गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख औद्योगिक शहरों को जोड़ने वाले नए कॉरिडोर को केंद्र सरकार की तरफ से मंजूरी मिल गई है। ये शहर हैं- गाजियाबाद और कानपुर, जिनके बीच की दूरी अब सिमटकर महज 3 घंटे ही रह जाएगी। 380 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड इकोनॉमिक कॉरिडोर (Greenfield Economic Corridor) उत्तर प्रदेश के 9 जिलों से होकर गुजरेगा। अभी गाजियाबाद से कानपुर के बीच यमुना एक्सप्रेसवे पर 6 घंटे लगते हैं, जबकि एनएच-9 से जाने में 9 घंटे का समय लगता है।
यह आर्थिक गलियारा कुल 9 जिलों- गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, फर्रुखाबाद, कन्नौज, उन्नाव, कानपुर से होकर गुजरेगा। इस गलियारे को शुरू में 4 लेन का बनाया जाएगा। अंडरपास और पुलियों पर इसे 6 लेन का बनाया जाएगा, जिसे भविष्य में बढ़ाकर 8 लेन कर दिया जाएगा। सड़क चौड़ीकरण के लिए बगल में जमीन बचाकर रखी जाएगी।
नैशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया, ‘सितंबर 2019 में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गाजियाबाद से कानपुर को लिंक करते हुए आर्थिक गलियारा बनाये जाने की घोषणा की थी। ऐसा करने की वजह दोनों औद्योगिक शहरों के बीच की दूरी को कम करना था। पिछले सप्ताह मंत्रालय की तरफ से इस गलियारे को मंजूरी भी मिल गई। इस प्रॉजेक्ट के 2025 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। शुरू में यह 4 लेन का होगा, जिसे बढ़ाकर 8 लेन का कर दिया जाएगा।’
इस आर्थिक गलियारे के लिए जमीन को तलाशने का सर्वे किया जा रहा है। डीपीआर पर काम भी शुरू हो चुका है और एनएचएआई के मुताबिक सालभर में यह कॉरिडोर तैयार हो जाएगा। एक अधिकारी ने बताया, ‘परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण 2023 तक पूरा हो जाएगा। और फिर उसके बाद अगले 2 साल में प्रॉजेक्ट पूरा हो जाएगा।’ इस कॉरिडोर के बनने से इंडस्ट्री सेक्टर को फायदा होगा। समय और यात्रा का खर्चा भी कम होगा।
उद्योगपति और गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के पूर्व उपाध्यक्ष एस. के. माहेश्वरी ने बताया, ‘इस गलियारे के बनने से आर्थिक फायदे होंगे। इस कॉरिडोर के बनने से समय और खर्चा कम होगा। इसका असर सभी के मुनाफे पर भी होगा। कायदे से तो यह हाइवे आज से 30 साल पहले ही बन जाना चाहिए था। जरूरत होते हुए भी इस प्रॉजेक्ट में कोई ना कोई बाधा बनी रही। लेकिन अब यह प्रॉजेक्ट शुरू हो रहा है, यह अच्छी बात है। उम्मीद है कि समय पर पूरा भी हो जाएगा।’
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