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प्राय: पत्रकारिता का प्राथमिक ध्येय पाठकों व दर्शकों को समसामियक गतिविधियों से सूचित कराना होता है, किंतु विगत दिनों की हालिया गतिविधियों से दर्शकों को सूचित कराने के क्रम में जिस तरह कतिपय मीडिया संस्थानों द्वारा अतिशोयक्तिपूर्ण व विध्वंसक मार्ग का चयन किया गया, उसके परिणामस्वरूप कथित तौर पर ‘सामाजिक समरसता’ को गहरा अघात पहुंचा है। जिसके दृष्टिगत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से एडवाइजरी जारी की गई तथा उन सभी मीडिया संस्थानों को चिन्हित किया गया जिन्होंने विगत दिनों खबरों को विध्वंसक अंदाज में पेश कर समाज में विभिन्न संप्रदायों के लोगों के मध्य वैमनस्यता बढ़ाने काम किया है।
अब इसी पर अंकुश लगाने की दिशा में सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी की गई यह दिशानिर्देश बहुत उपयोगी मानी जाएगी। आइए, जरा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश पर एक नजर डालते हैं।मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश में उल्लेखित किया गया है कि केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत किसी भी न्यूज चैनल कोई भी ऐसा कार्यक्रम में प्रसारित न करें, जिसमें (ए) अच्छे स्वाद या शालीनता के खिलाफ अपराध; (बी) मित्र देशों की आलोचना; (सी) धर्मों या समुदायों पर हमला या धार्मिक समूहों की अवमानना करने वाले दृश्य या शब्द या जो सांप्रदायिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हों; (डी) कुछ भी शामिल है,
अश्लील, मानहानिकारक, जानबूझकर, झूठे और विचारोत्तेजक मासूमियत और आधा सत्य; निहित कार्यक्रमों को चैनलों पर प्रसारित करने से रोक लगाने को कहा गया है।विगत कुछ दिनों से न्यूज चैनलों द्वारा खबरों को इस तरह से दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, जो कि सूचनाई रिफाइनरी में परिष्कृत होने के उपरांत अप्रमाणिक, दिगभ्रमित, अतिशयोक्तिपूर्ण, सामाजिक रूप से अस्वीकृत भाषा शैली, चैनलों द्वारा प्रसारित, जो कि उपरोक्त अधिनियम की धारा 20 की उप-धारा (2) के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।रूस-यूक्रेन युद्ध की कवरेज के दौरान न्यूज चैनलों की तरफ से विदेशी न्यूज एजेंसियों का हवाला देकर निराधार दावें किए गए हैं। कवरेज के दौरान चैनलों में निंदनीय भाषा का उपयोग किया गया है।
वहीं, चैनलों की तरफ से दर्शकों को रिझाने हेतु मनगढ़ंत और अतिशयोक्तिपूर्ण बयानों का उपयोग किया गया। दिल्ली हिंसा के दौरान चैनलों का कवरेज मंत्रालय द्वारा जारी किए गए परिपत्र में कहा गया है कि दिल्ली हिंसा की कवरेज के दौरान भड़काऊ सुर्खियों का उपयोग किया गया। सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने वाले वीडियोज का उपयोग किया गया। दंगे को सांप्रदायिक रंग देने हेतु भड़काऊ सुर्खियों का भी इस्तेमाल किया गया। यह भी देखा गया कि समाचारों में कुछ चैनल प्रसारित होते हैं असंसदीय, उत्तेजक और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य होने वाली बहसें भाषा, सांप्रदायिक टिप्पणी और अपमानजनक संदर्भ जो हो सकते हैं दर्शकों पर नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव और सांप्रदायिकता को भी भड़का सकता है।
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