कोरोना, यूक्रेन संकट काल में भी 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी भारत की अर्थव्यवस्था – Lok Shakti

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन संकट काल में भी देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून 2022 में भारतीय इकॉनमी 12-13 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। इक्रा के अनुसार अप्रैल में बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स रीडिंग 13 महीने में दूसरा सबसे अधिक था जिसके चलते जून 2022 तिमाही में इकॉनमी ग्रोथ 12-13 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वैसे रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच आरबीआई की सख्त मौद्रिक नीतियों और महंगाई के चलते पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी ग्रोथ 7.2 प्रतिशत रह सकती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन संकट काल में भी देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.5 से 8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। उन्होंने का विकास मेंनिर्यात की प्रमुख भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि इस साल अर्थव्यवस्था में अच्छी ग्रोथ देखने को मिलेगी इसलिए हम निर्यात के मोर्चे पर बहुत आशान्वित हैं। नरेन्द्रन ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर का अनुमान 7.5 से 8 प्रतिशत के दायरे में बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने भारत के लिए अपने वृद्धि दर के अनुमान को 8.2 प्रतिशत पर रखा है।

मोदी सरकार के रणनीतिक सुधारों और कोरोना टीकाकरण अभियान में तेजी के कारण दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 2021 में 9.5 प्रतिशत और 2022 में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। खास बात यह है कि 2022 में भारत को छोड़कर किसी भी अन्य देश में यह वृद्धि दर 6 प्रतिशत से ऊपर नहीं जाने का अनुमान जताया गया है। आर्थिक विकास दर के मामले में भारत ने चीन और अमेरिका को काफी पीछे छोड़ दिया है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।

ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी ने कहा कि वर्ष 2022 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में भारत शामिल रहेगा। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 9.2 प्रतिशत और 2022-23 में 7.7 प्रतिशत रह सकती है। केपीएमजी का कहना है कि भारत सरकार की मौजूदा नीतियां आर्थिक रफ्तार को आगे भी बढ़ाए रखेंगी। इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर फोकस और इस क्षेत्र में किए जा रहे निवेश से न सिर्फ विकास दर में तेजी आएगी, बल्कि बेरोजगारी भी घटेगी। केपीएमजी के अुसार, कोरोना के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी रेट बढ़ी है। आर्थिक सुधार के मोर्चे पर आगे बढ़ने और मांग में तेजी की वजह से मोबिलिटी इंडेक्स, डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन, बिजली की मांग सभी में उछाल दर्ज किया जा रहा है।