Ranchi : प्रवर्तन निदेशालय द्वारा राहुल गांधी से पूछताछ का विरोध कर रहे कांग्रेसी नेताओं पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई और ऑल इंडिया कांग्रेस कार्यालय में पुलिस के प्रवेश से कांग्रेसियों में जबरदस्त नाराजगी है. इसे लेकर पूरे देश में कांग्रेस अपना विरोध जता रही है. इसी कड़ी में झारखंड कांग्रेस ने भी फैसला किया है कि गुरुवार को मोरहाबादी स्थित बाबू वाटिका से प्रदर्शन करते हुए राजभवन का घेराव किया जाएगा. इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता अहिंसात्मक तरीके से गोडसे के वंशज को जवाब देते हुए राज्यपाल के माध्यम से केंद्र तक आवाज पहुंचाने का काम करेंगे. यह जानकारी बुधवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर राजेश ठाकुर ने दी. कहा कि नेशनल हेराल्ड के बहाने केंद्र की मोदी सरकार कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पीछे पड़ी है. मोदी सरकार बाबा साहेब के लोकतांत्रिक संविधान को लठतंत्र में बदलने का काम कर रही है.
हमारे आस्था के केंद्र पार्टी मुख्यालय में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को पीटा गया
प्रेस वार्ता के दौरान राजेश ठाकुर ने नेशनल हेराल्ड और पार्टी मुख्यालय एआईसीसी के बारे में भी विस्तृत बात की. उन्होंने कहा, कांग्रेस पार्टी का हेडक्वार्टर एआईसीसी मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारा है. ऐसे धार्मिक स्थल पर साजिश के तहत पुलिस द्वारा हमला कराया गया. गृह मंत्रालय के निर्देश पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को लाठी से पीटा गया.
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90 करोड़ में से 67 करोड़ का भुगतान मीडियाकर्मियों और बिजली शुल्क में किया गया
मीडिया की स्वतंत्रता की बात करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र जिसने आजादी की लड़ाई में अपना प्रमुख योगदान दिया, आज उस पर मोदी सरकार साजिश के तहत हमला कर रही है. जब यह समाचार पत्र घाटे में जाकर 90 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था, तो नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की सहायता के लिए कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2002 से लेकर 2011 के दौरान लगभग 100 किश्तों में 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया था. इस 90 करोड़ रुपए में से नेशनल हेराल्ड ने 67 करोड़ रुपए अपने कर्मचारियों के वेतन (मीडियाकर्मियों) और वीआरएस का भुगतान किया. बाकी की राशि बिजली शुल्क, गृह कर, किरायेदारी शुल्क और भवन व्यय में खर्च हुई. लेकिन बीजेपी के नेता 90 करोड़ रुपये के ऋण को आपराधिक कार्य बता रहे हैं. साफ है कि वे विवेकहीनता और दुर्भावना से ग्रसित हैं.
जांच कमिटी की रिपोर्ट से पहले उपद्रवियों का पोस्टर लगाने का क्या औचित्य
रांची में 10 जून को हुई हिंसा में शामिल उपद्रवियों के पोस्टर हटाने के सवाल पर राजेश ठाकुर ने कहा, जब सरकार ने दो सदस्यीय जांच कमिटी गठित की है, तो पोस्टर लगाने का क्या औचित्य. पहले जांच कमिटी की रिपोर्ट तो आने दिया जाना चाहिए.
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