मथुरा: मथुरा (Mathura) में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का विवाद (Shri Krishna Janmbhoomi Controversy) गहराया हुआ है। श्रीकृष्ण विराजमान की सखी रंजना अग्निहोत्री एवं अन्य की याचिका पर मथुरा कोर्ट में पिछले दिनों सुनवाई हुई है। इसमें शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Eidgah Masjid) पर हिंदू पक्ष का दावा किया गया है। साथ ही, शाही ईदगाह मस्जिद को खाली कराकर वहां पर हिंदू पक्ष की ओर से पूजा की इजाजत मांगी गई है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े एक संस्थान और मस्जिद ट्रस्ट के बीच वर्ष 1968 में हुए समझौते को भी इस याचिका में चुनौती दी गई है। मामले में कोर्ट ने अगली तारीख दे दी है। लेकिन, इस मुद्दे को हिंदू पक्ष छोड़ना नहीं चाहता है। हिंदू पक्षकारों की ओर से आगरा की साहिबा मस्जिद (Shahiba Masjid Case) से भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को निकालने की मांग की गई है। कोर्ट में इसको लेकर एक नई याचिका दायर की गई है। इसने माहौल को फिर गरमा दिया है।
कोर्ट में दायर की गई नई याचिका में दावा किया गया है कि साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति दबी हुई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को तोड़कर मुगल शासक औरंगजेब ने मस्जिद की सीढ़ियों में दफना दिया था। अर्जी में कहा गया है कि आगरा के लाल किले में मूर्तियों को दफनाया गया है। सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में इस याचिका को दायर किया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि आगरा के लालकिला में बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों में दफनाए गए भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को निकालने का आदेश जारी किया जाए।
मथुरा से मूर्ति लाकर सीढ़ियों में दबाने का दावा
मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में दायर एक और केस में कहा गया है कि औरंगजेब के आदेश पर जब मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को ढाहा गया तो वहां से मूर्तियों को भी ले जाया गया। इस मूर्ति को आगरा के लाल किले की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों में दफना दिया गया था। इस मामले में हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला पूरी गंभीरता के साथ सिविल जज के यहां चल रहा है। आज इस मामले में एक ऐतिहासिक घटना हुई है। हमने इस मामले में एक दावा दाखिल किया है।
हिंदू और मुस्लिम पक्ष के अलग-अलग दावे
हिंदू पक्ष के वकील ने कहा कि हमारा यह कहना है कि 1969 को जब श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को तोड़ा गया तो मंदिर के गर्भगृह में जो ठाकुर केशवदेव जी थे, उन्हें औरंगजेब आगरा ले गया था। आगरा के लालकिला स्थित बेगम साहिबा की सीढ़ियों में, जहां दीवान-ए-खास है, उन्हें दफना दिया था। औरंगजेब ने हिंदू धर्म को नीचा दिखाने के उद्देश्य से भगवान की मूर्ति को सीढ़ियों में लगवाया था। शाही खानदान के लोग उन सीढ़ियों से चढ़ते-उतरते थे। हमारी मांग कोर्ट से यह है कि वहां से ठाकुर जी के विग्रह को लाया जाए और उनकी पुन: प्राण-प्रतिष्ठा फिर से श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर में किया जाए।
मुस्लिम पक्ष के वकील तनवीर अहमद ने कहा कि लगातार निराधार रूप से मामले दर्ज कराए जा रहे हैं। केस में एक जुलाई की तारीख दी गई है। इसके पहले तरह-तरह के वादी लोग अलग-अलग तरह की प्राथमिकी दर्ज करा रहे हैं। यह प्राथमिकी उन्होंने पहले भी दिया था, जिस पर सुनवाई हुई थी। मामला पेंडिंग है। वकील ने कहा कि बड़े आश्चर्य की बात है कि पिछले 15-20 साल से वहां सीआरपीएफ तैनात है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सुरक्षा तैनात है। रेड जोन है। सीओ वहां मौजूद हैं। एसपी सुरक्षा का पद वहां दिया गया है। कमांडेंट वहां हैं। ऐसे में वहां कुछ नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि एक जुलाई को बहस की तिथि तय है। वह बहस न हो पाए, इसके लिए तरह-तरह की याचिकाएं दी जा रही हैं। इसका कोई औचित्य नहीं है।
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