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dhai aakhar prem ke: ढाई आखर प्रेम का संदेश लेकर इप्टा की यात्रा पहुंची झांसी, शहीदों को इस अनूठे तरीके से दी श्रद्धांजलि

झांसी: अखिल भारतीय जन नाट्य संघ की ‘ढाई आखर प्रेम के’ नाम की सांस्कृतिक यात्रा रविवार को झांसी पहुंची। यह यात्रा 9 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के रायपुर से शुरू हुई है और देश के विभिन्न हिस्सों का भ्रमण करते हुए 22 मई को मध्य प्रदेश के इंदौर में समाप्त होगी। अपनी इस यात्रा में इप्टा के रंगकर्मियों का दल छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 250 से अधिक स्थानों पर नाटक, कविता, गीत, गजल, पोस्टर, नृत्य, संगीत और अन्य कार्यक्रमों की प्रस्तुति दे रहा है।

झांसी पहुंचे यात्रा दल ने चिरगांव में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जन्मस्थली पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद यात्रा दल ने कानपुर-झांसी बाइपास स्थित महारानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। यात्रा दल का इप्टा झांसी इकाई ने स्वागत किया और संवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ। सांस्कृतिक यात्रा ने इसके बाद क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की मूर्ति पर माल्यार्पण किया और इलाइट चौराहे, जीवन शाह तिराहे होते हुए ऐतिहासिक झांसी के किले पर पहुंची। यहां रानी झांसी सहित सभी क्रांतिकारियों की स्मृतियों को श्रृद्धांजलि अर्पित की गई। किले से यात्रा क्रांतिकारी मास्टर रुद्रनारायण मोहल्ले स्थित क्रांतिकारी मास्टर रूद्रनारायण के आवास पहुंची और उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गई। यात्रा दल में शामिल रंगकर्मियों ने विभिन्न स्थानों पर जनगीत प्रस्तुत किए।

इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव राकेश ने कहा कि आज़ादी के 75 साल के मौके पर निकलने वाली यह सांस्कृतिक यात्रा असल में स्वतंत्रता संग्राम के गर्भ से निकले स्वतंत्रता, समता, न्याय और बंधुत्व के मूल्यों के तलाश की कोशिश है। प्रांतीय उपाध्यक्ष ओपी नदीम ने कहा कि आजादी के 75 सालों में हम सब मिलकर आजादी की लड़ाई के जाने-अंजाने योद्धाओं, लेखकों और कलाकारों को बार-बार याद करें और उनकी बनाई राह पर चलें। आगरा इप्टा के महासचिव दिलीप रघुवंशी ने कहा कि यह यात्रा उन तमाम शहीदों, समाज सुधारकों एवं भक्ति आंदोलन और सूफ़ीवाद के पुरोधाओं का सादर स्मरण है, जिन्होंने भाषा, जाति, लिंग और धार्मिक पहचान से इतर मानव मुक्ति एवं लोगों से प्रेम को अपना एकमात्र आदर्श घोषित किया।