सार
आगरा किला के खास महल के सामने अंगूरी बाग में लाल पत्थर की जालियां लगाने का काम पूरा हो गया है। इस कार्य में 30 लाख रुपये की लागत आई है।
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लगभग 100 साल के बाद आगरा के किले में शहंशाह शाहजहां के खासमहल के सामने बने अंगूरी बाग की रौनक लौट आई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अंगूरी बाग में लाल पत्थर की जालियां लगवाई हैं जो ब्रिटिश काल में ध्वस्त हो गईं थीं।
एएसआई ने तीन महीने में 30 लाख रुपये की लागत से लाल पत्थर की 21 जालियों को अंगूरी बाग के किनारे लगा दिया है, जिस पर अब मुगलिया दौर की तरह अंगूर की बेल चढ़ाई जाएगी। पत्थर की जालियों पर वजन न पड़े, इसलिए जालियों से सटाकर लोहे की रेलिंग लगाई जाएगी। एएसआई के इंजीनियर अमरनाथ गुप्ता के निर्देशन में अंगूरी बाग की जालियों को किले में ही तैयार कराया गया।
कश्मीर से लाई गई थी मिट्टी
एएसआई के पूर्व वरिष्ठ संरक्षण सहायक डॉ. आरके दीक्षित ने बताया कि मुगल शहंशाह जहांगीर के कार्यकाल में अंगूरी बाग में कश्मीर से मिट्टी मंगवाकर बाग में पौधे लगाए गए। इसमें अंगूर की बेल, सेब और अन्य पौधे लगाए गए। इस बाग का डिजाइन अनूठा है। साल 2003 में तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्वविद केके मुहम्मद ने बाग में ट्रेंच लगवाकर इसे मुगलिया पद्धति पर तैयार कराया था।
साक्ष्यों के आधार पर बनाईं जालियां
अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल ने कहा कि अंगूरी बाग के पुराने फोटोग्राफ में लाल पत्थर की जाली दिखाई देती है, उसी आधार पर नई जालियां तैयार कराकर लगाई गई हैं। साक्ष्यों के आधार पर डिजाइन बनवा कर जालियों को लगाया है। यहां नाम के अनुरूप अंगूर की बेलें भी लगाई जा रही हैं।
विस्तार
लगभग 100 साल के बाद आगरा के किले में शहंशाह शाहजहां के खासमहल के सामने बने अंगूरी बाग की रौनक लौट आई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अंगूरी बाग में लाल पत्थर की जालियां लगवाई हैं जो ब्रिटिश काल में ध्वस्त हो गईं थीं।
एएसआई ने तीन महीने में 30 लाख रुपये की लागत से लाल पत्थर की 21 जालियों को अंगूरी बाग के किनारे लगा दिया है, जिस पर अब मुगलिया दौर की तरह अंगूर की बेल चढ़ाई जाएगी। पत्थर की जालियों पर वजन न पड़े, इसलिए जालियों से सटाकर लोहे की रेलिंग लगाई जाएगी। एएसआई के इंजीनियर अमरनाथ गुप्ता के निर्देशन में अंगूरी बाग की जालियों को किले में ही तैयार कराया गया।
कश्मीर से लाई गई थी मिट्टी
एएसआई के पूर्व वरिष्ठ संरक्षण सहायक डॉ. आरके दीक्षित ने बताया कि मुगल शहंशाह जहांगीर के कार्यकाल में अंगूरी बाग में कश्मीर से मिट्टी मंगवाकर बाग में पौधे लगाए गए। इसमें अंगूर की बेल, सेब और अन्य पौधे लगाए गए। इस बाग का डिजाइन अनूठा है। साल 2003 में तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्वविद केके मुहम्मद ने बाग में ट्रेंच लगवाकर इसे मुगलिया पद्धति पर तैयार कराया था।
साक्ष्यों के आधार पर बनाईं जालियां
अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल ने कहा कि अंगूरी बाग के पुराने फोटोग्राफ में लाल पत्थर की जाली दिखाई देती है, उसी आधार पर नई जालियां तैयार कराकर लगाई गई हैं। साक्ष्यों के आधार पर डिजाइन बनवा कर जालियों को लगाया है। यहां नाम के अनुरूप अंगूर की बेलें भी लगाई जा रही हैं।
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