मेरठ के फलावदा क्षेत्र के रहने वाले अंतरराष्ट्रीय गो-तस्कर अकबर बंजारा और उसका भाई सलमान असम में ढेर हो गए। गुरुवार सुबह उनके शव फलावदा में पहुंचे, जहां पुलिस बल की मौजूदगी में दोनों के शव सुपुर्द-ए-खाक कर दिए गए। वहीं पिता ने अपने बेटों को बेकसूर बताते हुए रसूखदारों पर साजिशन पुलिस से उनके एनकाउंटर की बात कही है।
बता दें कि अकबर बंजारा पर असम पुलिस ने दो लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया था। अकबर बंजारा और उसके दोनों भाई सलमान व शमीम को एक सप्ताह पहले फलावदा पुलिस ने गो-तस्करी और राजमिस्त्री से रंगदारी मांगने के मामले में गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने दोनों को जेल भेज दिया था। इसके बाद असम पुलिस ने 14 अप्रैल को बी-वारंट ले लिया।
असम पुलिस सोमवार की रात 1:15 बजे कोकराझार में समुद्र के रास्ते गो-तस्करी का नेटवर्क देखने के लिए अकबर और सलमान को लेकर जा रही थी। तभी उग्रवादियों ने गोलियां बरसा दीं। पुलिसकर्मी जान बचाकर भागे। गाड़ी के अंदर बैठे अकबर बंजारा और सलमान घायल हो गए।
पुलिस अकबर और सलमान को पीएचसी में ले गई, जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। घटनास्थल से एक एके-47, दो मैगजीन, 35 राउंड गोला-बारूद और 28 खोखे मिले हैं। असम में इस घटना के बाद एसएसपी मेरठ ने फलावदा में एहतियात के तौर पर फोर्स तैनात कर दी थी। गुरुवार को भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी में दोनों के शव फलावदा के क्षेत्रीय कब्रिस्तान में दफना दिए गए।
असम पुलिस ने अकबर का पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी कनेक्शन बताया है। दावा है कि गो-तस्करी की कमाई का इस्तेमाल आतंकी संगठनों को फंडिंग के लिए भी होता था।
गैंगस्टर एक्ट लगाने की तैयारी कर रही थी पुलिस
मेरठ पुलिस अकबर बंजारा की गैंगस्टर एक्ट के तहत संपत्ति जब्त करने की तैयारी में थी। पुलिस ने आयकर विभाग को भी चिट्ठी लिखी है, ताकि उसकी संपत्ति की जांच कराई जा सके। पुलिस ने बताया कि अकबर बंजारा तस्करी कर असम से बंगलादेश में मीट सप्लाई करता था। फलावदा स्थित बंजारन मोहल्ले में अकबर बंजारा परिवार के साथ करीब 15 साल से रह रहा था।
असम पुलिस ने दावा किया है कि तस्करी से होने वाली अवैध कमाई राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लगाई जा रही थी। यह नेटवर्क देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी चिंता का विषय है। अकबर और सलमान से पूछताछ के आधार पर पुलिस का कहना है कि गो-स्तकरी, टेरर फंडिंग और आईएसआई के लिंक की गहन जांच में कुछ और चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं।
अकबर बंजारा का पिता पीरू बंजारा करीब 50 साल पहले फलावदा में आकर बसा था। पीरू पशुुओं की खरीद-फरोख्त का काम करता था। अकबर भी पिता के साथ इसी काम में लग गया। बाद में अकबर ट्रक चलाने लगा और उसने पंजाब, हरियाणा, असम समेत कई राज्यों में पशु व्यापारियों से संबंध बना लिए। वर्ष 2015 में अकबर बंजारे की दोस्ती असम में गो-तस्कर पीपी रेड्डी से हो गई। इसके बाद अकबर ने कई राज्यों में तस्करी शुरू कर दी।
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