बागी गुट के विधायक संजय शिरसाट (Sanjay Shirsat) ने सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को लिखी चिट्ठी में अयोध्या राम मंदिर का मुद्दा छेड़ा है।
सीएम उद्धव ठाकरे और शिवसेना प्रदेश में अपनी सरकार को बचाने में जुटी हुई है। दूसरी तरफ, बागी मंत्री एकनाथ शिंदे असम की राजधानी गुवाहाटी में बैठकर अपनी स्थिति लगातार मजबूत बनाए हुए हैं। विधायकों की ओर से कहा जा रहा है कि उन्हें मुख्यमंत्री आवास वर्षा बंगले में प्रवेश तक नहीं मिल पाता था। ढाई साल में हमें एंट्री नहीं मिली। शिरसाट ने अपने पत्र में अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया। विधायक का कहना था कि बाला साहेब ठाकरे के जमाने में उनके लिए द्वार हमेशा खुले रहते थे। लेकिन, उद्धव सरकार के कार्यकाल में द्वार केवल कांग्रेस और एनसीपी नेताओं के लिए ही खुले रहे। साथ ही, उन्होंने अयोध्या दौरे पर न ले जाए जाने का भी आरोप लगाया।
शिरसाट का अविश्वास जताए जाने का आरोप
शिरसाट की चिट्ठी को एकनाथ शिंदे गुट आम शिवसैनिकों की भावना करार दे रहा है। इसमें कहा गया है कि पिछले 18 साल में उन्हें उद्धव ठाकरे से मिलने और अपनी बात कहने का मौका नहीं मिला। साथ ही, आदित्य ठाकरे के साथ उन्हें अयोध्या जाने से रोका गया। शिरसाट ने इस पर भी सवाल खड़ा किया है कि अखिर उन्हें रोके जाने के पीछे कारण क्या था? राज्यसभा चुनाव में भी उन पर अविश्वास जताया गया। इस सबके बीच अयोध्या दौरे पर आदित्य ठाकरे के जाने और विधायकों को रोकने के मामले पर अब बहस तेज हो गई है। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर शिवसेना विधायकों को अयोध्या जाने से क्यों रोका गया? यह भी कि क्या सच में विधायकों को अयोध्या जाने से शिवसेना प्रमुख की ओर से रोक लगाई गई?
दरअसल, महा विकास अघाड़ी बनने के बाद से ही उद्धव ठाकरे किसी भी प्रकार के विवाद से बचने की कोशिश करते दिखे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री बनने से पहले श्रीराम जन्मभूमि का दौरा किया था। हालांकि, अन्य नेताओं को रोकने की वजह गठबंधन में अविश्वास की भावना को रोकना हो सकता है। शिवसेना नेताओं के अयोध्या दौरों को महाराष्ट्र में ही सवालों के घेरे में लाया जाता था।
15 जून को अयोध्या आए थे आदित्य
आदित्य ठाकरे 15 जून को अयोध्या आए थे। इससे पहले राज ठाकरे ने अयोध्या दौरे की घोषणा की थी, लेकिन विरोध और कुछ अन्य कारणों से उनका दौरा स्थगित हो गया। आदित्य ठाकरे का शिवसेना नेताओं के साथ अयोध्या दौरा तय था, लेकिन बाद में वे खुद अयोध्या पहुंचे। इस दौरान आदित्य ने कहा था कि राम और सीता हमारे दिलों में बसते हैं। हमें रामराज्य स्थापित करना है। उन्होंने कहा था कि हम सभी राम के वंशज हैं। हमारा नाता यहां के लोगों से है। सीएम उद्धव ठाकरे के भी शपथ ग्रहण के दौरान भगवान राम के दर्शन के लिए आने का जिक्र किया था। अब शिरसाट के पत्र से साफ हुआ है कि इस दौरे पर आने वाले विधायकों के रोके जाने के कारण भी उनके असंतोष बढ़ा था।
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