नई दिल्ली। ताकतवर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रहमोस का आज राजस्थान के पोखरण टेस्ट रेंज में 8:42 बजे सुबह सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया।
भारत में निर्मित दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ का गुरुवार को राजस्थान के पोखरण में एक बार फिर सफल परीक्षण किया गया। यह परीक्षण राजस्थान के पोखरण फायरिंग रेज में हुआ और इस दौरान वहां सेना और डीआरडीओ के अधिकारीण भी मौजूद रहे। बताया जाता है मिसाइल ने सफलतापूर्वक सही निशाने पर वार किया। भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस बात की जानकारी दी गई।
क्या है इसकी खासियत
ब्रह्मोस की रफ़्तार 2.8 मैक (ध्वनि की रफ़्तार के बराबर) है। इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है और ये 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री अपने साथ ले जा सकती है। हाल में आई खबरों के मुताबिक ब्रह्मोस जैसी क्षमता वाली मिसाइल अभी तक चीन और पाकिस्तान ने विकसित नहीं की है।
ऐसे रखा गया मिसाइल का नाम ‘ब्रह्मोस’
ब्रह्मोस भारत और रूस का संयुक्त उद्यम है जिसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कवा को मिलाकर रखा गया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। यह मिसाइल भारत की अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीकी में अग्रणी देश बना दिया है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है। गौरतलब है कि ब्रह्मोस का पहला सफल परीक्षण 12 जून, 2001 को किया गया था। मौजूदा समय में यह थल व नौसेना की थाती तथा भारतीय वायु सेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ बन चुका है। यह मिसाइल सबसे पहले 2005 में नौसेना को मिली थी। नौसेना के सभी डेस्ट्रॉयर और फ्रीगेट युद्धपोतों में ब्रह्मोस मिसाइल लगी हुई है।
इस तरह करता है दुश्मन पर वार
यह मिसाइल पहाड़ों की छाया में छिपे दुश्मनों के ठिकाने को भी निशाना बना सकती है। आम मिसाइलों के विपरीत यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीकी से ऊर्जा प्राप्त करती है। इसको मार गिराना लगभग असंभव है। ब्रह्मोस ऐसी मिसाइल है जो दागे जाने के बाद रास्ता बदल सकने में भी सक्षम है। लक्ष्य तक पहुंचने के दौरान यदि टारगेट मार्ग बदल ले तो मिसाइल भी अपना रास्ता बदल लेती है। इसलिए इसे ‘दागो और भूल जाओ’ भी कहा जाता है। यह मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ान भरती है इसलिए रडार की पकड़ से बाहर है।
अगले 10 साल में भारत बनाएगा 2000 ब्रह्मोस
मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर के करीब है। इससे पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ गई है। चीन इस मिसाइल को अस्थिरता पैदा करने वाले हथियार के तौर पर देखता है। भारत इस मिसाइल के जरिये दक्षिणी चीन सागर और हिंद महासागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता की धार को भोथरा करने में कामयाब होगा। इसलिए कि कई देश इस मिसाइल को खरीदना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत अगले 10 साल में 2000 ब्रह्मोस मिसाइल बनाएगा।
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