भारत माला परियोजना के तहत बनने वाले दिल्ली-देहरादून ग्रीन फील्ड इकनॉमिक कॉरिडोर के निर्माण के दौरान छह विद्युत ट्रांसमिशन टावर बाधक बनेंगे। कंपनी की टीम ने सर्वे कर ट्रांसमिशन विभाग को रिपोर्ट सौंपी है। वहीं, इन टावरों को हटाने के लिए कहा है। इसके बाद ट्रांसमिशन विभाग अधिकारी टावरों को हटाने की तैयारी में जुट गए हैं।
दिल्ली-देहरादून ग्रीन फील्ड इकनॉमिक कॉरिडोर के पहले चरण की शुरूआत मार्च 2021 में हुई थी। इसमें ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से दिल्ली यूपी बॉर्डर तक करीब 17 किमी लंबी छह लेन की एलिवेटेड रोड का निर्माण होना है, लेकिन निर्माण से पूर्व विद्युत ट्रांसमिशन के छह टावर इसमें बाधक बन गए हैं।
हाल ही में कंपनी की टीम ने सर्वे कर ट्रांसमिशन विभाग को रिपोर्ट सौंपी है। इसमें बताया कि निर्माण शुरू करने से पूर्व इन टावरों को हटाया जाना है। इसके बाद ट्रांसमिशन विभाग के अधिकारी इन टावरों को हटाने की तैयारियों में जुटे गए हैं।
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दिल्ली से देहरादून पहुंचने में लगेंगे ढाई से तीन घंटे
इस कॉरिडोर का निर्माण पूरा होने पर ढाई से तीन घंटे में दिल्ली से देहरादून पहुंच जाएंगे। इस समय तकरीबन छह घंटे लगते हैं।
यहां बनेंगे इंटरचेंज
हरिद्वार, मुजफ्फरनगर, शामली, यमुनानगर, बागपत, मेरठ व बड़ौत को जोड़ने के लिए सात इंटरचेंज बनेंगे।
अधिग्रहण की गई जमीन
दिल्ली-देहरादून ग्रीन फील्ड इकनॉमिक कॉरिडोर के लिए बागपत के 27 गांवों, मुजफ्फरनगर के सात गांव, शामली के 22 गांव, सहारनपुर के 25 गांव की 1100 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। यह जमीन ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से सहारनपुर तक है। जिसमें बागपत की 350 हेक्टेयर जमीन शामिल है।
दिल्ली-सहारनपुर हाईवे स्थित ट्रांसमिशन विभाग के अधिशासी अभियंता केके आत्रेय ने बताया कि कॉरिडोर निर्माण कंपनी ने रिपोर्ट में बताया कि निर्माण में छह विद्युत ट्रांसमिशन टावर बाधक बनेंगे। इसके बाद विभागीय टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की। फिलहाल इन टावरों को हटाने के लिए एस्टीमेंट बनाया जाएगा। इसके उपरांत टावरों को कॉरिडोर के रास्ते से हटा लिया जाएगा।
ये हैं बाधक बनने वाले टावर (लाइनें)
1-132 केवीएस/सी बागपत-खेकड़ा लाइन।
2-132केवीडीसी बागपत-हर्सिया लाइन।
3-एलआईएलओ ऑफ 220 डीसी मुरादनगर-शामली लाइन।
4-132केवीएससी बागपत-सिंघावली लाइन।
5-220 केवी बड़ौत-मुरादनगर लाइन।
6-132केवी डीसी बड़ौत-निरपुड़ा लाइन।
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