28 February 2020
लोकतंत्र के चार स्तंभ : 1. न्यायपालिका 2. कार्यपालिका 3. विधायका 4. मीडिया।
अजित डोभाल ने जिस प्रकार से ३७० धारा के बाद कश्मीर के शोपिया जैसे आतंकियों के गढ़ में कश्मीरियों के बीच गये थे उसी प्रकार से अब दिल्ली के दंगा ग्रस्त इलाकों के पीडि़तों के बीच जाकर जिस प्रकार से ढाढस बंधाया वह काम वास्तव में देखा जाये तो नेताओं का था, केन्द्र और दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टियों का था, कांग्रेस के उन नेताओं का था जो राष्ट्रपति से मिलने गये थे। कांगे्रस के इन नेताओं का कर्तव्य था कि वे राष्ट्रपति से मिलने के पहले दंगा ग्रस्त इलाकों का दौरा करते और पीडि़तों को ढाढस बंधाते। इसी प्रकार से आप पार्टी के नेताओं का भी कर्तव्य था कि वे गांधी घाट जाकर नौटंकी करने के बजाय दंगाग्रस्त इलाकों का दौरा करते।
>> अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड टं्रप की भारत यात्रा के समय एक सोची समझी साजिश के तहत दिल्ली में दंगा भड़काया गया।
टं्रप ने अपने भारत यात्रा के समय मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम में जो संबोधन किया और उसके बाद प्रेस वार्ता में जिस प्रकार से भारत के लोकतंत्र की भारत के सरकार की और यहॉ के प्रधानमंत्री की प्रशंसा करते हुए सीएए, धार्मिक आजादी, धारा ३७०, दिल्ली के दंगे आदि विषयों पर जो बेबाक बोल बोले वह साहस क्या भारतीय लोकतंत्र के ४ स्तंभ कर सकते हैं?
सीएए भारत का अंदरूनी मामला है, भारत में सभी धर्मोँ का सम्मान है और ३७० भारत ने सोच समझकर हटाया है और इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ भारत और अमेरिका साथ लड़ेंगे लड़ाई। दिल्ली में हो रही हिंसा के बारे में भी उन्होंने कहा कि यह भारत के अंदर की समस्या है, यहॉ के प्रधानमंत्री मोदी सक्षम हैं हिंसा और टेरर को कंट्रोल करने में।
>> विपक्ष अपने गिरेबान में झांककर देखें अपने उन बयानों को देखे जिसका दुरपयोग पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र संघ तक में किया है। ३७० अनुच्छेद हटने पर कांग्रेस के राहुल गांधी, व लोकसभा में विपक्ष के उनके नेता और अन्य विपक्षी नेताओं ने किस प्रकार से भारत की सरकार को संकट में डाला है और विश्व में बदनाम करने का देशविरोधी कृत्य किया है उन पर उन्हें विचार करना चाहिये।
दिल्ली में जो अभी तीन दिनों तक जिस प्रकार से दंगे हुए जिसमें अभी तक ३२ आम नागरिक अपनी जान गंवा दी है और सैकड़ों अभी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूंझ रहे हैं। यहॉ यह उल्लेखनीय है कि इन दंगों में सैकड़ोंं राउंड गोलियां चलाई गई हैं और अभी तक जो २० पोस्टमार्टम हुए हैं उनमें कांस्टेबल रतन लाल सहित दस नागरिकों ने अपनी जान गवाई है वह बंदूक की गोली के कारण से।
दिल्ली में दंगे जो हुए हंै वह दो तीन दिन की घटना नहीं है उसकी भूमिका सीएए के विरोध के नाम पर दो महीने पहले से ही शाहीनबाग में महिलाओं और बच्चो को मोहरा बनाकर अवज्ञाकारी अवज्ञाकारी स्थायी प्रदर्शन सड़कों को जाम कर बना ली गई थी।
15 दिसंबर से शाहीन बाग में महिलाएं बच्चों के साथ धरने पर बैठाई गयी हैं। इसे सीएए के विरोध में शांतिप्रिय प्रदर्शन बताया जा रहा है।
>> प्रधानमंत्री मोदी ने ठीक ही कहा है कि शाहीनबाग का प्रदर्शन संयोग नहीं एक प्रयोग है।
>> इस प्रयोग का खुलासा शाहीनबाग के आयोजकों में से एक जेएनयू के छात्र शरजील इमाम ने शाहीनबाग ही नहीं बल्कि जामिया और अलीगढ़ युनिवर्सिटी में किया है। उसने आव्हान किया कि भारत को इस्लामिक देश बनाने के लिये प्रारंभ शाहीनबाग से करना चाहिये, चिकन गलियारा को काटकर जगह-जगह सड़कों को जाम कर किया जाना चाहिये।
शाहीनबाग में ही जिन्ना वाली आजादी के नारे लगे और अल्प संख्यक समुदाय को हिन्दुओं के प्रति भारत के सरकार के प्रति नफरत पैदा करने और हिंसा करने का आक्सीजन दिया गया।
सोशल मीडिया में जो वीडियों प्रसारित हुए उसमें जिस प्रकार से छोटे-छोटे बच्चों ने भारत के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की हत्या डिटेंशन सेंटर आदि के बारे में कहते हुए दिखाया गया है उससे समझ सकते हैँं कि यह शांतिप्रिय प्रदर्शन है या हिंसा को आक्सीजन देने वाला प्रदर्शन।
शाहीनबाग के ही पास में जेएनयू और जामिया है। वहॉ पर यही से आक्सीजन प्राप्त कर हिंसात्मक आंदोलन हुए हंै और पुलिस के प्रति नफरत घृणा फैलाने कार्य हुआ है जो अभी भी निरंतर जारी है। आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने तो अब पुलिस का नार्को टेस्ट तक करवाने की बात कही है।
स्वराज के संपादक ने इसलिये ठीक ही कहा है : ष्ठद्गद्यद्धद्ब क्कड्ड4ह्य स्नशह्म् ढ्ढठ्ठस्रह्वद्यद्दद्बठ्ठद्द स्द्धड्डद्धद्गद्गठ्ठ क्चड्डद्दद्ध क्रद्गष्ड्डद्यष्द्बह्लह्म्ड्डठ्ठष्द्ग; हृशह्ल छ्वह्वह्यह्ल क्कशद्यद्बष्द्ग ्रठ्ठस्र हृद्गह्लड्डह्य, ष्टशह्वह्म्ह्लह्य ञ्जशश क्रद्गह्यश्चशठ्ठह्यद्बड्ढद्यद्ग
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ञ्जद्धद्ग द्वशड्ढ द्धड्डह्य 2शठ्ठ.
इसी प्रकार से इंडिया टीवी के चेयरमेन रजत शर्मा जी ने अपने आज के ब्लॉग ‘ दिल्ली के दंगे, अजित डोवल की हिम्मत और डोनाल्ड ट्रंपÓ
में ठीक ही कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने वाले यह मानकर बैठे थे कि ट्रंप के साथ मौजूद अंतरराष्ट्रीय मीडिया हिंसा का संज्ञान लेगा और भारत के दुश्मनों को मौका देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति सीएए के मुद्दे पर बयान दे देंगे। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।
इसीलिये हमारा आग्रह है कि अजीत डोभाल के साहस और ट्रंप के बेबाक बोल से लोकतंत्र के 4 स्तंभ लें शिक्षा।
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