उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज श्री मनोज कुमार सिंह ने समस्त जिलाधिकारियों व जिला पंचायतराज अधिकारियों को निर्देश जारी किये हैं कि केन्द्रीय वित्त आयोग एवं राज्य वित्त आयोग के अंतर्गत मैटेरियल आपूर्ति अथवा अन्य कार्य हेतु पंचायतीराज विभाग के अधिकारी व उनके रिश्तेदार वेण्डर के रूप में कार्य न करें। इस संबंध में उन्होंने 26 अप्रैल 2022 को शासनादेश जारी किये हैं।
जारी निर्देश के अनुसार पारदर्शी व्यवस्था के लिए यह आवश्यक है कि पंचायतीराज विभाग से जुड़े पदाधिकारियों/कर्मियों अथवा उनके नजदीकी रिश्तेदारों द्वारा बनाई गई फर्म/कम्पनीज आपूर्तिकर्ता/वेण्डर के रूप में कार्य न करे।
शासनादेश के अनुसार वित्त आयोग के अंतर्गत मैटेरियल, ईंधन, स्टेशनरी व अन्य सामग्री अथवा सेवाओं की आपूर्ति हेतु पंचायतीराज विभाग से जुड़े पदाधिकारी/कर्मी (जिला पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत के कर्मी, जिला पंचायत राज अधिकारी, क्षेत्र पंचायत प्रमुख, खण्ड विकास अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी (पंचायत), ग्राम पंचायत प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव, पंचायत सहायक, पंचायतीराज विभाग के कर्मी व विभाग में संविदा पर कार्यरत कर्मी) के पारिवारिक सदस्यों व रिश्तेदारों द्वारा स्थापित फर्म/कम्पनीज से वेण्डर के रूप में कार्य नहीं लिया जायेगा। परिवार/संबंधी का तात्पर्य जिला पंचायत सेवा नियमावली, 1970 के पैरा-54 के अनुसार पिता, पितामह, ससुर, चाचा या मामा, पुत्र, पौत्र, दामाद, भाई, भतीजा या भांजा, सगा चचेरा या ममेरा भाई, पत्नी का भाई और बहनोई, पति, का भाई, पति की बहन, पत्नी की बहन, पत्नी, पुत्री, पुत्रवधू, बहन, भाभी जो भाई या सगे चचेरे या ममेरे भाई की पत्नी हो, माता, सास, चाची या मामी से है।
निर्देशों में कहा गया है कि समस्त जिला पंचायतराज अधिकारी अपने-अपने जनपदों में वित्त आयोग के अंतर्गत पी.एफ.एम.एस. पर वेण्डर के रूप में रजिस्टर्ड फर्म/कम्पनी की पृष्ठभूमि उपरोक्त निर्देशों के क्रम में एक बार पुनः जांच करें और जारी निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें।
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