Ranchi: झारखंड में पिछले तीन सालों में मानव तस्करी के 690 मामले दर्ज हुए हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के 24 जिले में ये मामले दर्ज हुए हैं. जानकारी के अनुसार, झारखंड के गुमला, गढ़वा, साहिबगंज, दुमका, पाकुड़, पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा), रांची, पलामू, हजारीबाग, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, कोडरमा और लोहरदगा जिले में सबसे अधिक मानव तस्करी होती हैं. रांची की लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें…
मजदूरी और कराया जाता है घर का काम
राज्य में सक्रिय मानव तस्करों के द्वारा भोले-भाले ग्रामीणों को बरगला कर उन्हें झांसा दिया जाता है, कि उन्हें बड़े शहरों में नौकरी दिलाया जाएगा. इस झांसे में आकर लड़के और लड़कियां मानव तस्कर के चंगुल में फंस जाते हैं. जिसके बाद उन्हें बड़े शहरों में ले जाकर घर का काम, वेश्यावृत्ति और मजदूरी का कराया जाता है.
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परिवार वालों ने खुद अपनी बच्ची को तस्करी के लिए भेजा था
रांची सीडब्ल्यूसी (बाल संरक्षण आयोग) के चेयरमैन अजय शाह से जब हमने बात की कि 2022 में रांची में कितने बच्चों को रेस्क्यू किया गया है, तो उन्होंने डेटा के हिसाब से बताया की 20 मामले जनवरी से अप्रैल तक दर्ज किये गए हैं. उन्होंने ये भी बताया की ये सिर्फ मानव तस्करी का ही मामला नहीं है, कहीं न कहीं गरीबी भी इसका बड़ा कारण है.
उन्होंने कहा की कुछ दिन पहले रांची के खादगढ़ा बस स्टैंड से कुछ लड़कियों को रायपुर ले जाया जा रहा था. पुलिस को पता चलते ही वो उनके पास बच्चों को लेकर आये, तो बच्चों से उनके बारे में पूछा गया. एक बच्चे का परिवार भी मिल गया.
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फिर परिवार वालों ने बताया की उन्होंने खुद अपनी बच्ची को तस्करी के लिए भेजा था, क्योंकि वो बहुत गरीब हैं, न खाने को कुछ है ना ही रहने को. उन्होंने बताया ऐसे कई मामले दर्ज किये गए हैं. इसलिए जब वो बच्चों का रेस्क्यू करते हैं तो पहले पूरी जांच पड़ताल करते हैं की क्या बच्चा अपने परिवार के साथ सुरक्षित है या नहीं, और जिन बच्चों का परिवार नहीं होता उन्हें वो शेल्टर होम भेजते है. उन्होंने ये भी बताया की ऐसे बच्चों के लिए झारखंड सरकार में दो स्कूल भी है जहां उन्हें शिक्षा दी जाती है.
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