गाजियाबादः राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी के भीतर गंभीर असंतोष के स्वर सुनाई दे रहे हैं। पार्टी के नेता प्रमोद कृष्णम ने जहां इशारों में कांग्रेस प्रत्याशियों की लिस्ट पर सवाल उठाया है, वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने राज्यसभा के औचित्य पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। प्रमोद कृष्णम ने मंगलवार को गाजियाबाद में कहा कि बहुत से लोगों के पास शिकायतें हैं।
उन्होंने कहा, कुछ लोगों को शिकायत है। राज्यसभा हमारे लोकतंत्र का मंदिर है और इसलिए वहां बौद्धिक और अनुभवी लोगों को भेजा जाता है। जो देश के लिए काम करते हैं और पार्टी को मजबूत करते हैं लेकिन फैसले हैरान करने वाले हैं। उन्होंने आगे कहा कि मेरा नाम राज्यसभा उम्मीदवारों की दौड़ में नहीं था। कांग्रेस के कुछ नेताओं को हिंदू शब्द से ही नफरत है, ऐसे में किसी हिंदू संत को राज्यसभा भेजने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद वो कांग्रेस में हैं क्योंकि देश को मजबूत विपक्ष की जरूरत है। कांग्रेस इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बलिदान से मजबूत हुआ है। कांग्रेस अगर खत्म होती है तो देश का लोकतंत्र खत्म हो जाएगा।
प्रमोद कृष्णम के अलावा मनीष तिवारी ने भी पार्टी के उम्मीदवारों के चयन पर सवाल उठाया है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि अब यह बुनियादी सवाल पूछने का समय आ गया है कि क्या देश को उच्च सदन की जरूरत है। क्या अब राज्यसभा खत्म कर देनी चाहिए? तिवारी ने ट्वीट किया, ‘राज्यसभा जिस मकसद से बनी थी उसे पूरा करने में विफल रही है। उसका मकसद राज्यों के अधिकारों की पैरवी करना था। अब बुनियादी सवाल पूछने का समय आ गया है कि भारत को दूसरे संघीय सदन की जरूरत क्यों है? क्या भारत इसके बिना चल सकता है? क्या राज्यसभा खत्म कर देनी चाहिए?’
गौरतलब है कि कांग्रेस में उम्मीदवारों के चयन को लेकर पिछले दिनों कई नेताओं ने असंतोष प्रकट किया। उम्मीदवारों के चयन को लेकर सवाल खड़े करने में सबसे मुखर आवाज अभिनेत्री और महिला कांग्रेस की महासचिव नगमा मोरारजी की सामने आई है। नगमा ने मुख्य रूप से इमरान प्रतापगढ़ी की उम्मीदवारी पर सवाल खड़े किए और दावा किया कि उनसे उच्च सदन में भेजे जाने का वादा 18 साल पहले किया गया था, लेकिन यह आज तक पूरा नहीं हुआ। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा, पार्टी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम और कुछ अन्य नेताओं ने भी राज्यसभा के लिए पार्टी के उम्मीदवारों के चयन के संदर्भ में दबी जुबान में अपनी नाखुशी जाहिर की।
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