सिर में दर्द रहता है, उल्टी के बाद राहत मिले, धीरे-धीरे सुनने-देखने की क्षमता कम हो रही है… ये ब्रेन ट्यूमर (दिमाग में गांठ) के लक्षण हैं। ऐसी दशा में जांच कराना ही बेहतर है। चिकित्सक बताते हैं कि अक्सर लोग शुरुआत में इन लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं। बाद में मर्ज गंभीर बन जाता है। एसएन मेडिकल कॉलेज में एक महीने में ब्रेन ट्यूमर में कैंसर के तीन से पांच मरीज आ रहे हैं।
आगरा के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. आरसी मिश्रा ने बताया कि बीते एक साल में उन्होंने ब्रेन ट्यूमर के 136 मरीजों का ऑपरेशन किया। इनमें एक महीने के शिशु से लेकर 90 साल तक के मरीज रहे। ट्यूमर की बायप्सी कराने पर कई मरीजों में कैंसर की पुष्टि हुई। पहली स्टेज पर ऑपरेशन कराने वाले मरीज सामान्य जिंदगी जीते हैं, कुछ मामलों में 15 साल तक ही इनकी जिंदगी रहती है।
चौथी स्टेज में आने वाले मरीजों के मामले में खतरा अधिक रहता है। दिमाग के कुछ ट्यूमर ऐसे भी हैं, जिनमें पहले उल्टी होती है और फिर सिर में दर्द रहता है। बच्चों में ये ज्यादा होता है। कई बार अभिभावक इसे बच्चों का बहाना समझकर गंभीरता से नहीं लेते, इस कारण मर्ज बढ़ने पर आते हैं।
तीन-पांच मरीज हर महीने आ रहे
एसएन मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग की डॉ. सुरभि गुप्ता ने बताया कि ओपीडी में महीने भर में आने वाले कुल कैंसर के मरीजों में से तीन से पांच मरीजों में ब्रेन ट्यूमर मिलता है। प्रारंभिक स्टेज में आने पर इलाज से ये ठीक भी हो जाते हैं। गंभीर हाल के मरीजों की जान को जोखिम अधिक रहता है।
मिर्गी के 10 हजार मरीजों में से एक में कैंसर
वरिष्ठ न्यूरोफिजीशियन डॉ. पीके माहेश्वरी ने बताया कि दिमाग की हर गांठ में कैंसर नहीं होता। कई गांठें टीबी की और सामान्य भी हो सकती हैं। 40 साल की उम्र में गांठें तेजी से विकसित होती हैं। औसतन हर 10 हजार मरीजों में से एक में कैंसर की पुष्टि होती है। जरूरी है कि लक्षण प्रतीत होने पर चिकित्सक को दिखाएं।
ये है लक्षण
तेज सिरदर्द होना, लगातार या फिर बार-बार होना।
मांसपेशियां में कमजोरी, हाथों-कदम में तालमेल गड़बड़ाना।
चलने-फिरने में परेशानी, शरीर के एक तरफ कमजोरी होना।
उल्टी आना, चक्कर आना और मिर्गी के दौरे आना।
बोलने, सुनने और देखने की क्षमता धीरे-धीरे कम होना।
धीरे-धीरे शरीर में लकवा की स्थिति बनना।
ये हैं कारण
रेडिएशन का असर, जन्मजात परेशानी।
रसायन-कीटनाशक से तैयार हुई खाद्य सामग्री।
तंबाकू, धूम्रपान, अल्कोहल का इस्तेमाल करना।
जेनेटिक परेशानी, अतिरिक्त वसायुक्त भोजन का उपयोग।
बचाव के उपाय
मौसमी फल और भोजन में हरी तरकारी खाएं।
तंबाकू, एल्कोहल, धूम्रपान से बचें।
पैकेट बंद भोजन को खाने से बचें।
वजन न बढ़ने दें, अधिक वसा वाला भोजन न करें।
परिवार में ब्रेन ट्यूमर की दिक्कत है तो जांच कराएं।
(जैसा कि वरिष्ठ न्यूरोफिजीशियन डॉ. सर्वेश अग्रवाल ने बताया)
सिर में दर्द रहता है, उल्टी के बाद राहत मिले, धीरे-धीरे सुनने-देखने की क्षमता कम हो रही है… ये ब्रेन ट्यूमर (दिमाग में गांठ) के लक्षण हैं। ऐसी दशा में जांच कराना ही बेहतर है। चिकित्सक बताते हैं कि अक्सर लोग शुरुआत में इन लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं। बाद में मर्ज गंभीर बन जाता है। एसएन मेडिकल कॉलेज में एक महीने में ब्रेन ट्यूमर में कैंसर के तीन से पांच मरीज आ रहे हैं।
आगरा के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. आरसी मिश्रा ने बताया कि बीते एक साल में उन्होंने ब्रेन ट्यूमर के 136 मरीजों का ऑपरेशन किया। इनमें एक महीने के शिशु से लेकर 90 साल तक के मरीज रहे। ट्यूमर की बायप्सी कराने पर कई मरीजों में कैंसर की पुष्टि हुई। पहली स्टेज पर ऑपरेशन कराने वाले मरीज सामान्य जिंदगी जीते हैं, कुछ मामलों में 15 साल तक ही इनकी जिंदगी रहती है।
चौथी स्टेज में आने वाले मरीजों के मामले में खतरा अधिक रहता है। दिमाग के कुछ ट्यूमर ऐसे भी हैं, जिनमें पहले उल्टी होती है और फिर सिर में दर्द रहता है। बच्चों में ये ज्यादा होता है। कई बार अभिभावक इसे बच्चों का बहाना समझकर गंभीरता से नहीं लेते, इस कारण मर्ज बढ़ने पर आते हैं।
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