Ranchi: रांची महिला कॉलेज में मेदांता हॉस्पिटल, रांची के सहयोग से गुरुवार को जूम एप के सहारे “मासिक धर्म स्वास्थ्य अवधारणा और मिथक” विषय पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया. वेबीनार में मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद मेदांता हॉस्पिटल की स्त्री रोग विशेषज्ञ व एसोसिएट सलाहकार डॉ अनुपमा सिंह ने कहा कि मासिक धर्म को लेकर विभिन्न भ्रांतियां हैं जिसकी वजह से महिलाओं और बालिकाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. इसकी वजह जानकारी की कमी, मिथक व वर्जनाएं, पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई के लिए जरूरी प्रोडक्ट्स तक सीमित पहुंच है.
कार्यक्रम कॉलेज की प्राचार्या डॉ शमशुन नेहार के निर्देशन में राष्ट्रीय सेवा योजना, इकाई एक की प्रोग्राम ऑफिसर डॉ कुमारी उर्वशी ने रांची वीमेंस कॉलेज के विमेन सेल प्रमुख डॉ विनीता सिंह, एमबीए डिपार्टमेंट की शिक्षिका डॉ नेहा कौर की भूमिका सराहनीय रही.
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लापरवाही सबसे बड़ा कारण
डॉ सिंह ने बताया कि खराब स्वच्छता अवसंरचना की वजह से भारत में महिलाओं और बालिकाओं के शैक्षिक अवसर, स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिति पर गहरा असर पड़ता रहा है. मासिक के समय कमर, पैरों और पेट में दर्द, उल्टी होना, सिर दर्द, चक्कार आना आदि जैसी दिक्कतें आती हैं.
इस दौरान महिलाओं को अपने हाइजीन का खास ख़्याल रखने की ज़रूरत होती है. क्योंकि लापरवाही कई सारी बीमारियों को जन्म दे सकती है.
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किशोर-किशोरियों के साथ सहज ढंग से चर्चा करें
उन्होंने कहा कि कई बार इंफेक्शन की वजह से महिलाओं को इनफर्टिलिटी संबंधी परेशानी भी हो सकती है. माहवारी के विषय में सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से ग़लत धारणाएं, वर्जनाएं और मिथक कायम हैं और इनकी वजह से महिलाओं और लड़कियों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है.
लड़कियों को यह विश्वास दिलाया जाता है कि वे धार्मिक किताबें नहीं छू सकतीं. पूजा स्थलों पर उनका प्रवेश वर्जित हो जाता है. यहां तक कि रसोई और खाने-पीने की चीजों को लेकर भी इसी तरह के नियम बनाए गए हैं.
वर्तमान माहौल में मासिक धर्म को प्राकृतिक विकास कम और अपराध ज्यादा माना जाता है. ऐसे में जरूरी है कि माता-पिता और शिक्षक इस पर किशोर-किशोरियों के साथ सहज ढंग से चर्चा करें.
डॉ अनुपमा सिंह ने छात्राओं के हित में कई जानकारियां साझा कीं. छात्राओं के कई सवालों का उत्तर भी दिया. कार्यक्रम का संचालन रांची वीमेंस कालेज की छात्रा शिखा शुभांगी ने किया.
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